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चौथे चरण में 10 राज्यों की 96 सीटों के लिए होगा मतदान, 2019 से इस बार काफी अलग होगा मुकाबला

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 (lok sabha election 2024) के तीसरे चरण की वोटिंग के बाद आधा सफर पूरा हो गया है और अब बारी चौथे चरण की है. चौथे चरण में 10 राज्यों की 96 लोकसभा सीटों (96 Lok Sabha seats) के लिए 1717 उम्मीदवार मैदान में है, जिनकी किस्मत का फैसला मतदाता 13 मई को करेंगे. इस चरण में उन सीटों पर सियायी दलों का चुनावी इम्तिहान है, जहां कांग्रेस का एक समय दबदबा हुआ करता था. पीएम मोदी के अगुवाई में बीजेपी ने 10 साल पहले कांग्रेस को पस्त कर दिया (BJP defeated Congress 10 years ago) था और इकाई के अंक तक सीमित हो गई थी. बीजेपी अपने गढ़ को बचाए रखने तो कांग्रेस उसे छीनने की कवायद में है, लेकिन चौथे फेज का असल चुनाव 32 सीटों पर टिका हुआ है. ये सीटें वो हैं, जो किसी भी दल का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखती हैं?

2024 के चुनाव के चौथे चरण में जिन 10 राज्यों की 96 सीटों पर चुनाव है. इस चरण में तेलंगाना की 17, आंध्र प्रदेश की 25, बिहार की 5, जम्मू कश्मीर की 1, झारखंड की 4, मध्य प्रदेश की 8, महाराष्ट्र की 11, ओडिशा की 4,पश्चिम बंगाल की 8 और उत्तर प्रदेश की 13 लोकसभा सीटों पर चुनाव है. इन 96 सीटों पर 13 मई को मतदान के साथ देश के 18 राज्य और 4 केंद्र शासित प्रदेशों में लोकसभा चुनाव की वोटिंग खत्म हो जाएगी. इतना ही नहीं 379 सीटों पर भी चुनाव पूरे हो चुके होंगे. इसके बाद आगे के तीन चरणों में 163 सीट पर जोर आजमाइश होगी.


लोकसभा चुनाव के चौथे चरण की जिन 96 सीटों पर 13 मई को वोटिंग हो रही है, उस पर 2019 में बीजेपी का पलड़ा भारी रहा था. 2019 के चुनाव में बीजेपी 89 सीटों पर लड़कर 42 सीटें जीतने में सफल रही थी. 2014 में 38 सीटें और 2009 में 10 सीटें ही जीतने में कामयाब रही थी. वहीं, कांग्रेस 2019 में 85 सीटों पर लड़कर महज 6 सीटें ही जीत सकी थी और 2014 के चुनाव में तीन और 2009 में 50 लोकसभा सीटें जीतने में सफल रही.

वहीं, इस चरण में क्षेत्रीय दलों ने कांग्रेस से बेहतर प्रदर्शन किया था. वाईएसआर कांग्रेस ने 2019 में 22 सीटें जीतने में सफल रही थी जबकि 2014 में उसे 9 सीटें मिली थी. तेलंगाना में बीआरएस 2019 (तब टीआरएस) में 9 सीटें जीती थी जबकि 2014 में 11 और 2009 में दो सीटें जीतने में कामयाब रही थी. इसके अलावा 17 सीटें अन्य दलों को मिली थी जबकि सपा, बसपा और आरजेडी जैसे दल एक भी सीट नहीं जीत सकी थी.

चौथे चरण की 96 सीट पर पिछले तीन लोकसभा चुनाव के नतीजे को देखते हैं तो एक बात साफ है कि कांग्रेस का ग्राफ तेजी से घटा है और बीजेपी का आधार बढ़ा है. 2019 में बीजेपी जिन 89 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, उनमें से 43 सीटों पर का वोट शेयर 40 फीसदी से अधिक था जबकि कांग्रेस को 43 सीटों पर 10 फीसदी से भी कम वोट शेयर मिला था. इससे एक बात साफ साफ है कि बीजेपी के लिए इस चरण में चुनौती देना कांग्रेस के लिए आसान नहीं है, लेकिन तेलंगाना में सत्ता परिवर्तन होने के बाद सियासी हालत बदले हुए हैं.

2024 के लोकसभा चुनाव में चौथे चरण में की 96 लोकसभा सीटों का विश्लेषण करते हैं तो उसमें 21 सीटें वो हैं, जो हर चुनाव में स्विंग करती है. इसके अलावा 11 सीटों पर जीत-हार का अंतर एक फीसदी से भी कम था. इस तरह से 32 लोकसभा सीटों पर असल सियासी खेल इस बार है, क्योंकि इन सीटों के नतीजे किसी भी करवट बदल सकते हैं.

चौथे चरण में स्विंग होने वाली 21 सीटों में निजामाबाद, करीमनगर, अमलापुरम, अनाकापल्ली, अनंतपुर, बापटला, एलुरु, काकीनाडा,नरसापुरम, राजमुंदरी, मुंगेर, खम्मम, ख्विशाखापत्तनम, विजयनगरम, खम्मम, श्रीनगर, भोंगिर, मल्काजगिरी, सिंहभूम, आदिलाबाद, बर्दवान-दुर्गापुर और कालाहांडी सीट है. इसके अलावा 11 सीटें वो हैं, जिन पर हार जीत का अंतर एक फीसदी से कम था. मल्काजगिरी, विजयवाड़ा, जहीराबाद, श्रीकाकुल्म, भोंगिर, औरंगाबाद, विशाखापटनम, बर्दमान, गुंटूर, कोरापुट और खजुराहो सीट है.

पिछले लोकसभा चुनाव में जिन 11 सीटों पर एक प्रतिशत से भी कम वोटों से जीत हासिल हुई थी. टीडीपी ने आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा 0.7, श्रीकाकुलम में 0.6 और गुंटूर में 0.6 फीसदी वोटों से जीत दर्ज की थी. कांग्रेस ने तेलंगाना की मल्काजगिरी में 0.7 और भोंगीर सीट पर 0.4 फीसदी के अंतर से जीतीं. अन्य करीबी मुकाबले वाली सीटें विशाखापत्तनम, गुंटूर, खूंटी, औरंगाबाद, कोरापुट, जहीराबाद और बर्धमान-दुर्गापुर हैं., बीजेपी दो सीटें जीती थी और बीआरएस, AIMIM 1-1 सीट जीतने में सफल रही थी.

2024 के लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में स्विंग सीटें और गढ़ आमने-सामने हैं, लेकिन इस बार का मुकाबला काफी अलग है. तेलंगाना की सत्ता पर बीआरएस के बजाय अब कांग्रेस काबिज है तो आंध्र प्रदेश में कांटे की टक्कर मानी जा रही है. ऐसे में 32 सीटों पर कुछ वोटों के इधर-उधर होने से सारा चुनावी खेल बदल सकता है. 2019 के चुनाव की तुलना में कांग्रेस पहले से ज्यादा मजबूती के साथ लड़ती हुई नजर आ रही है तो बीजेपी ने भी आंध्र प्रदेश में टीडीपी के साथ हाथ मिला रखा है. इस तरह तेलंगाना से लेकर आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश में सियासी उलटफेर देखने को मिल सकता है. बीजेपी के लिए अपनी सीटों को बचाए रखने की चुनौती है जबकि कांग्रेस के लिए अपनी सीटों को बढ़ाने की है.

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