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इंडोनेशियाई हैकर ग्रुप के निशाने पर 12000 भारतीय सरकारी वेबसाइट, अलर्ट जारी

नई दिल्ली। भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) ने 12000 भारतीय सरकारी वेबसाइट (Indian government website) को लेकर अलर्ट जारी किया है। यह सरकारी वेबसाइट इंडोनेशियाई हैकर समूह (indonesian hacker group) के निशाने पर हैं और इनपर हैकर द्वारा हैक किए जाने का खतरा जताया जा रहा है। I4C ने यह अलर्ट भारत सरकार (Indian government) की संस्था CERT-In यानी कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम को जारी किया है। अलर्ट में कहा गया है कि इंडोनेशिया का एक संदिग्ध हैकर समूह देश भर की 12,000 सरकारी वेबसाइटों को निशाना बना सकता है।

यह अलर्ट गृह मंत्रालय के भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र द्वारा जारी किया गया है। अलर्ट में संबंधित सरकारी अधिकारियों से निवारक उपाय करने का आग्रह करते हुए कहा गया है कि हैकर्स द्वारा राज्य और केंद्र सरकार की वेबसाइटों को संभावित रूप से टारगेट किया जा रहा है।

पिछले साल एक बड़े पैमाने पर रैनसमवेयर हमले ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की व्यवस्था को ठप कर दिया था, जिसके अन्य अस्पताल सेवाओं के अलावा केंद्रीकृत रिकॉर्ड पहुंच से बाहर हो गए थे। कुल मिलाकर, 2022 में विभिन्न सरकारी संगठनों पर 19 रैंसमवेयर हमलों की सूचना भारत सरकार को दी गई थी, जो कि पहले की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक थी।


I4C के अलर्ट के अनुसार, एक इंडोनेशियाई “हैक्टिविस्ट” संगठन डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस (DDoS) और डिनायल ऑफ सर्विस (DoS) हमले कर रहा था। बता दें कि DDoS हमले तब होते हैं जब एक कंप्यूटर नेटवर्क को जानबूझकर कई अलग-अलग कंप्यूटरों से एक साथ भेजे गए डाटा से भर कर रोक दिया जाता है। हमले को लेकर भारत में संबंधित साइबर सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं।

अलर्ट के अनुसार, hacktivist ने कथित तौर पर उन वेबसाइटों की एक सूची पोस्ट की थी, जिन्हें टारगेट करने का दावा किया गया था। इस लिस्ट में राज्य और केंद्र सरकार की वेबसाइटें शामिल थीं। कहा जा रहा है कि मलेशियाई हैक्टिविस्ट गिरोह ने पिछले साल पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ की गई टिप्पणियों के कारण राजनीतिक अशांति फैलाने के लिए भारत सरकार की वेबसाइटों को निशाना बनाया।

साइबर सिक्योरिटी कंपनी पिंगसेफ के संस्थापक और सीईओ आनंद प्रकाश के अनुसार, सभी सॉफ्टवेयर अपग्रेड चालू हैं। सरकारी कर्मचारियों को यह चेतावनी मिलने के बाद सोशल इंजीनियरिंग स्कैम से बचने के लिए सावधान रहना चाहिए। उन्हें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि वे किसी ऐसे लिंक या ईमेल पर क्लिक न करें जिसे वे नहीं पहचानते क्योंकि ऐसा करने से संवेदनशील वेबसाइटों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।

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