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भारत की 2030 तक 50% बिजली की जरूरत गैर-जीवाश्म स्रोतों से पूरी होगी

नई दिल्‍ली। राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) के हिस्से के रूप में भारत ने 2030 तक अपनी संस्थापित बिजली क्षमता का 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ऊर्जा (non-fossil energy) स्रोतों से प्राप्त करने की प्रतिबद्धता जताई एक बार फिर जताई है।

पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन की दिशा में भारत ने अपने लक्ष्यों के बारे में संयुक्त राष्ट्र को सूचना दी है। भारत की ओर से कहा गया है कि राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) के तहत भारत 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित ऊर्जा संसाधनों से लगभग 50 प्रतिशत संचयी विद्युत शक्ति स्थापित क्षमता प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।



जबकि भारत अब 2005 के स्तर से 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम करेगा। भारत की ओर से कहा गया है कि वह 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करेगा। संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) वेबसाइट पर अपलोड किए गए दस्तावेज में कहा गया है कि ग्रीन क्लाइमेट फंड (GCF) सहित प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण और कम लागत वाले अंतरराष्ट्रीय वित्त की मदद से दूसरा मात्रात्मक लक्ष्य लागू किया जाएगा।

आपको बता दें कि एनडीसी का अर्थ है राष्ट्रीय योजनाएं और किसी देश द्वारा पूर्व-औद्योगिक स्तरों से ऊपर 2 डिग्री सेल्सियस तक वैश्विक तापमान वृद्धि को बनाए रखने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए की गई प्रतिज्ञा। जबकि जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से बचने के लिए 1.5 डिग्री सेल्सियस का लक्ष्य है। पिछले नवंबर में संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) के पार्टियों के सम्मेलन (COP26) के 26 वें सत्र में पीएम मोदी ने घोषणा की थी कि भारत की गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता 2030 तक 500 गीगावॉट तक पहुंच जाएगी।

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