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इस बार सावन सोमवार पर बन रहा कल्‍याणकारी योग, जानें कब से हो रहा शुरू?

नई दिल्‍ली । श्रावण मास (Shravan month) को भगवान शिव(Lord Shiva) को समर्पित किया गया है। श्रावण मास भगवान शिव का महीना माना गया है। 2022 में श्रावण मास 14 जुलाई से आरम्भ होकर 12 अगस्त तक रहेगा, जिसके अंतर्गत चार प्रमुख सोमवार आएंगे। श्रावण मास में भगवान शिव को जल और बेलपत्र समर्पित (Belpatra dedicated) करने से समस्त मनोकामनाए पूर्ण होती है और भक्ति भाव का एक सुखद अनुभव होता है।

श्रावण मास की बहुत सारी पौराणिक व्याख्यान (mythological lectures) भी है। जैसे भगवान शिव और माता पार्वती का मिलन भी श्रावण मास में हुआ है। श्रावण मास में समुद्र मंथन हुआ था जिससे उत्पन्न विष को भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण किया था जिसकी वजह से नीलकंठ कहलाए थे। विष धारण करने के बाद उनको अत्यंत भीषण ताप हुआ जिसको देखते हुए देवताओं ने उन पर जल वर्षा किया और भगवन विष्णु ने समस्त सृष्टि को वरदान दिया की जो भी इस मास में भगवान शिव पर जलाभिषेक करेगा उसको जन्म जन्मांतर के पापों से, कर्मबन्धन से और अनिष्ट से मुक्ति प्राप्त होगी। जिसके चलते जनमानस ,देवी देवता, आसमान. पहाड़ मतलब समस्त प्रकृति ही भगवान शिव को अभिषेक करने के लिय आतुर रहते हैं। पूरा श्रावण मास जलमय रहता है।



एक अन्य कथा भी है जब माता गंगा पृथ्वी पर नहीं आ रही थीं तो भागीरथी जी ने उनसे प्रार्थना किया और उनको वरदान दिया की प्रत्येक श्रावण मास में कोई भी नर नारी कोई भी व्यक्ति जब तक भगवान शिव पर आपको समर्पित नहीं करेगा तब तक उसकी पूजा सफल नहीं होगी इसी के चलते कांवड़ यात्रा का प्रचलन है। व्यक्ति गंगाजल को लेकर उपवास रखकर शिव का नाम जपते हुए भगवान शिव पर समर्पित करता है।

श्रावण मास में रुद्राभिषेक का अत्यंत महत्व
भगवान शिव का रुद्राभिषेक करके अनंत लाभ प्राप्त किया जाता है। जीवन में कोई कार्य पूर्ण न हो पा रहा हो या कोई बीमारी से ग्रस्त हो ,किसी की संतान न हो रही हो , विद्या प्राप्ति के लिए ,किसी की शादी न हो पा रही हो ऐसे स्थिति में रुद्राभिषेक करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और भगवान आशुतोष की कृपा बनी रहती है। श्रावण का सोमवार का अत्यंत महत्त्व रहता है। इस दिन की पूजा और उपवास अनंत लाभ देने वाला होता है। लेकिन किस सोमवार को कैसे पूजा की जाती है सोमवार के दिन किस नक्षत्र का प्रभाव रहता है और उस दिन चन्द्रमा किस राशि में वास करते हैं इसका अत्यंत महत्त्व रहता है। 2022 में श्रावण मास में चार सोमवार है और चारों सोमवार की मान्यता अपने आप में अत्यंत महत्वपूर्ण है।

श्रावण मास का प्रथम सोमवार : (देव गुरु बृहस्पति के नक्षत्र में )
श्रावण मास का प्रथम सोमवार 18 जुलाई को है। इस दिन पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में यह सोमवार मनाया जाएगा। तिथि कृष्णपक्ष पंचमी रहेगी। चूंकि यह नक्षत्र देवगुरु बृहस्पति का है और चन्द्रमा मीन राशि में प्रातः 06:35 मिनट पर संचार करेंगे जोकि अत्यंत कल्याणकारी योग बन रहा है। देवगुरु बृहस्पति का नक्षत्र होने की वजह से भगवान शिव पर दूध में केशर या सादा जल में केशर और हल्दी डालकर अभिषेक करने से जीवन से जुडी समस्त अड़चनें दूर होती हैं। विद्या प्राप्ति,रोजगार प्राप्ति,शादी विवाह हेतु , भवनसुख,संतान सुख हेतु भगवान शिव पर बेलपत्र हल्दी से सीता राम लिखकर समर्पित करें और पीले फूल की माला जरूर चढ़ाएं और मंत्र ” ॐ गौरी शंकराय नमः : ” या अपने गुरु मंत्र का जाप अवश्य करें। अनंत लाभ मिलेगा और आपकी मनोकामना पूर्ण होगी।

