विदेश

पाकिस्तान में 4 महिलाओं के साथ बर्बरता, बेकाबू भीड़ ने की डंडों से पिटाई, उतारे कपड़े

इस्लामाबाद । जिस वक्त पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) भीड़ की हिंसा पर ज्ञान दे रहे थे, चार महिलाओं के साथ क्रूरता की सारी हदें पार की जा रही थीं. फैसलाबाद (Faisalabad) में कुछ युवकों ने न केवल इन महिलाओं के साथ मारपीट की बल्कि उनके कपड़े भी उतार दिए. बीच सड़क पर महिलाओं के साथ हैवानियत होती रही और इमरान की पुलिस (PAK Police) का कहीं पता नहीं था. इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है.

घटना को लेकर सरकार से नाराज आवाम
वीडियो के साथ दावा किया गया कि महिलाएं चोरी करती हुईं पकड़ी गईं थीं, जिसके बदले में उनके कपड़े उतरवा दिए गए और उनकी डंडों से पिटाई की गई. इस घटना को लेकर लोगों में सरकार के खिलाफ गुस्सा है. हालांकि, बाद में पंजाब पुलिस (Punjab Police) ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार करने की बात कही है. पुलिस का कहना है कि वारदात में शामिल आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है.


इधर, इमरान बोले- हिंसा बर्दाश्त नहीं
वहीं, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का कहना है कि उनकी सरकार धर्म के नाम पर भीड़ की हिंसा को बर्दाश्त नहीं करेगी और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को नहीं बख्शेगी. इमरान भीड़ द्वारा मारे गए श्रीलंकाई नागरिक प्रियंता कुमारा के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय में आयोजित एक शोक सभा को संबोधित कर रहे थे. कुमारा की पिछले हफ्ते पंजाब प्रांत के सियालकोट में ईशनिंदा के आरोप में भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी और उसके शव को आग लगा दी थी.

‘सियालकोट जैसी घटनाएं शर्म की बात’
इमरान खान ने कहा कि पाकिस्तान एकमात्र ऐसा देश है जिसकी स्थापना इस्लाम के नाम पर हुई थी, लेकिन सियालकोट जैसी घटनाएं शर्म की बात हैं. उन्होंने कहा कि हम पूरी तरह से अलग दिशा में जा रहे हैं और राष्ट्र को पैगंबर के जीवन का अध्ययन करना चाहिए. खान ने कहा कि सियालकोट के व्यापारिक समुदाय ने मृतक श्रीलंकाई नागरिक के परिवार के लिए 100,000 डॉलर एकत्र किए हैं. उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवार को सरकार भी आर्थिक मदद उपलब्ध कराएगी.

जान दांव लगाने वाला होगा सम्मानित
पीएम खान ने कहा, ‘देश में रोल मॉडल महत्वपूर्ण है, क्योंकि लोग उनका अनुसरण करते हैं. नैतिक शक्ति शारीरिक शक्ति से अधिक महत्वपूर्ण होती है. युवा इस बात को याद रखेंगे कि कैसे अदनान ने उन राक्षसों (भीड़) का सामना किया. अदनान को इस कार्य के लिए ‘तमगा-ए-शुजात’ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा.’ गौरतलब है कि अदनान ने श्रीलंकाई नागरिक को भीड़ से बचाने के लिए अपनी जान दांव पर लगा दी थी.

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