इंदौर। शहर में बढ़ती वाहन दुर्घटनाओं (Accidents) को रोकने के लिए यातायात पुलिस (Traffic Police) ने जिले में 36 ऐसे स्पॉट चिह्नित (Spot Marked) किए थे, जहां सबसे अधिक दुर्घटनाएं (Accidents) होती हैं। 5 साल में दुर्घटनाएं तो बढ़ीं, लेकिन ब्लैक स्पॉट की संख्या 36 से 14 रह गई।
पुलिस रिकार्ड (Police Record) के अनुसार इस साल के प्रथम छह माह में शहर-जिले में 1713 दुर्घटनाएं हुई हैं और 233 लोगों की मौत हुई है, जबकि 2020 में इस अवधि में 1345 दुर्घटनाएं (Accidents) हुई थीं और 186 लोगों की मौत हुई थी। यह बताता है कि हर साल शहर में दुर्घटनाएं (Accidents) तो बढ़ रही हैं, लेकिन ब्लैक स्पॉट कम हो रहे हैं।
स्कूल बसें नहीं चलीं, फिर भी…
लॉकडाउन (lockdown) के कारण लगभग डेढ़ साल से शहर में स्कूल-कॉलेज (School-college) बंद हैं। इसके चलते बसें और छोटे वाहन नहीं चल रहे हैं। शहर में इनकी संख्या बहुत अधिक है। इन वाहनों से दुर्घटनाएं (Accidents) भी होती रहती हैं, लेकिन इसके बावजूद वाहन दुर्घटना बढ़ने के पीछे पुलिस विभाग (Police Department) का तर्क है कि इस बार जो दुर्घटनाएं हुई हैं वे सब हाई-वे पर हुई हैं। लॉकडाउन (lockdown) में बड़ी संख्या में लोग इधर से उधर हुए थे, इसके चलते कई दुर्घटनाएं हुईं। इससे यह आंकड़ा बढ़ा है।
यह हैं चिह्नित ब्लैक स्पॉट
यातायात पुलिस (Traffic Police) के रिकार्ड में वर्तमान में सिमरोल का भेरूघाट, बाणगंगा का लवकुश चौराहा, लसूड़िया का तलावली चांदा, मानपुर का मां वैष्णवी ढाबे के पास एबी रोड स्थित चौराहा, शिप्रा में राऊखेड़ी चौराहा, हीरानगर में बापट चौराहा, लसूड़िया में देवास नाका, राऊ में गोल चौराहा, बेटमा में माचल चौराहा, तेजाजीनगर में रालामंडल बायपास, तुकोगंज में लैंटर्न चौराहा, खुड़ैल में बिहाड़िया फाटा, किशनगंज में चौपाटी ब्रिज और टीही पुलिया। इनमें अब ज्यादातर वह चौराहे ब्लैक स्पॉट (Black Spot) हैं, जिनकी शहर के बाहरी क्षेत्र में संख्या कम हो रही है।
दो साल की निगरानी के बाद बदलते रहते हैं ब्लैक स्पॉट : एएसपी
एएसपी यातायात अनिल पाटीदार ने बताया कि दुर्घटनाओं के बढ़ने से ब्लैक स्पॉट (Black Spot) का सीधा कोई संबंध नहीं है। 5 साल पहले जो ब्लैक स्पॉट चिह्नित किए थे, उन पर दो साल तक निगरानी रखी। जहां वन-वे करना था वहां वन-वे किया। जहां स्पीड ब्रेकर की आवश्यकता थी, वहां बनाए। कुछ स्थानों पर पुलिस की तैनाती की। इसके चलते यहां दो साल में दुर्घटनाएं कम हुईं। इसके चलते ब्लैक स्पॉट की संख्या कम हुई है। उनका कहना है कि ये सतत प्रक्रिया है और ब्लैक स्पॉट (Black Spot) बदलते रहते हैं।