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गन्ने की फसल में पोक्का बोइंग रोग का प्रकोप, किसानों की चिंता बढ़ी

हापुड़, 04 अगस्त । गन्ने की फसल में पोक्का बोइंग रोग का प्रकोप बढ़ रहा है। यह रोग गन्ने की 0238 प्रजाति में अधिक पाया जा रहा है। रोग की जानकारी होने पर किसानों को चिता होने लगी है। इसकी जानकारी गन्ना विभाग के अधिकारियों को दे दी है।

गन्ने की बुवाई से अब तक मौसम अनुकूल रहने के कारण फसल अच्छी होने की उम्मीद की जा रही थी। विगत कुछ दिनों से मौसम में बार-बार बदलाव आने के कारण गन्ने की फसल पोक्का बोइंग रोग का प्रकोप दिखाई देने लगा है। लगभग एक माह पूर्व गन्ना मिल द्वारा कराए गए सर्वेक्षण के दौरान गन्ने में यह रोग दिखाई नहीं दिया था। अब किसानों द्वारा अपनी गन्ने की फसल का निरीक्षण किए जाने के दौरान इस रोग की जानकारी हुई। हापुड़ तहसील के गांव सरावा निवासी विनेश त्यागी का कहना है कि उन्होंने 15 बीघे जमीन में गन्ने की 0238 प्रजाति बोई है। अभी पौधे काफी छोटे हैं, लेकिन उनमें अभी से पोक्का बोइंग रोग का प्रकोप शुरू हो गया है। यदि इस रोग पर नियंत्रण नहीं पाया गया तो पूरी फसल नष्ट होने का डर सताने लगा है। गढ़मुक्तेश्वर तहसील के गांव शाहपुर के किसान मनोज प्रधान का कहना है कि उनके खेत में खड़ी गन्ने की फसल में पोक्का बोइंग रोग लग गया है। गांव में अन्य किसानों के गन्ने के खेतों में भी रोग तेजी से बढ़ रहा है। इसका तुरंत उपाय नहीं किया गया तो पूरी फसल नष्ट हो जाएगी। धौलाना तहसील के गांव सपनावत निवासी राकेश सिसौदिया के अनुसार उनके खेतों में लगभग 12 बीघा 0238 प्रजाति का गन्ना है। बरसात आने से पहले गन्ने के खेतों की जुताई कर खरपतवार पूरी तरह समाप्त कर दिया था। फसल काफी अच्छी खड़ी थी, लेकिन अब पोक्का बोइंग रोग के कारण फसल को खतरा हो बन गया है।

-रोग के लक्षण

गन्ने के ऊपर के हिस्से जिसे अगोला कहा जाता है, में ऊपर की पत्ती हल्की पीली और सफेद होने लगती है। कुछ दिनों बाद लाल और भूरी होकर नष्ट हो जाती है। इससे गन्ने की बढ़वार रुक जाती है। साथ ही प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया बंद होने से गन्ना सूखने लगता है।

-रोग के प्रकोप से बचाव

कृषि उपनिदेशक वी. बी. सिंह ने बताया कि जनपद में गन्ने की फसल में पोक्का बोइंग रोग का प्रकोप होने की जानकारी मिली है। इसके बाद विभागीय टीमों को विभिन्न गांवों का सर्वेक्षण कर रोग की स्थिति की जानकारी लेने के आदेश दिए गए हैं। उन्होंने गन्ना किसानों को सलाह दी कि बुवाई से पूर्व गन्ने के बीज को बावस्टीन से उपचारित किया जाना चाहिए। खेतों में खड़ी फसल में इस रोग का प्रकोप होने पर जैविक हाइड्रो कार्ड लगाएं। खट्टा मट्ठा लेकर फसल पर छिड़काव करें।

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