श्रावण मास का दूसरा सोमवार : (मंगल के नक्षत्र में )
श्रावण मास का दूसरा सोमवार 25 जुलाई कृष्णपक्ष द्वादशी में अर्थात सोम प्रदोष व्रत में है और मृगशिरा नक्षत्र रहेगा जोकि मंगल का नक्षत्र है और चन्द्रमा प्रातः अपनी उच्च राशि वृषभ में रहेंगे और 11:33 मिनट पर मिथुन राशि में संचार करेंगे। चन्द्रमा के उच्च राशि से भगवान शिव की पूजा अत्यंत कल्याणकारी माना गया है तथा यह एक दुर्लभ योग बना हुआ है। इस योग में भगवान शिव की पूजा अर्चना और उनका अभिषेक करने से अत्यंत लाभ प्राप्त होता है। इस दिन आप भगवान शिव को बेलपत्र के पत्तों पर सफेद चन्दन से राम लिखकर चढ़ाएं। सफेद पुष्प अर्पित करें ,रुद्राक्ष की माला चढ़ाएं और दूध से अभिषेक करें। इस दिन के पूजन से रोजगार की प्राप्ति , शत्रुओं का दमन,दाम्पत्य जीवन सुखमय रहता है ,उच्च विद्या की प्राप्ति होती है। “ॐ सोमेश्वराय नमः “का जाप अत्यंत लाभ देगा या अपना गुरु मंत्र का जप करें लेकिन सर्वप्रथम ॐ नमः शिवाय का जाप अवश्य करें।

श्रावण मास का तीसरा सोमवार : (शुक्र के नक्षत्र में )
श्रावण मास का तीसरा सोमवार 01 अगस्त, शुक्लपक्ष चतुर्थी पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में है, जोकि शुक्र का नक्षत्र है और चन्द्रमा सिंह राशि में रहेंगे और रात्रि 22:29 मिनट पर कन्या राशि में संचार करेंगे। इस दिन गणेश चतुर्थी दूर्वा गणपति व्रत के रूप में मनाया जाता है। इस दिन की पूजा में भगवान शिव पर बेलपत्र चढ़ाएं, आक का फूल चढ़ाएं और धतूरा अवश्य चढ़ाएं और घी से अभिषेक करें इससे शत्रुओं से,कोर्ट कचहरी कोई भी विवादित मामला हो कोई क़ानूनी अड़चन हो, कोई बीमारी हो इससे छुटकारा मिलता है। विशेषतः इस दिन पर समस्त पूजा के साथ आप भगवान शिव पर पांच दूर्वा अवश्य चढ़ाएं कोई भी एक मनोकामना मन में रखकर दूर्वा समर्पित करें आपकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी। ” ॐ नमः शिवाय :का जाप करे और अपने गुरु मंत्र का भी जाप अवश्य करें।

श्रावण मास का चौथा सोमवार : (बुध के नक्षत्र में )
श्रावण मास का चौथा सोमवार 08 अगस्त शुक्लपक्ष एकादशी ज्येष्ठा नक्षत्र में होगी जोकि बुध का नक्षत्र है और चन्द्रमा अपनी नीच राशि वृश्चिक में रहेंगे और दोपहर 14:37 मिनट पर धनु राशि में संचार करेंगे। बुध के नक्षत्र में भगवान शिव की पूजा अद्भुत रूप में कल्याणकारी होती है। भगवान को बेलपत्र और धतूरा सुगन्धित पुष्प, इत्र, खांड या शक्कर घी शहद से अभिषेक किया जाए इससे उन बच्चों को बहुत लाभ मिलता है जो बचपन में किसी न किसी बीमारी से ग्रसित है या किसी प्रकार की विकलांगता है, मंदबुद्धि हो। वो लोग जो शुगर, ब्लडप्रेशर या चर्म रोग से ग्रसित हो उनको अनंत लाभ प्राप्त होता है। पढ़ाई में सफलता हेतु ,किसी भी कार्य में सफलता हेतु जैसे डॉक्टर, कला की दुनिया से सम्बंधित लोग ,व्यवसायी या वो लोग जो गवर्नमेंट जॉब में कॉन्ट्रेक्चुअल जॉब पर हो उन्हें इस दिन की पूजा बहुत लाभ प्रदान करेंगी ” ॐ रामेश्वराय नमः : का जाप लाभकारी रहेगा गुरु मंत्र का जाप भी करें।

नोट- उपरोक्‍त दी गई जानकारी सिर्फ सामान्‍य सूचना के लिए हैं हम इसकी जांच या सत्‍यता की पुष्टि नहीं करते हैं। इन्‍हें अपनाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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