इंदौर न्यूज़ (Indore News)

कालिंदी गोल्ड, सैटेलाइट हिल्स व फिनिक्स के ठगोरों को 20 अप्रैल तक और मिली मोहलत

  • सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ाई तारीख, शासन-प्रशासन ने हैप्पी, चिराग, चम्पू, गर्ग सहित अन्य द्वारा अब तक किए सेटलमेंट की स्टेटस रिपोर्ट की प्रस्तुत

इंदौर। कालिंदी गोल्ड, सेटेलाइट हिल्स और फिनिक्स देवकॉन के ठगोरे और भूमाफिया को 20 अप्रैल तक सुप्रीम कोर्ट की और मोहलत मिल गई है। वहीं शासन-प्रशासन ने भी अभी 31 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में अभी तक किए गए सेटलमेंट की कार्रवाई का ब्योरा प्रस्तुत कर दिया।

पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने 26.11.2021 को दिए गए अपने आदेश में 31 मार्च तक का समय भूमाफिया चिराग शाह, चम्पू अजमेरा और हैप्पी धवन को दिया था और उसी आधार पर इनकी जमानतें भी हुई। वहीं अभी 31 मार्च को इस प्रकरण की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 20 अप्रैल तक के अपने पूर्व के आदेश को बढ़ा दिया। यानी इन ठगोरों को 20 अप्रैल तक का समय और सेटलमेंट के लिए मिला है। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट निर्णय करेगा। इधर शासन की ओर से इंदौर प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अभी तक हुई कार्रवाई का ब्योरा भी रख दिया, जिसमें कालिंदी गोल्ड सिटी, सेटेलाइट हिल्स और फिनिक्स देवकॉन के संबंध में अभी तक कितने पीडि़तों को भूखंड दिलवाए और कितने बच गए उसका लेखा-जेखा रखा गया।


इनामी भूमाफिया को जमानत देने से इनकार
इंदौर। संतोष देवकॉन प्रालि के एक डायरेक्टर को जिला कोर्ट ने अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी पर पांच हजार का इनाम घोषित कर रखा है। संतोष देवकॉन प्रालि में सुनील मंदवानी, उसके चचेरे भाई दीपक मंदवानी के अलावा राधेश्याम मंदवानी व मुकेश माटा निवासी पलसीकर कॉलोनी डायरेक्टर हैं। फरियादी योगेश अग्रवाल सहित 89 लोगों ने तेजाजीनगर पुलिस को शिकायत की थी कि मुलजिमों ने उनसे महालक्ष्मीधाम कॉलोनी लिंबोदी में प्लॉट बेचकर लाखों रुपए ले लिए, लेकिन उनके पक्ष में रजिस्ट्री नहीं कराई। मामले में पुलिस को मुकेश माटा की तलाश है।

उस पर पुलिस उपायुक्त झोन-1 ने पांच हजार रुपए का इनाम घोषित किया हुआ है। इस बीच मुकेश ने जिला कोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी लगवाई और खुद को बेकसूर बताते हुए तर्क दिया था कि पुलिस ने इस साल चालान पेश करने के बाद उसे आरोपी बनाया है, जबकि उसका मामले से कोई लेना-देना नहीं है। पुलिस ने जमानत देने का विरोध कर उसकी गिरफ्तारी लेने की जरूरत बताई और कहा कि मुलजिम की अपराध में मुख्य भूमिका है। उससे पूछताछ की जाना है। ऐसे में जज केशवमणि सिंहल ने अपराध की गंभीरता के मद्देनजर मुलजिम की जमानत अर्जी खारिज कर दी।

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