इंदौर न्यूज़ (Indore News)

स्कॉलरशिप से दो दोस्तों ने खड़ा किया कारोबार


अपने प्रोडक्ट की खुद मार्केटिंग कर व्यापार को दी उंचाईयां
इन्दौर।  अपनी शिक्षा पुरी होते ही अक्सर युवा अच्छी नौकरी की तलाश में जुट जाते है, मगर ऐसे भी बिरले होते है जो अपनी पढ़ाई के साथ ही ठान लेते है कि वह शिक्षा ग्रहण करने के बाद कम से कम नौकरी तो नहीं करेंगे और करेंगे तो कुछ ऐसा करेंगे की दुनिया देखती रह जाएगी। यही सोचकर वॉशिंग पाउडर का व्यापार शुरू किया था। 3 लोगों ने से शुरू किया गए व्यापार में आज 21 लोग काम करते है।
प्राथमिक कक्षाओं से साथ में अध्ययन करने वाले छावनी निासी मनीष खंडेलवाल और संजय गोयल पहले से ही सम्पन्न घर से सम्पन्न थे। दोनों ने जब कॉलेज की पढ़ाई एक साथ शुरू की तो आगे के भविष्य में क्या करना है। इस पर दोनों एकांत में बैठकर विचार-विमर्श किया करते थे। एक दिन दोनों ने तय किया कि हम किसी की नौकरी करने की बजाए खुद का बिजनेस शुरू करेंगे जिससे हम किसी को नौकरी देने लायक बन सके। अपनी पढ़ाई पुरी करते ही दोनों ने कई व्यवसाय के संबंध में जानकारियां हासिल करना शुरू कर दिया और उसी बीच तय किया कि हम वॉशिंग पावडर का व्यवसाय करेंगे जो हमेशा चलता रहता है। दोनों का एक ही मत था कि गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाए तो प्रोडक्ट अपने-आप बाजार में बिकने लगता है। इसी बीच 1992 में मनीष को कॉलेज से मेरिट छात्रवृत्ति के रूप में 7500 रूपए मिले। स्कॉलरशिप में मिले रूपयों को लेकर दोनों दोस्तों ने निश्चय किया कि इसी पूंजी से हम व्यापार शुरू करेंगे। दोनों ने शहर से वॉशिंग पावडर बनाने का सामान खरीदा और 50 किलो माल तैयार करके बाजार में बिकवाना शुरू किया। अपने बनाए माल की दोनों दोस्त खुद ही मार्केटिंग करते थे। इसी के साथ व्यापारियों के साथ ही घरेलू महिलाओं से मिलकर वह अपने प्रोडक्ट में सुधार के लिए उनसे सुझाव भी एकत्र करते थे, जिससे वह अपने प्रोडक्ट में सुधार भी करते चले गए।
3 राज्यों में सप्लाय होता है वॉशिंग पावडर
दोनों मित्रों ने गुणवत्ता का ध्यान रखते हुए अपने कारोबार को बढ़ाने में काफी मेहनत की, जिसका परिणाम यह हुआ कि मध्यप्रदेश क बाद वॉशिंग पावडर राजस्थान व महाराष्ट्र के कुछ हिस्से में भी लोगों की पंसद बन गया और वहां पर भी उसे उपयोग में लाया जाने लगा। वॉशिंग पाउडर की जब डिमांड बढऩे लगी तो इन्होंने अपने कर्मचारियों की संख्या भी बढ़ाना शुरू की। वर्तमान में दोनों के यहां करीब 21 लोगों का स्टाफ काम करता है जिसमं 16 लोग वॉशिंग पाउडर बनाने में लगे रहते है तो वहीं 5 लोग मध्यप्रदेश और राजस्थान जाकर उसकी मार्केटिंग करते है। इन्दौर और आगर की कई सामाजिक संस्थाओं से जुड़े दोनों दोस्त करीब 27 बार रक्तदान भी कर चुके हंै।
शहर से ही फैलाया दोनों दोस्तों ने व्यापार
4 साल तक आगर व उसके आसापास के क्षेत्र में अपना माल बेचने वाले इन दोस्तों को यह समझ आ गया था कि यदि प्रदेश स्तर पर अपने प्रोडक्ट की पहचान बनाना है तो हमें व्यापारिक नगरी इन्दौर का रूख करना पड़ेगा। तब दोनों ने निर्णय लिया और 1996 में इन्दौर चले आए और यहां पर 3 कर्मचारियों के साथ खुद माल बनवाना शुरू किया,जिसकी वह खुद ही मार्केटिंग करते थे।

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