इंदौर न्यूज़ (Indore News)

लोटस वैली में विकास के लिए पर्यटन बोर्ड को नहीं मिल रही जमीन

इंदौर जिला प्रशासन से मांगी थी रिसॉर्ट-रेस्त्रां के लिए जगह… जवाब नहीं आया

इंदौर। शहर से सटे हातोद (Hatod) के पास स्थित लोटस वैली (Lotus Valely) के विकास में मप्र पर्यटन बोर्ड (Mp Tourism) ने भी रुचि ली है। बोर्ड को वहां रिसॉर्ट और रेस्त्रां आदि के प्रोजेक्ट के लिए सरकारी जमीन की जरूरत है और इसके लिए उसने इंदौर जिला प्रशासन (Indore district adminstration) को चिट्ठी लिखकर वैली के आसपास सरकारी जमीन तलाशने का आग्रह भी किया था। हालांकि इस मामले में इंदौर जिला प्रशासन की तरफ से अब तक पर्यटन बोर्ड को न तो कोई जवाब भेजा गया है और न कोई जमीन ढूंढी गई है।


बीते आठ-दस साल से हातोद-गुलावट रोड पर स्थित लोटस वैली बहुत लोकप्रिय हुई है। खासतौर पर मानसून सीजन के बाद से मार्च तक वहां हजारों लोग घूमने जाते हैं। यशवंत सागर के डेम के बेकवाटर के कारण यह प्राकृतिक झील की सुंदरता देखते ही बनती है, क्योंकि सीजन के दौरान वहां पानी में हजारों कमल के फूल दिखते हैं। ऐसा लगता है, मानों पानी की सतह पर गुलाबी रंग की चादर बिछा दी गई हो। बांस के घने पेड़, झील के सुंदर किनारों के कारण यह स्थल तेजी से पसंद किया जाने लगा है। शहर ही नहीं, बाहर से आने वाले पर्यटक भी वैली की सैर करने जाते हैं। लोटस वैली की दूरी शहर से करीब 20 किलोमीटर है और यह इलाका करीब 300 एकड़ जमीन पर फैला है।

सरकार ने ज्यादा कुछ नहीं किया

इतने महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल को लेकर सरकार ने यहां ज्यादा कुछ नहीं किया। आसपास के किसान लोटस वैली में कमल की खेती करते हैं। यहां के फूल देश के महानगरों तक भेजे जाते हैं। अब कुछ ग्रामीण वहां नाव से पर्यटकों को झील में घुमाते हैं। कुछ ग्रामीणों ने वहां नाश्ते-पानी की दुकानें लगा ली हैं। इसके लिए प्राकृतिक नजारों से भरपूर होने के कारण यहां सजी-संवरी गाडिय़ों, झूलों, मचानों आदि पर बैठकर लोग फोटो खिंचवाते हैं। हॉर्स राइडिंग की सुविधा भी ग्रामीणों ने ही उपलब्ध कराई है। पिछले कुछ साल से प्री वेडिंग शूट के लिए भी युवा लोटस वैली पहुंचकर अलग-अलग लोकेशन पर फोटो खिंचवाते हैं। सरकार ने झील पर पुल जरूर बनाया है, जो ग्रामीणों के साथ पर्यटकों के भी काम आता है।

सरकारी जमीन मांगी थी, जवाब का इंतजार है

बोर्ड ने पहले इंदौर जिला प्रशासन से लोटस वैली में रिसॉर्ट आदि के सरकारी जमीन मांगी थी, पर संभवत: वहां कोई सरकारी जमीन नहीं होगी। इसी कारण कोई जवाब नहीं आया। एक बार फिर इस बारे में जिला प्रशासन से बात करेंगे। वैली का विकास होगा, तो वहां सडक़ और दूसरी सुविधाएं स्वाभाविक रूप से जुटाई जाएंगी। – विवेक श्रोत्रिय, अतिरिक्त प्रबंध संचालक, मप्र पर्यटन बोर्ड

विकास के प्रयास किए जाएंगे

गुलावट के पास स्थित लोटस वैली वाकई बहुत खूबसूरत जगह है। मुझे पर्यटन बोर्ड द्वारा पत्र के माध्यम से जमीन मांगने की तो जानकारी नहीं है, लेकिन इस बारे में जमीन तलाशकर यथासंभव वहां के विकास के प्रयास किए जाएंगे।- इलैया राजा टी., कलेक्टर

ढंग का पहुंच मार्ग भी नहीं, सीजन  में होता है ट्रैफिक जाम

हालत यह है कि इतने वर्षों में लोगों को लोटस वैली तक सुविधाजनक तरीके से पहुंचाने के लिए सरकार एक अच्छी सडक़ भी उपलब्ध नहीं करा पाई है। अभी हातोद के संकरे, ऊबड़-खाबड़ रास्तों से होते हुए लोग बमुश्किल पहुंच पाते हैं। वैली का रास्ता बताने वाले दिशासूचक बोर्ड भी लगाने की जहमत नहीं उठाई गई। लोग ग्रामीणों से रास्ता पूछकर वहां पहुंचते हैं। रास्ते में पर्याप्त रोशनी भी नहीं है। शहर के जनप्रतिनिधि भी वहां के विकास में ज्यादा रुचि नहीं लेते। आधिकारिक सूत्र भी मानते हैं कि लोटस वैली पर यदि पर्याप्त ध्यान दिया जाए, तो यह काफी ख्याति बटोर सकती है।

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