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कोरोना का नया वैरिएंट ईजी.5.1 से बढ़ने लगे केस, जानें लक्षण और कितना है खतरनाक

नई दिल्‍ली (New Dehli) । विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, ओमिक्रॉन (omicron) वैरिएंट का एक वंशज (descendants) ईजी.5.1 के कारण दुनिया (World) में कोरोना (Corona) के मामले बढ़े हैं. ईजी.5.1 दुनिया भर में रिपोर्ट किया गया है जिसमें विशेष रूप से एशिया (Asia) और अमेरिका (America) शामिल हैं. यह वैरिएंट क्या है, कितना खतरनाक है, इसके लक्षण और बचने के उपाय क्या हैं? इस बारे में आर्टिकल में जानेंगे.


Omicron new subvariant EG.5.1- कोरोना के मामले कम होने के कारण लोगों ने राहत की सांस ली ही थी कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने फिर से कोरोना को लेकर नया अपडेट दिया है. डब्ल्यूएचओ ने मई में घोषणा की थी कि कोविड ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी नहीं है लेकिन हाल ही में डब्ल्यूएचओ ने अपने वीकली अपडेट में कहा है कि दुनिया भर में रिपोर्ट किए गए नए कोविड -19 मामलों की संख्या में पिछले महीने 80 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी देते हुए कहा है, ‘वायरस फैलता रहेगा और म्यूटेट होता रहेगा. इससे अस्पताल में भर्ती होने और कभी-कभी मौत के आंकड़ों में भी वृद्धि देखने भी मिल सकती है. रिपोर्ट किए गए मामलों और मौतों की एकदम सटीक संख्या बताना मुश्किल है क्योंकि महामारी के पहले चरण की तुलना में अभी बहुत कम टेस्टिंग और मॉनिटरिंग हो रही है.’

खतरनाक वैरिएंट को लेकर जताई चिंता

WHO ने बताया, ‘ओमिक्रॉन वैरिएंट के सब-वैरिएंट ईजी.5.1 के कारण अमेरिका और ब्रिटेन में मामले बढ़े हैं. जून 2023 के मध्य में इस ईजी.5 के 7.6 प्रतिशत मामले थे जो जुलाई के मध्य में 17 प्रतिशत से अधिक हो गए थे. यानी कि एक महीने में ही ईजी.5.1 के कुल मामलों में लगभग 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.‘

 

भारत में अभी तक ईजी.5.1 वैरिएंट का केवल एक मामला सामने आया है जो मई 2023 में सामने आया था. डब्ल्यूएचओ ने 19 जुलाई 2023 को ईजी.5.1 पर बारीकी ने नजर रखने के लिए कहा था. डब्ल्यूएचओ चीफ टेड्रोस एडनॉम घेबियस ने चेतावनी दी कि ‘आने वाले समय में अधिक खतरनाक वैरिएंट उभरने का खतरा बना हुआ है जो मामलों और मौतों में अचानक वृद्धि का कारण बन सकता है.’ ईजी.5.1 वैरिएंट क्या है और इसके लक्षण क्या हैं? इस बारे में भी जान लीजिए.

39 देशों में पाया गया ईजी.5.1

ईजी.5.1 को एरिस नाम से जाना जाता है. इसके उभरने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने ओमिक्रॉन वैरिएंट के परिवार ईजी.5 को “वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट” डिक्लेयर किया है. EG.5.1 में दो अतिरिक्त F456L और Q52H म्यूटेशन हैं जबकि EG.5 में केवल F456L है. ईजी.5.1 में एक्स्ट्रा छोटा म्यूटेशन, स्पाइक प्रोटीन में Q52H म्यूटेशन के कारण ईजी.5.1, ईजी.5 के मुकाबले तेजी से फैलता है.

बीजे गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, पुणे के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रोफेसर और हेड डॉ. राजेश कार्यकार्टे (Dr Rajesh Karyakarte) ने कहा, ‘ईजी.5.1, ओमिक्रॉन वैरिएंट XBB.1.9.2 का सब-वैरिएंट है. इसके मूल स्ट्रेन की तुलना में इसमें दो अतिरिक्त स्पाइक म्यूटेशन (Q52H, F456L) हैं. यह सब-वैरिएंट 39 देशों और 38 अमेरिकी राज्यों में पाया गया है.’

पुणे के इंस्टीट्यूट ऑफ संक्रामक रोग के डायरेक्टर डॉ. संजय पुजारी (Dr Sanjay Pujari) ने कहा, ‘ERIS कोई आधिकारिक शब्द नहीं है लेकिन इसका उपयोग सरल भाषा के लिए किया जाता है. वैरिएंट EG.5.1. को देखकर ऐसा लगता है कि अभी दुनिया के अधिकांश क्षेत्रों में कोविड-19 संक्रमण के अनुपात में वृद्धि में इस सब-वैरिएंट का भी योगदान है.’

