वाशिंगटन। कोरोना वायरस (Corona Virus) अब तक 40 लाख से ज्यादा लोगों की जानें ले चुका है। वैक्सीन(Vaccine) के आने से दुनिया को काफी राहत मिली थी, लेकिन अब विश्व स्वास्थ्य संगठन World Health Organization (WHO) ने कहा है कि भारत (India) में मिले डेल्टा वैरिएंट (delta variant) पर कोरोना वायरस (Corona Virus) वैक्सीन कम असरदार(vaccine less effective) पाई जा रही हैं। हालांकि एक राहत की बात यह है कि वैक्सीन से मौत का खतरा कम हो जाता है और गंभीर बीमारी से बचाती है।
World Health Organization (WHO) ने कहा कि इसका कारण कई म्यूटेशन में हो रहे बदलावों को माना जा रहा है। यही कारण है वैक्सीन का असर कम हो सकता है। डेल्टा प्लस वैरिएंट भारत में पाए गए डेल्टा वैरिएंट में हुए म्यूटेशन की वजह से बना है। वायरस के हावी होने में सक्षम स्वरूपों को एक जैविक लाभ मिलता है जो है म्यूटेशन, जिसके जरिए ये स्वरूप लोगों के बीच बहुत ही आसानी से फैलते हैं।
World Health Organization (WHO) ने भी वायरस के इस नए स्वरूप को लेकर चिंता जाहिर की है। पूरी दुनिया में अब तक 29 मुल्कों में इस बदले हुए स्वरूप ने सबसे ज्यादा तबाही मचानी शुरू कर दी है। आईसीएमआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कोरोना के बदलते स्वरूप और उसके जीनोम को डिकोड करने के लिए लगातार देश के कई संस्थान दिन-रात शोध कर रहे हैं, अभी तक भारत में उन्हें कोरोना के इस बदले हुए स्वरूप के बारे में कोई भी केस नहीं मिला है। अपने देश में तबाही मचाने वाले डेल्टा वैरिएंट के भी कई स्वरूप सामने आए हैं, लेकिन दक्षिण-अमेरिका में वायरस के बदले स्वरूप लैम्ब्डा को लेकर और ज्यादा सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।
टीके की दोनों खुराक जरूर लें
डेल्टा स्वरूप की बात करें तो, यह उन लोगों को संक्रमित कर सकता है जिन्हें कोविड-19 रोधी टीके की आधी खुराक मिली है और यही वजह है कि यह हावी हो रहा है। पब्लिक हैल्थ इंग्लैंड के मुताबिक जिन लोगों को फाइजर के टीके की दोनों खुराक मिल चुकी हैं उनका इससे बचाव 88 फीसदी तक हो सकता है लेकिन जिन्हें फाइजर या एस्ट्राजेनेका टीके की एक ही खुराक मिली है उनका केवल 33.5 तक ही बचाव हो सकेगा।
रूस का दावा उसकी वैक्सीन डेल्टा वेरियंट पर असरदार
कोरोना वायरस वैक्सीन सबसे पहले भारत में मिले डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ ज्यादा असरदार है। दावा किया गया है कि किसी भी दूसरी वैक्सीन के मुकाबले इस ज्यादा संक्रामक और घातक वैरिएंट के खिलाफ रूस की वैक्सीन ने सबसे ज्यादा असर दिखाया है।