इंदौर न्यूज़ (Indore News)

170 कारखानों का होगा सर्वे, तीन नालों का दूषित पानी मिलता है कान्ह में

  • प्रदूषण नियंत्रण मंडल के भ्रष्टाचार की पोलपट्टी भी खोलेंगे उद्योगपति… कलेक्टर को बताएंगे क्षेत्रीय प्रबंधक की करतूतें…
  • ईटीपी प्लांट के नाम पर चल रहा है वर्षों से खेल

इंदौर। कान्ह नदी (Kanh River) शुद्धिकरण की जिम्मेदारी कलेक्टर (Collector) ने ली है, जिसके चलते कल से सफाई तो शुरू की ही गई, वहीं प्रदूषण (Pollution) फैलाने वाले उद्योगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई (strict action) के निर्णय भी लिए गए। 170 कारखानों की जांच सर्वे टीम करेगी। दरअसल, कान्ह नदी में तीन नालों का दूषित पानी मिलता है। अब निगम-प्रशासन (corporate administration) की टीम यह पता लगाएगी कि किन-किन कारखानों का दूषित पानी कान्ह में मिल रहा है। दूसरी तरफ उद्योगपतियों ने भी प्रदूषण नियंत्रण मंडल के भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोल लिया और क्षेत्रीय प्रबंधक (Regional Manager), जो पिछले साढ़े 7 साल से इंदौर में ही पदस्थ हैं, की करतूतें बताएंगे कि किस तरह प्रदूषण के नाम पर उनका शोषण सालों से हो रहा है।

अग्निबाण (Agnibaan) ने भी पिछले दिनों प्रदूषण मंडल के भ्रष्टाचार को उजागर किया था कि किस तरह उद्योगपतियों पर दबाव डाला जाता है कि एक विशेष कम्पनी के ही ईटीपी प्लांट (ETP Plant) लगाए जाएं। जिस प्लांट की बाजार में 5 लाख कीमत है, वह विशेष कम्पनी से लगवाने से 20 से 25 लाख का पड़ता है और अतिरिक्त पैसा इंदौर के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अफसरों से लेकर भोपाल में सालों से पदस्थ अफसरों की जेब में जाता है, बल्कि कुछ अफसर तो इस विशेष कम्पनी के पर्दे के पीछे के पार्टनर भी बताए जाते हैं। जो उद्योगपति इस कम्पनी के प्लांट लगवाता है, उसको फटाफट एनओसी मिल जाती है और अन्य उद्योगपतियों को नोटिस दे-देकर परेशान किया जाता है।


अब इन उद्योपतियों ने तय किया है कि प्रदूषण बोर्ड के अफसरों की पोलपट्टी खोली जाए और किस तरह क्षेत्रीय प्रबंधक आरके गुप्ता और उनके अधीनस्थ सालों से प्रदूषण के नाम पर करोड़ों कमा रहे हैं, उसका खुलासा किया जाए। यहां तक कि ऑनलाइन एनओसी में भी महीनों का समय लगता है। इधर निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने कई स्थानों का दौरा भी किया और उन्होंने भी मौके पर देखा कि किस तरह दूषित पानी सांवेर रोड फैक्ट्री का नालों में मिल रहा है। लिहाजा डोर-टू-डोर सर्वे कर इन फैक्ट्रियों की रिपोर्ट हफ्तेभर में प्रस्तुत करने के निर्देश आयुक्त ने दिए।

प्रदूषण नियंत्रण (pollution control) बोर्ड ने लगभग 170 फैक्ट्रियों की अनुमति दी है, उनकी भी जांच की जाएगी कि ईटीपी लगे हुए हैं अथवा नहीं और किस तरह इन फैक्ट्रियों का पानी ट्रीटमेंट के बाद छोड़ा जा रहा है अथवा नहीं। फैक्ट्रियों को सील करने, विद्युत कनेक्शन काटने की कार्रवाई भी की जाएगी, वहीं कलेक्टर मनीष सिंह ने कान्ह नदी को प्रदूषण से मुक्त करने का बीड़ा उठाया और तीन नालों में इंडस्ट्रीयल वेस्ट डिस्चार्ज कर उद्योगों को चिन्हित कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए। संबंधित क्षेत्र के सीईओ जनपद, नायब तहसीलदार, पंचायत सचिव और अन्य अधिकारियों के दल भी गठित किए जा रहे हैं।

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