खरी-खरी

जहां-जहां राहुल वहां-वहां आजाद होने को बेकरार हैं गुलाम

जहां-जहां राहुल वहां-वहां आजाद होने को बेकरार हैं गुलाम…जहां समझदारी से बड़ी जिम्मेदारी हो जाती है, वहां राहुल जैसी मुसीबत आती है…पिता और परिवार की विरासत जहां संभाली नहीं जाती, वहां सम्पत्ति, सम्मान और समृद्धि लुटने लग जाती है… लोग साथ छोड़ जाते हैं… अपने पराए हो जाते हैं… पराए गले पडऩे लग जाते हैं…यही राजीव गांधी के साथ हुआ…यही राहुल गांधी के साथ हो रहा है…राजीव के साथ तो सहानुभूति थी…संयम था…सम्मान था, लेकिन सत्ता के सिंहासन पर सवार होते ही चढ़े अहंकार के विकार ने तबाही का ऐसा तांडव रचाया कि अपने और पराए में भेद नहीं हो पाया…अटलजी को सिंधिया से और बहुगुणा को अमिताभ से लड़ाकर संसद से बाहर करवाया और अपनों को ही साजिशें रचने का मौका दिलवाया…लिहाजा विश्वनाथ प्रतापसिंह जैसे आस्तिन के सांपों ने बोफोर्स का षड्यंत्र रचाया और राजीव गांधी को सत्ता से बाहर करवाया… राजीव गांधी के बिछोह से दु:खी सोनिया को वैराग्य का भाव आया, इसीलिए कुछ समय के लिए खुद को सत्ता से दूर बैठाया… लेकिन सिंहासन के आकर्षण से खींची सोनिया ने छलिया बनकर सीताराम केसरी को कुर्सी से हटाया और खुद को कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर आसीन करवाया, लेकिन मनमोहनसिंह को रिमोट बनाकर राज करने की कोशिशों ने राहुल गांधी में ऐसा अहंकार जगाया कि उन्होंने अपनी ही सरकार का अध्यादेश फाडक़र खुद को मनमोहन से बड़ा बताने का दुस्साहस दिखाया… तब राहुल के चेहरे और स्वभाव का अहंकार पूरे देश को नजर आया और नादानी की सजा ने पूरी कांग्रेस को घर बैठाया… तब से लेकर अब तक कांग्रेस को घर की जागीर बनाने की कोशिश में गिरती जा रहीं सोनिया और बिगड़ते जा रहे राहुल की कमजोरी का पूरा फायदा भाजपा उठा रही है…शाह जैसे शिकारी और मोदी जैसे मारण के हाथों हर दिन लुटती-पिटती काल के गाल में समा रही है…चमचों और चाटुकारों से घिरे राहुल पतन की पतवार थामे अपनी ही नौका को रसातल में ले जा रहे हैं…इसीलिए वर्षों से सर झुकाए गुलाम अब आजाद होकर गुर्रा रहे हैं…सच कहें तो वो आज भी वफादारी का फर्ज निभा रहे हैं…सच्चाई बता रहे हैं…बिखरने से पहले संभलने के लिए चेता रहे हैं, लेकिन अब दूर के दानव बेहद करीब आ चुके हैं…सत्ता सिमटती जा रही है…नेता घटते जा रहे हैं…कांग्रेस उसी तरह मिटने के कगार पर है, जैसे कई लोगों की विरासतें नादान बच्चों के हाथों में आने पर फिसल जाती हैं…राहुल सबक हैं जमाने के लिए…हम भी सात पुश्तों की कमाई समेटने का ख्वाब न पालें…अपने-अपने घरों के राहुलों को संभालें…उन्हें परिपक्व बनाएं…लजाने, बचाने और संभालने के गुर सिखाएं…वरना जो जमाना आज सजदा करता है, वो गुर्राने से बाज नहीं आएगा… आज नजर आ रहा हर गुलाम आजाद होकर मालिक बन जाएगा और घर का राहुल गुलाम की गुलामी करता नजर आएगा…

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