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एक सर्वे में पता चला की वित्तीय फैसले कौन बेहतर लेता है, महिलाएं या पुरुष

नई दिल्ली। महिलाओं की बढ़ती भागीदारी और लोगों की बदलती मानसिकता के चलते भारत हर सेक्टर (Sector) में तेजी से आगे बढ़ रहा है। Axis my India ने पूरे भारत में एक सर्वे (Survey) किया। सर्वे के जारी नतीजों (Results) के अनुसार सर्वे में शामिल 67% लोगों ने ये माना है कि पुरुषों (Men) की तुलना में महिलाएं (Women) बेहतर वित्तीय फैसले (Better Financial Decisions) लेती हैं। इस सर्वे में 36 राज्यों (States) के कुल 10,525 लोगों ने हिस्सा लिया।

जानकारी के मुताबिक सर्वे (Survey) में शामिल लोगों में 59% पुरुष और 41% महिलाएं थीं। कंज्यूमर सेंटीमेंट इंडेक्स (CSI) नाम के इस सर्वे में 70% लोग ग्रामीण इलाकों (Rural Areas) के थे जबकि 30% शहरी क्षेत्र (Urban Areas) के थे। एक पब्लिक रिलेशन प्रोफेशनल (PR Professional) के साथ टीम वर्क ग्रुप नाम की एक कंपनी की फाउंडर (Company Founder), निक्की गुप्ता लगभग पिछले 18 सालों से नौकरी (Job) कर रही हैं।


निक्की गुप्ता ने कहा, ‘आर्थिक (Financially) तौर पर किसी और पर निर्भर (Dependent) ना होना जरूरी है। और खासकर एक महिला के लिए आर्थिक आजादी (Financial Freedom) हर मायने में बेहद जरूरी है।’ Gynaecologist डॉ. एकता बजाज पिछले 21 साल से एक प्रैक्टिशनर डॉक्टर (Practitioner Doctor) हैं। डॉ. एकता बजाज ने कहा, ‘लोगों की बदलती मानसिकता (Changing Mindset) के पीछे ये कारण है कि महिलाएं हर सेक्टर में तेजी से आगे बढ़ रही हैं। जिसका सबसे बड़ा कारण है कि अब लोग शिक्षा (Education) का महत्व समझ रहे हैं और अच्छी शिक्षा के बाद आर्थिक आजादी महिला सशक्तिकरणके लिए सबसे महत्वपूर्ण है।’

महिलाओं को समान अवसर देकर भारत 2025 तक अपने GDP में 770 Billion Dollars जोड़ सकता है। इस समय भारत की GDP में महिलाओं का कॉन्ट्रीब्यूशन 18% है। इस समय भारत में लगभग 43 करोड़ कामकाजी उम्र (Working Age) की महिलाएं हैं जिनमें से लगभग 34 करोड़ फॉर्मल सेक्टर में काम नहीं कर रही हैं। फॉर्मल सेक्टर (Formal Sector) में महिलाओं के पार्टिसिपेशन को और बढ़ाने के लिए भारत सरकार (Indian Government) भी लगातार प्रयास कर रही है। भारत के बोर्ड की सीटों में महिलाओं की संख्या 17.1% पहुंच गई है जो कि साल 2014 से 9.4% ज्यादा है। इससे पहले भारत सरकार द्वारा बनाए गए कंपनी अधिनियम, 2013 के अनुसार हर कंपनी की बोर्ड टीम में एक महिला सदस्य होना अनिवार्य है। भारत में अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना सबसे ज्यादा जरूरी है।

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