- जबलपुर के 60, इंदौर के 19 और ग्वालियर के 8 वकीलों ने किए आवेदन
भोपाल। हाई कोर्ट (High Court) में वरिष्ठता का तमगा हासिल करने के लिए वकीलों में होड़ मची है। इस बार जबलपुर (Jabalpur) के 60, इंदौर के 19 और ग्वालियर के 8 वकीलों को मिलाकर तीनों जगह से 87 आवेदन किए गए हैं। 60 साल में पहली बार एक साथ वरिष्ठता के लिए इतने आवेदन हुए हैं। 2016 के पहले तक हाई कोर्ट जजेस खुद (High Court judges themselves) वकीलों का चयन कर उन्हें सीनियर की उपाधि देते थे। अब वकील खुद आवेदन करते हैं। इंदौर खंडपीठ में अभी 16 वकील सीनियर हैं। जिस खंडपीठ में वकीलों ने आवेदन किए हैं वहीं के बार एसोसिएशन (Bar Association) के सदस्यों से नामों पर दावे-आपत्ति बुलाए गए हैं। इनका निराकरण होने के बाद सीनियर तय किए जाएंगे।
सीनियर एडवोकेट (Senior Advocate) बनने पर वकीलों पर कई बंधन लागू हो जाते हैं। नियम है कि किसी पक्षकार से सीधे न मिल सकते और न ही फीस ले सकते हैं। किसी भी प्रकरण में सीधे पत्र पेश नहीं कर सकते। किसी जूनियर वकील के साथ ही केस में खड़े हो सकते हैं। हालांकि इन बंधनों का अधिकांश पालन नहीं करते हैं। पक्षकार से सीधे संवाद, फीस भी तय करते हैं। औपचारिक रूप से जूनियर वकील का वकील पत्र पेश करते हैं।
10 साल का अनुभव जरूरी
2016 से पहले तक हाई कोर्ट प्रशासन ही सीनियर वकील तय करता था। इसके बाद हाई कोर्ट ने वकीलों से ही आवेदन लेने की व्यवस्था शुरू कर दी। पहले सीनियर वकील के लिए 15 से 20 साल वकालत का अनुभव जरूरी था। अब इसे घटाकर 10 साल कर दिया है। पहले 50 साल औसत उम्र वाले वकीलों को सीनियर बनाया जाता था। अब नियम में बदलाव होने से 37 साल के वकील भी सीनियर बनने के लिए आवेदन कर रहे हैं।
दो साल से किसी को नहीं मिली वरिष्ठता
हाई कोर्ट में 16 सीनियर वकील हैं। दो साल कोरोना काल में बीत गए। किसी को भी सीनियर की उपाधि नहीं दी गई। इस बार एक साथ 19 ने आवेदन किए हैं। इन नामों में पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता, उप महाधिवक्ता, सरकारी वकील, न्यायिक अधिकारियों के बेटे, रिश्तेदार भी शामिल हैं। आवेदन के बाद इंदौर खंडपीठ के कई वकीलों ने कुछ नामों पर आपत्ति ली है। इसमें वकालत पर सवाल, सालभर में गिनती के प्रकरण आने, नियमित उपस्थिति नहीं होने, कम अनुभव जैसी आपत्ति ली जा रही है।