नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (Chief Justice of Supreme Court) एनवी रमना (NV Ramana) ने कहा, रिटायर होने के बाद (After Retiring) जज सुरक्षा से महरूम क्यों (Why the Judge Deprived of Security) ? सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने शनिवार को झारखंड की राजधानी रांची में एक कार्यक्रम में कहा, “राजनेताओं, नौकरशाहों, पुलिस अधिकारियों और अन्य जन प्रतिनिधियों को अक्सर उनकी नौकरी की संवेदनशीलता के कारण रिटायरमेंट के बाद भी सुरक्षा दी की जाती है। विडंबना यह है कि जजों को वैसी सुरक्षा नहीं दी जाती है।”
उन्होंने कहा कि लोगों को ऐसा लगता है कि जजों का जीवन काफी आरामदायक होता है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है, क्योंकि जज को दिन-रात मेहनत करके ही लोगों को न्याय प्रदान करना पड़ता है। सीजेआई ने कहा कि न्यायपालिका जितनी सुदृढ़ होगी लोकतंत्र उतना ही मजबूत होगा, क्योंकि पहले जज को केवल विवाद का निपटारा करना होता था, लेकिन वर्तमान समय में समाज का हर वर्ग अपनी हर समस्या पर जजों की तरफ देख रहा है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि जज सामाजिक वास्तविकताओं से आंखें नहीं मूंद सकते हैं। जजों को समाज को बचाने और संघर्षों को टालने के लिए ज्यादा दबाव वाले मामलों को प्राथमिकता देना होगा।
चीफ जस्टिस एनवी रमना ने मीडिया ट्रायल पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि हम देखते हैं कि मीडिया कंगारू कोर्ट चला रहा है, कई बार मुद्दों पर अनुभवी जजों को भी फैसला करना मुश्किल हो जाता है। न्याय प्रदान करने से जुड़े मुद्दों पर गलत सूचना और एजेंडा संचालित बहस लोकतंत्र के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो रही है। उन्होंने कहा कि अपनी जिम्मेदारियों से आगे बढ़कर आप हमारे लोकतंत्र को दो कदम पीछे ले जा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि प्रिंट मीडिया में अभी भी कुछ हद तक जवाबदेही है, जबकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में जवाबदेही शून्य है, वहीं उन्होंने कहा कि हम देख रहे हैं कि इन दिनों जजों पर हमले बढ़ रहे हैं। बिना किसी सुरक्षा या सुरक्षा के आश्वासन के जजों को उसी समाज में रहना होगा, जिस समाज में उन्होंने लोगों को दोषी ठहराया है।
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