भोपाल: रामनवमी (Ram Navami) के अवसर पर हम आपको सबसे बड़ी रामचरितमानस (Ramcharitmanas) की पुस्तक के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे आपने पहले कभी नहीं देखा होगा, ये आकार बड़ा होने के साथ ही इसमें पेज भी काफी अधिक हैं, इसे लकड़ी और कांच से बने शोकेस में मेहंदीपुर बालाजी हनुमान मंदिर (Mehandipur Balaji Hanuman Mandir) में सुरक्षित रखा गया है. यह रामायण भोपाल के चार इमली स्थित हनुमान मंदिर में भक्तों के दर्शन के लिए रखी गई है. यह रामायण भोपाल के एक प्रोफेसर द्वारा लिखी गई है. ऐसा माना जा रहा है कि यह विश्व की सबसे बड़ी हस्त लिखित रामायण है.
भोपाल के प्रोफेसर अरुण खोबरे (Professor Arun Khobre) ने साल 2008 में अपने हाथों से रामायण लिखा है. अब इस रामायण को रथ यात्रा (Chariot Festival) के रूप में प्रोफेसर अरुण खोबरे काशी के रास्ते अयोध्या तक ले जाने पर काम कर रहे हैं. इसे भक्तों के दर्शन के लिए भोपाल के चार इमली स्थित हनुमान मंदिर में रखा गया है. इस रामायण में 6 हज़ार से अधिक पन्ने हैं, हर पन्ने पर सिर्फ एक दोहा या एक चौपाई अंकित है. यह पूरी रामायण हाथ से लिखी गयी है. रामायण का वजन 170 किलो और लंबाई चौड़ाई 4.5 फीट के करीब है. प्रोफेसर खोबरे ने 5 महीने के अथक प्रयास से इस ग्रंथ को लिखा.
प्रोफेसर खोबरे द्वारा लिखित यह रामायण विश्व की सबसे बड़ी रामायण होने के चलते, इसे भारत वर्ल्ड रिकॉर्ड, रॉयल सक्सेस इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकार्ड्स, ग्लोबल गोल्ड टेलेंट बुक ऑफ रिकार्ड्स, ओएमजी बुक ऑफ रिकार्ड्स में भी शामिल किया गया है. इसके साथ ही कई अन्य सर्टिफिकेट भी लेखक को मिले हैं. प्रोफेसर खोबरे कहते हैं कि आज यह सब हनुमान जी की कृपा और माता पिता की प्रेरणा और कृपा से ही संभव हो पाया और आज हमें इस बात पर गर्व है.
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