नई दिल्ली । जिन दवाओं (drugs) को कोरोना उपचार (corona treatment) में सफल माना जा रहा था और उन्हें कोविड प्रोटोकॉल (covid protocol) में शामिल तक किया गया, उनमें से कोई भी असरदार नहीं है। एक फार्मा रिपोर्ट के अनुसार, बीते दो साल में लोगों ने ऐसी 500 करोड़ रुपये की दवाओं का सेवन भी किया। जबकि, इनमें से कुछ दवाओं का दुष्प्रभाव ब्लैक फंगस (black fungus) के रूप में पूरे देश ने देखा।
देशभर के एक्सीलेंस सेंटर को कोविड उपचार के बारे में जानकारी देते हुए एम्स के डॉ. अचल कुमार ने मंगलवार को कहा कि दो वर्षों में न सिर्फ कोरोना मरीज, बल्कि संक्रमण से बचने के लिए भी लोगों ने 2डीजी, फेविपिराविर, आइवरमेक्टिन और एचसीक्यू जैसी दवाओं का इस्तेमाल किया है। ये दवाएं कोविड के माइल्ड या फिर अस्पताल में भर्ती रोगियों पर असरदार नहीं हैं।
नई दिल्ली स्थित एम्स का मानना है कि इन दवाओं का देश में खूब प्रचार हुआ। कम वैज्ञानिक साक्ष्य वाली दवाओं ने भी करोड़ों रुपये का कारोबार किया। लेकिन, अब एम्स ने आगे आकर इन दवाओं पर सवाल उठाते हुए इनसे दूरी बनाने की सलाह दी है। देश के दूसरे डॉक्टरों से भी अपील करते हुए एम्स ने इन दवाओं से परहेज करने की अपील की है।
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