भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

व्यापामं: जो आरोपी एसटीएफ को नहीं मिले वे, कर रहे इलाज

  • हाईकोर्ट के आदेश पर केस दर्ज होने से उठा मामला, सियासी माहौल गर्म

भोपाल। हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की 8 साल पुरानी शिकायत पर एसटीएफ ने पीएमटी घोटाले में केस दर्ज किया है। जिसमें पीएमटी परीक्षा 14 साल बाद आठ लोगों के खिलाफ स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने केस दर्ज किया है। इसमें एक को छोड़कर सभी डॉक्टर बन गए। एसटीएफ इन डॉक्टरों को अब तक ढूंढ नहीं पाई। लेकिन पड़ताल में ये डॉक्टर सामने आए हैं। सभी आरेापियां ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लिया था। इनमें से एक तो अस्पताल खोलकर बैठा है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की शिकायत पर आठ साल बाद दर्ज यह वही एफआईआर है जिसमें ‘भाजपा नेताओं की सांठगांठÓ का जिक्र होने पर विवाद खड़ा हो गया था। इसके बाद एसटीएफ बैकफुट पर है। दरअसल, 6 दिसंबर 2022 को एसटीएफ ने 8 आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया था। दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने 2014 में एसटीएफ को संदिग्ध उम्मीदवारों की सूची सौंपी थी। ये वो उम्मीदवार थे, जिन्होंने प्री-मेडिकल टेस्ट (पीएमटी) 2008 और 2009 को गलत तरीके से पास करके मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश लिया था। दिग्विजय सिंह ने एसटीएफ को तीन प्रकार की सूची सौंपी थी। पहली सूची में ऐसे संदिग्धों के नाम थे जिनका निवास का पता एक जैसा था। दूसरी सूची उनकी थी जिन्होंने उत्तरप्रदेश बोर्ड से स्कूल पास की और एमपी के मूल निवासी के प्रमाण पत्र थे। तीसरी सूची में परीक्षा फॉर्म में लगे फोटो और सीट आवंटन पत्र में लगे फोटो अलग-अलग होने की जानकारी थी।



दिग्विजय ने की थी शिकायत
एसटीएफ ने दिग्विजय की शिकायत को जांच में तो लिया, लेकिन कोई एफआईटार दर्ज नहीं की थी। इसी के आधार पर हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई। जब हाईकोर्ट ने निर्देश दिए तो जांच में इन 8 आरोपियों प्रशांत मेश्राम, अजय टेंगर, कृष्ण कुमार जायसवाल, अनिल चौहान, हरिकिशन जाटव, शिवशंकर प्रसाद त्योंथर, अमित बड़ोले और सुलवंत मौर्य की एडमिशन प्रोसेस में गड़बड़ी निकली। आरोपी बालाघाट, मुरैना, बड़वानी, रीवा, झाबुआ और अम्बिकापुर (छत्तीसगढ़ ) के निवासी हैं। इन सभी आरोपियों ने फर्जी तरीके से गांधी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया था। 8 में से 7 स्टूडेंट अपनी डिग्री कम्प्लीट कर चुके हैं। इनमें से 4 ने ही मप्र मेडिकल काउंसिल में अपना रजिस्ट्रेशन कराया है। जो भोपाल, धार, खरगोन और सागर में प्रैक्टिस कर रहे हैं। एक स्टूडेंट की डिग्री कम्प्लीट होने के पहले ही उसका एडमिशन बीते साल सितंबर में गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन गड़बड़ी करने का दोष साबित होने के बाद निरस्त कर चुके हैं।

किसी ने अस्पताल खोला, कोई ड्यूटी से गायब
आरोपी प्रशांत मेश्राम ने बतौर जूनियर रेसीडेंट गांधी मेडिकल कॉलेज में नौकरी की। कुछ दिन पहले इस्तीफा दे दिया है। वह भोपाल के जहांगीराबाद इलाके में शब्बन चौराहा पर बतौर त्वचा रोग विशेषज्ञ मरीजों का इलाज कर रहे हैं। आरोपी कृष्ण कुमार जायसवाल, एडमिशन निरस्त हो गया। मुरैना के बामौर निवासी आरोपी अजय टेंगर ने डिग्री कम्पलीट होने के बाद सितंबर 2018 में बीना रिफायनरी हॉस्पिटल में जॉब शुरू की। यहां मार्च 2019 तक काम किया। इसके बाद बिना किसी नोटिस के नौकरी छोड़ दी और ग्वालियर शिफ्ट हो गए, जहां उन्होंने प्राइवेट हॉस्पिटल्स में बतौर ऑन कॉल डॉक्टर सेवाएं दीं। आरोपी धार निवासी अनिल बडोल स्वास्थ्य विभाग में बतौर मेडिकल ऑफिसर कार्यरत हैं। वर्तमान में उनकी पदस्थापना धार के निसरपुर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में है। गैर हारिज है। आरोपी सुलवंत मोर्य, अलीराजपुर निवासी है। वहां पत्नी के नाम पर हॉस्पिटल खोला है।

 

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