नई दिल्ली। एक नए अध्ययन के अनुसार चीन के वुहान से आए मूल स्वरूप की तुलना में कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट, वैक्सीन से उत्पन्न एंटीबॉडी के प्रति आठ गुना कम संवेदनशील है। यह स्टडी यहां सर गंगा राम अस्पताल (एसजीआरएच) सहित भारत के तीन केंद्रों पर 100 से अधिक स्वास्थ्य कर्मियों (एचसीडब्ल्यू) पर किया गया था।
स्टडी में पाया गया कि बी.1.617.2 डेल्टा स्वरूप न केवल गैर-डेल्टा संक्रमणों (सीटी मूल्य 16.5 बनाम 19) की तुलना में उच्च श्वसन वायरल लोड के साथ संक्रमणों पर हावी है बल्कि पूरी तरह से टीकाकरण करा चुके एचसीडब्ल्यू के बीच अधिक संचरण भी उत्पन्न करता है।
एंटीबॉडी के प्रति 8 गुना कम संवेदनशील
‘कैम्ब्रिज इंस्टीट्यूट ऑफ थेराप्यूटिक इम्यूनोलॉजी एंड इंफेक्शियस डिजीज’ के वैज्ञानिकों के साथ किये गये अध्ययन, ‘सार्स-सीओवी-2 बी.1.617.2 डेल्टा वेरिएंट इमर्जेंस एंड वैक्सीन ब्रेकथ्रू: कोलैबोरेटिव स्टडी’ की अभी समीक्षा की जानी बाकी है। अध्ययन में पता चला है कि वुहान -1 की तुलना में डेल्टा वैरिएंट टीकों द्वारा उत्पन्न एंटीबॉडी के प्रति आठ गुना कम संवेदनशील है।
‘स्टडी से साफ हुआ अभी मीलों दूर जाना है’
इंस्टीट्यूट ऑफ क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजी एंड इम्यूनोलॉजी, एसजीआरएच के अध्यक्ष डॉ. चंद वट्टल ने कहा, ‘इस अध्ययन से, ऐसा प्रतीत होता है कि हमें कोविड-19 महामारी के मामले में मीलों दूर जाना है। यदि हम अपनी सुरक्षा को कम करते हैं और खुद को इस वायरस का शिकार होने का मौका देते है तो ये उत्परिवर्तन ( म्यूटेशन) होना तय है।’
WHO के अनुसार, एक वायरस खुद की नकल करता है उसकी कॉपियां बनाता है, जो एकदम सामान्य बात है। वायरस में होने वाले इन बदलावों को म्यूटेशन कहते हैं। एक या एक से ज्यादा नए म्यूटेशन वाले वायरस को ऑरिजनल वायरस के वैरिएंट के रूप में जाना जाता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि जब कोविड-19 वायरस की बात हो, तो यह कई स्ट्रेन में बदल गया है, जिनमें से डेल्टा वैरिएंट B.1.617.2 को अब तक का सबसे खतरनाक वैरिएंट माना जा रहा है।
जब किसी विशेष वायरस के संकेतों की बात आती है तो इसके लिए कई लोगों के पर्याप्त डाटा एकत्रित करने की जरूरत होती है। चूंकि डेल्टा वेरिएंट मूल स्ट्रेन का बदला हुआ रूप है, इसलिए कहा जाता है कि म्यूटेशन के दौरान लक्षण भी बदल जाते हैं।
एक मोबाइल ऐप के जरिए एक सेल्फ रिपोर्ट करने वाली प्रणाली का इस्तेमाल करते हुए ब्रिटेन में जारी हुए डेटा बताते हैं कि कोविड के आम लक्षणों में बदलाव आ गया है, जिन्हें हम ऑरिजनल वायरस से जोड़कर देखते हैं।
बुखार, खांसी, सिरदर्द और गले में खराश कोविड -10 के आम लक्षण हैं। लेकिन नाक बहना जैसा लक्षण पहले कभी नहीं देख गया । सूंघने की क्षमता कम हो जाना या चली जाना भी बेहद आम था, लेकिन अब नौवां सबसे आम लक्षण है।
विशेषज्ञों का मानना है कि लक्षणों में बदलाव टीकाकरण अभियान का परिणाम हो सकता है। इसके अलावा लक्षणों में बदलाव के पीछे वायरस का विकास भी एक कारण हो सकता है। डेल्टा वैरिएंट की विभिन्न विशेषताओं को देखते हुए लक्षण बदलना स्वभाविक है। लेकिन लक्षण आखिर क्यों बदल रहे हैं, इस सवाल का जवाब निर्धारित करना मुश्किल है।
डेल्टा वेरिएंट के विकसित होने के बाद अब सवाल यह उठता है कि क्या कोविड वैक्सीन नए डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ लड़ने में सक्षम होगी। अध्ययनों ने दावा किया है कि कुछ कोविड वैक्सीन डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी साबित हो सकते हैं। भारत बायोटेक के कोवैक्सीन और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के कोविशील्ड और रूस निर्मित वैक्सीन स्पुतनिक- वी सभी को डेल्टा वेरिएंट के लिए प्रभावी बताया गया है। इसके अलावा यूके के एक अध्ययन के अनुसार, फाइजर बायोएनटेक वैक्सीन अस्पताल में भर्ती होने के जोखिम को कम करने में अच्छा प्रभाव दिखाती है।
हर दिन उभरते आंकड़े बताते हैं कि हमें अभी भी पूरी सावधानी बरतनी चाहिए और डेल्टा वैरिएंट के बारे में ज्यादा जानकारी हासिल करनी चाहिए। इसके लक्ष्षणों को नजरअंदाज करना खतरनाक साबित हो सकता है। क्योंकि जिसे हम मामूली सर्दी-जकुाम समझ रहे हैं, कहीं न कहीं ये कोविड-19 का ही लक्षण हैं।
‘वायरस शिकार पर है औऱ अभी भी अपने शिकार की तलाश में है’
डॉ. चंद वट्टल ने कहा, ‘यह पूरी तरह से टीकाकरण करा चुके लोगों के लिए आंख खोलने जैसा है कि आप टीकाकरण के नाम पर एहतियाती उपायों को कम नहीं कर सकते हैं। वायरस शिकार पर है, अभी भी अपने शिकार की तलाश में है। यह म्यूटेंट बढ़ी हुई स्पाइक प्रोटीन के साथ वापस आ गया है जिसमें वुहान स्वरूप की तुलना में लोगों को संक्रमित करने की अधिक क्षमता है।’
स्टडी में और क्या-क्या है?
अध्ययन में कहा गया है कि हाल के आंकड़ों और इस प्रकार के नए संक्रमणों के प्रभुत्व के आधार पर, बी .1.167.2 डेल्टा स्वरूप ब्रिटेन में बी.1.1.7 की तुलना में अधिक संक्रामक प्रतीत होता है।