उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News)

साँप काटने से मौत के मामले में उज्जैन सुरक्षित, कम जानें गईं

  • अग्निबाण विशेष : भारत में मध्यप्रदेश सबसे आगे-अब तक हो चुकी है 31 हजार लोगों की मौत

उज्जैन। बारिश के मौसम में साँप के काटने के मामले ज्यादा होते हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भारत में हर साल 60 हजार लोगों की मौत साँप के काटने के कारण हो जाती। इसमें मध्यप्रदेश सबसे आगे है। अच्छी खबर यह है कि प्रदेश में उज्जैन की स्थिति साँप
के काटने से मौत होने के मामलों में सेफ जोन में हैं। स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड मेंबर और सरीसृप संरक्षण एवं शोध केंद्र के डायरेक्टर मुकेश इंगले ने बताया कि एक अध्ययन के अनुसार भारत में प्रतिवर्ष सर्पदंश से 55 से 60 हजार लोगों की मौत हो जाती है। इनमें से ग्रामीण इलाकों में होने वाली मौतें 97 फीसदी हैं। साँप काटने से हुई मौतों के मामले में मध्य प्रदेश नंबर वन पर है। इसके बाद छत्तीसगढ़ और गुजरात प्रदेश आते हैं। पिछले दस सालों के आंकड़ों की बात करे तो म.प्र. में अब तक 31 हजार लोगों की मौत साँप के काटने की वजह से हो चुकी है। ज्यादातर मौतें रसेल व कोबरा प्रजाति के साँपों के काटने से हुई है। इसी तरह अन्य मौतें साँपों की अन्य प्रजातियों के काटने और समय पर उपचार नहीं मिलने से हुई है। रिकॉर्ड के मुताबिक कुल मौतों में से 90 प्रतिशत मौतें मानसून काल (जून से सितंबर) में हुई हैं। इस अवधि में बारिश के कारण साँप अपने बिल से बाहर निकलते हैं। इधर साँप के काटने से मौत के मामलों में म.प्र. के जिलों की बात करें तो छिंदवाड़ा, सागर, सतना, दमोह और बैतूल का स्थान सबसे आगे बना हुआ है। यानि साँप के काटने से मौत होने का आँकड़ा इन पाँच जिलों में सबसे ज्यादा हैं। उज्जैन का स्थान प्रदेश के अन्य जिलों की सूची में 51वें नंबर पर हैं। इसलिए उज्जैन सेफ और सुरक्षित जोन में बना हुआ है।

प्रयोगशाला, मल्टीमीडिया लाइब्रेरी का मिलेगा लाभ
सरीसृप संरक्षण एवं शोध केंद्र के डायरेक्टर श्री इंगले बताते है कि संस्थान का उद्देश्य है कि प्रकृति को नुकसान पहुँचाए बिना हर नागरिक को बुनियादी स्वास्थ्य, शिक्षा और सशक्तिकरण प्रदान करके एक बेहतर समाज का निर्माण करना है। वर्तमान में मध्यप्रदेश शासन, सांसद क्षेत्र विकास निधि, गेल सीएसआर निधि एवं नगर निगम के संयुक्त प्रयासों से केंद्र की एकीकृत विकास योजनान्तर्गत सभागृह व प्रशिक्षण केंद्र, सर्प व्याख्या केंद्र, सरीसृप विज्ञान प्रयोगशाला, मल्टीमीडिया लाइब्रेरी एवं रेपटाइल हाउस आदि विकास कार्य कराए जा रहे हैं। केंद्र में एक आधुनिक सुसज्जित मल्टीमीडिया लाइब्रेरी भी होगी, जिसमें शोधार्थी अध्ययन कर सकेंगे।


चार लाख का मुआवजा देती है सरकार
मप्र सरकार ने सर्पदंश से होने वाली मौत को राज्य में आपदा घोषित किया है। यहाँ साँप के काटने से होने वाली मौत पर पीडि़त परिवार को चार लाख रुपये का मुआवजा दिया जाता है। मुआवजे का क्लेम करने के लिए सीएचसी-पीएचसी या किसी भी सरकारी अस्पताल से उसका प्रमाण जरूर है। मुआवजे का आवेदन एसडीओ और कलेक्टर रैंक के अधिकारी को किया जाता है। 2019 के पहले मध्यप्रदेश सरकार द्वारा साँप काटने से मरने के मामले में मृतक के परिजनों को 60 हजार रुपए की मदद दी जाती थी जिसे अब बढ़ाकर 4 लाख रुपए कर दिया गया है लेकिन जानकारी के अभाव में अधिकांश लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि उज्जैन में जिनको सांप ने काटा उन्हें मुआवजा दिया गया।

1.75 करोड़ की लागत से बन रहा है दुनिया का पहला डिजिटल सर्प व्याख्या केंद्र
बसंत विहार स्थित सरीसृप संरक्षण एवं शोध केंद्र में 1.75 करोड़ की लागत से दुनिया का पहला डिजिटल सर्प व्याख्या केंद्र बनाया जा रहा है जो अगस्त 2023 तक तैयार हो जाएगा। यह देश का पहला साँपों का म्यूजियम होगा। जहाँ एक स्थान पर साँपों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यहाँ आधुनिक सुसज्जित मल्टीमीडिया लाइब्रेरी होगी, जिसमें शोधार्थी अध्ययन कर सकेंगे। इसके अलावा विजिटर्स के मनोरंजन के लिए एक पार्क बनाया जाएगा। म्यूजियम में साँपों को पकडऩे का प्रशिक्षण दिया जाएगा। आमजन और विद्यार्थियों के साथ बाबा महाकाल की नगरी में आने वाले पर्यटकों के लिए भी यह आकर्षण का केंद्र होगा। इस केंद्र में सरीसृपों व सांपों, छिपकलियों, कछुओं आदि जीवों के लिए उचित आवास, रहन-सहन की व्यवस्था होगी, जिसमें आगंतुक प्राकृतिक आवासों में इन्हें देख पाएँगे, साथ ही डायोरामा भी होंगे, जिनमें इन जीवों से जुड़े विविध पक्षों को प्रदर्शित किया जाएगा। यहाँ विभिन्न शैक्षणिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा, साथ ही विद्यार्थी एवं इच्छुक लोगों के लिए सांपों-सरीसृपों संबंधी सर्टिफिकेट, डिप्लोमा एवं डिग्री कोर्सेज भी शुरु किए जाएँगे।

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