क्या है ईजी.5 सब-वैरिएंट?

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी-पुणे) के एक वैज्ञानिक ने नाम ना छापने का अनुरोध करते हुए कहा, ‘नए कोविड वैरिएंट को लेकर चिंताएं हैं. इसकी उत्पत्ति XBB1.9 से हुई है. हालांकि भारत में इसका कोई बड़ा असर नहीं है. हमारी नई रिसर्च से पता चलता है कि इस सब-वैरिएंट का एक मामला था जो मई में पाया गया था और हो सकता है, वह शख्स देश के बाहर से आया हो.’

स्पाइक प्रोटीन में म्यूटेशन के कारण ऐसा लगता है कि यह अन्य फैलने वाले वैरिएंट्स की तुलना में अधिक संक्रमक है. डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि इस सब-वैरिएंट में इम्यूनिटी को चकमा देने की क्षमता है लेकिन ऐसा कोई संकेत नहीं है कि ईजी.5.1 अधिक गंभीर कोविड लक्षणों का कारण बन सकता है.

यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी (UKHSA) के अनुसार, ईजी.5.1 को पहली बार 31 जुलाई को यूके में देखा गया था. यूकेएचएसए ने कहा है कि यूके में सात नए कोविड मामलों में से एक एरिस वैरिएंट का पाया जा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने ‘एरिस’ वैरिएंट के मामलों में वृद्धि को लेकर चिंता जताई है. हालांकि, यह भी बताया है कि कोविड-19 का यह नया वैरिएंट पिछले वैरिएंट से अधिक गंभीर नहीं है.

संक्रामकता, लक्षण और गंभीरता क्या है?

ईजी.5.1 वैरिएंट के लक्षणों और गंभीरता का आंकलन करने के लिए यूकेएचएसए और डब्ल्यूएचओ ईजी.5.1 की निगरानी कर रहे हैं. डॉ. कार्यकार्टे ने कहा, ‘अब तक ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है कि ईजी.5.1 अन्य वैरिएंट की तुलना में अधिक गंभीर बीमारी का कारण बन रहा है, हॉस्पिटल में एडमिट होने या मृत्यु का जोखिम बढ़ रहा है.

डॉ. पुजारी ने बताया, ‘ऐसा लगता है कि यह अधिक संक्रामक है लेकिन यह वैरिएंट वैक्सीनेशन वाले व्यक्तियों में गंभीर बीमारी का का कारण नहीं बनता. हालांकि, मामलों की अधिक संख्या होने से लॉन्ग कोविड के मामले बढ़ सकते हैं.’

नया वैरिएंट चिंता का विषय है?

डॉ. कार्यकार्टे ने कहा, ‘भारत में अब तक, ईजी.5.1 वैरिएंट का केवल एक मामला दर्ज किया गया है जिसकी पहचान मई 2023 में पुणे में हुई थी. इसके बाद जून और जुलाई में कोरोना के मामलों में कोई वृद्धि नहीं हुई है. यह सब-वैरिएंट भारत में कोई अधिक प्रभाव डालने में सक्षम नहीं है. यह जरूरी है कि हम सतर्क रहें और सावधानी भी रखें.’

लक्षण और बचने के उपाय

WHO के मुताबिक, ईजी.5.1 वैरिएंट के मुख्य लक्षण गले में खराश, बहती या बंद नाक, छींक आना, सूखी खांसी, सिरदर्द और शरीर में दर्द हैं लेकिन अधिकांश मरीजों को बुखार और सांस फूलने की समस्या भी हो रही है.

बुजुर्ग, कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग और गर्भवती महिलाओं को इस वैरिएंट से जोखिम हो सकता है. वैक्सीनेशन, हाथ साफ रखना, सोशल डिस्टेंसिंग, भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना, मास्क पहनना इस वैरिएंट से बचने का अच्छा ऑपशंस है. अगर किसी को किसी भी प्रकार की सांस संबंधी बीमारी है तो घर पर रहना उसके लिए अच्छा तरीका है.

संक्रामक रोग विशेषज्ञ, डॉ. अमित द्रविड़ (Dr Amit Dravid) के अनुसार, ‘वर्तमान में कई बीमारियों के मामले सामने आ रहे हैं जिसमें H3N2, H1N1, डेंगू और टाइफाइड भी शामलि हैं इसलिए सर्दी, खांसी और बुखार के मरीजों को भी मेडिकल सहायता लेनी चाहिए ताकि उसके कारण का पता लग पाए. साथ ही कोरोना की टेस्टिंग और स्क्रीनिंग भी करानी चाहिए.

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