भोपाल। इस साल सोयाबीन फसल पर कीटों का प्रकोप है। सफेद मक्खियां पत्तों का रस चूस रही हैं तो तनाछेदक मक्खियां तने को खोखला कर रही हैं। इससे पकने से पहले ही पत्ते पीले पड़ रहे हैं और पौधे सूख रहे हैं। इस समस्या से परेशान किसानों ने कहा है कि यह लगातार दूसरा साल है जब सोयाबीन की फसल खराब हो रही है। शासन और प्रशासन ने मदद नहीं की तो किसान बर्बाद हो जाएंगे। प्रदेश में इस बार अनुकूल मौसम को देखते हुए किसानों ने रिकॉर्ड 58.46 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की बोवनी की थी। इसके कारण उम्मीद जताई जा रही थी कि गेहूं की तरह इस तिलहन फसल का भी बंपर उत्पादन होगा, लेकिन फसल येलो मोजेक वायरस की चपेट में आ गई है। अधिकांश जगह सोयाबीन के पत्ते पीले पड़ गए और पौधे सूख चुके हैं। कई जगह अफलन (फली न लगना) की शिकायतें सामने आ रही हैं। मालवा, निमाड़, महाकोशल सहित अन्य क्षेत्रों में करीब 25 फीसद तक फसल के प्रभावित होने की आशंका है। नरसिंहपुर में 40, दमोह में 10, सिवनी में पांच फीसद तक नुकसान की बात सामने आई है। प्रदेश में इस बार कुल 141 लाख हेक्टेयर क्षेत्र से ज्यादा में खरीफ फसलों की बोवनी की गई है।
भोपाल के आसपास 100 फीसद तक पहुंचा नुकसान
फसल खराब होने की सूचनाओं को देखते हुए कृषि मंत्री कमल पटेल ने बुधवार को भोपाल के पास बैरसिया विधानसभा क्षेत्र के गांव तारा सेवनिया और बगोनिया में निरीक्षण किया। यहां सोयाबीन की 100 फीसद तक फसल बर्बाद हुई है। सोयाबीन की फलियों में दाने नहीं हैं। वायरस का काफी असर : कौशल पूर्व कृषि संचालक डॉ. जीएस कौशल ने बताया कि येलो मोजेक वायरस का असर सोयाबीन में बड़े पैमाने पर नजर आ रहा है। मालवा, निमाड़ और महाकोशल से फसल प्रभावित होने की सूचनाएं आ रही हैं।