आचंलिक

विदिशा के पागलों में भी हमें अपने ही नजर आते है : धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री

विदिशा। विदिशा में बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री की भागवत कथा का आयोजन चल रहा है , इसी के तहत सोमवार को दिव्य दरबार का आयोजन किया गया। जिसमें शामिल होने के लिए दूर-दूर से लोग बड़ी संख्या में पहुंचे थे। दिव्य दरबार में पंडित धीरेंद्र शास्त्री किसी का नाम लेकर तो किसी की पहचान बता कर एक एक व्यक्ति को बुला रहे थे। इस दौरान एक लड़की ने जल ग्रहण नहीं करने का संकल्प ले रखा था जब पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने उसके संकल्प के बारे में जिक्र करते हुए उसे बुलाया और उनकी समस्या सुनी जिसके बाद उन्होंने सब से आग्रह किया कि कोई भी इस तरीके के संकल्प न लें।इस दौरान बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित वीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि जब लोग हमसे पूछते हैं कि आपको क्या मिलता है तब हम उनसे यही कहते हैं कि जब मेरे पास कोई रोता हुआ आता है और हंसता हुआ जाता है तो उससे ज्यादा सुख की अनुभूति और कुछ नहीं होती और उससे बड़ी दक्षिणा क्या होगी?



हम घर बार छोड़कर जी रहे हैं
इसलिए हम घर बार छोड़ के जी रहे हैं। इसलिए हम अपनी निज खुशियों का दमन करके जी रहे हैं। ताकि तुम्हारे आंखों के आंसू चले जाएं। जब भी जरूरत लगे तो बागेश्वर धाम आ जाना वहां की भभूत ले लेना और वहां पर एक नारियल बांध देना। जहां पर भी जाना बागेश्वर धाम का नाम लेना सारे काम अपने आप हो जाएंगे।

हमने तो तुम्हे परिवार मान लिया है
हमने उनसे बहुत कुछ पाया है। तुम भी बहुत कुछ उनसे पाओगे।सच बताएं तो हमारा तुम ही परिवार हो। हमने तो तुमको ही परिवार मान रखा है। तुम ही हमारी आत्मा हो। विदिशा के पागलों विदिशा भी हमें अपना ही नजर आता है। आप हमारे हो हम विदिशा आते रहेंगे। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि विदिशा में बालाजी का मंदिर बनने जा रहा है।

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