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Uttarakhand Glacier घटना में अब तक 26 शव बरामद,171 लापता

देहरादून। उत्तराखंड (Uttarakhand) के चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने (glacier incident) से आई जल आपदा के लगभग 36 घंटे में राहत बलों ने 26 शव बरामद कर लिये हैं, जबकि दो पुलिसकर्मियों सहित 171 व्यक्तियों की तलाश जारी है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Chief Minister Trivendra Singh Rawat) दोबारा प्रभावित क्षेत्र में पहुंच गये हैं। वह रात्रि को भी यहीं रुके ।

राज्य आपदा नियंत्रण केन्द्र द्वारा सोमवार शाम आठ बजे जारी सूचना के अनुसार, बरामद 26 शवों में दो की शिनाख्त हो गई है। यह दोनों व्यक्ति ग्राम तपोवन के निवासी हैं। जबकि अन्य 24 अज्ञात हैं। लापता लोगों में ऋत्विक कम्पनी के 21, उसकी सहयोगी कम्पनी के कुल 94, एचसीसी कम्पनी के 03, ओम मेटल के 21, रिनगी गांव के 02, करछो गांव के 02 और रैणी गांव के 06 व्यक्ति लापता हैं। इसके अतिरिक्त, 02 पुलिस कर्मियों सहित कुल 46 व्यक्ति ऋषि गंगा कम्पनी के भी अभी तक लापता हैं। इस तरह समाचार लिखे जाने तक कुल 197 व्यक्ति लापता माने गये हैं। जिनमें से 26 शव मिलने के बाद अब 171 व्यक्तियों की तलाश की जा रही है।

इस बीच आपदा प्रभावित इलाके के दौरे पर पहुंचे मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बताया कि तपोवन में पॉवर प्रोजेक्ट की टनल के भीतर आईटीबीपी, सेना, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें रेस्क्यू कार्य में जुटी हुई हैं। इसकी बड़ी टनल में भारी मात्रा में मलबा और गाद है, जिसे निकालने के लिए जेसीबी का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि रेस्क्यू ऑपरेशन अत्यंत सुरक्षित तरीके से चलाया जा रहा है, क्योंकि टनल में लोग फंसे हुए हैं।



प्राप्‍त सूचना के अनुसार, प्रभावित 13 ग्रामों में हवाई मार्ग से खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई गई है। बचाव कार्य में एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, एसएसबी, आईटीबीपीतल, सेना, वायु सेना, जल सेना और हेप्टिस की टीमें लगी हैं। कुल छह मेडिकल टीम और तीन हेलीकॉप्टर भी प्रभावित क्षेत्रों में उपलब्ध हैं। वहीं, इस आपदा में 13 गांवों की विद्युत आपूर्ति लाइन क्षतिग्रस्त हुई थी लेकिन 11 गांवों की आपूर्ति बहाल कर दी गई है। मुराड़ा और पैंग गांवों में करीब 3 किमी लम्बी 11 केवीए लाइन अभी भी क्षतिग्रस्त है, जिनके खम्भे, पोल स्ट्रक्चर, ट्रांसफार्मर आदि क्षतिग्रस्त हुए हैं। इनकी जांच पड़ताल का कार्य प्रगति पर है।

इलाके में रेस्क्यू ऑपरेशन युद्ध स्तर पर जारी है। इनमें एसडीआरएफ के 70 जवान, एनडीआरएफ के 129, आईटीबीपी के 425 जवान, एसएसबी की एक टीम तथा सेना के 124 जवानों की टीम है, जिनमें नेवी के 16, एयर फोर्स के 2 तथा हेप्टीस के 3 जवान हैं। इलाके में लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए सेना की 2 मेडिकल टीम और 2 एम्बुलेंस तैनात की गई हैं। स्वास्थ्य विभाग ने 4 मेडिकल टीमें तैनात की हैं, जिनमें से रैणी गांव में 1 और तपोवन में 3 टीमें हैं। इसके अलावा 4 एम्बुलेंस और आपातकालीन सेवा (108) की 5 एम्बुलेंस तैनात की गई हैं।

इसके साथ ही फायर विभाग के 16 फायर मैन, राजस्व विभाग के 20 कार्मिक, दूरसंचार विभाग के 7 कार्मिक और सिविल पुलिस के 26 कार्मिक तैनात किए गए हैं। वायुसेना द्वारा एनडीआरएफ की टीम को घटना स्थल पर पहुंचाया गया। रेस्क्यू अभियान के लिए स्टैंड बाई कार्मिक और संसाधन की भी व्यवस्था की गई है। इनमें आईटीबीपी के 400 (मातली, महीडांडा और देहरादून), सेना के 220, सेना के चॉपर 3 (जोशीमठ), स्वास्थ्य विभाग की 4 मेडिकल टीम एवं 4 एम्बुलेंस, 108 सेवा की एक एम्बुलेंस तथा 39 फायर मैन शामिल हैं।

 

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