उज्जैन। कोरोना काल में घट्टिया से चार आयुष चिकित्सकों को ड्यूटी के लिए मार्च माह में उज्जैन भेजा गया था। ये चारों चिकित्सक तब से रिर्जव में थे और अपनी ड्यूटी का इंतजार कर रहे थे। इन चारों का वेतन सीएमएचओ कार्यालय द्वारा निकलता रहा और इनकी हाजिरी भी पहुंचती है, लेकिन सीएमएचओ को पता ही नहीं था। जब यह जानकारी कलेक्टर आशीषसिंह के संज्ञान में आई तो उन्होने सीएमएचओ को निर्देश दिए और सीएमएचओ ने तलाशा। चौंकाने वाली बात यह कि चारों की जानकारी निकालने पर अन्य 8 चिकित्सक भी इसी दायरे में आए और उन्हे भी कोविड कार्य से मुक्त किया गया।
आयुष विभाग,घट्टिया में चार चिकित्सकों डॉ.अमितोष श्रीवास्तव,डॉ.प्रीति आर्य,डॉ.धीरेंद्र अचाले और डॉ.देवश्री येवलेकर पदस्थ थे। इनको कोरोना महामारी प्रारंभ होने के बाद उज्जैन पदस्थ किया गया। बाद में सीएमएचओ कार्यालय ने इन्हे डीआयसी (जिला शिघ्र पुन: हस्तक्षेप केंद्र,उज्जैन) भेज दिया गया। इस केंद्र का काम विकृतिवाले नवजात शिशुओं को चिंहित करना था। कोरोना काल में सारे हॉस्पिटल एवं गतिविधियां बंद थी। ऐसे में ये यहीं पदस्थ रहे और इंतजार करते रहे कि उन्हे कोई काम मिले, ताकि जनसेवा कर सकें? इस बीच समय गुजरता गया और ये आज भी खाली हाथ ही बैठे हैं।
इधर कलेक्टर ने मामले को गंभीरता से लिया और सीएमएचओ को निर्देश दिए कि इन्हे कार्यमुक्त किया जाए। इस आधार पर सीएमएचओ ने आदेश जारी किया। आदेश में इन चारों सहित कुल 13 चिकित्सकों को कोविड-19 के कार्य से मुक्त कर नई जगह पदस्थ किया गया।
डॉ.अमितोष श्रीवास्तव,डॉ.प्रीति आर्य,डॉ.धीरेंद्र अचाले,डॉ.देवश्री येवलेकर, डॉ.श्वेता फरक्या,डॉ.दीपिका जैन, डॉ.कीर्ति वाडिया,डॉ.नीलेष बीजापारी, डॉ.हर्षवर्धन,डॉ.देवेंद्र हसमणी, डॉ.शालिनी सिंह, डॉ.नागोरी एवं डॉ.उथरा।
इस संबंध में डॉ.महावीर खण्डेलवाल का कहना है कि जानकारी में आने के बाद जब रिकार्ड देखा गया तो गलती सामने आई। अन्य चिकित्सकों को भी कोविड-19 कार्य से मुक्त किया गया है और उन्हे नवीन जिम्मेदारी सौपी गई है।
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