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अग्निबाण एक्सपोज (पार्ट-3) – 80 अभिन्यास मंजूर, संस्थाओं की जमीनों की फिर से होगी जांच

  • बायपास की योजना टीपीएस-6 में छोड़ी जा रही जमीनों के मामले में सहकारिता विभाग से भी मांगेंगे रिकॉर्ड

इंदौर। अग्निबाण (Agniban) ने बायपास (Baypass)  की टीपीएस-6 योजना में शामिल 150 एकड़ से अधिक शासन निर्देश पर छोड़ी जा रही जमीनों (lands) का खुलासा किया, जिसमें एक दर्जन से अधिक गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनें भी शामिल है। इन जमीनों को भूमाफियाओं (land mafia)  ने हथिया रखा है और कई जेबी संस्थाएं भी बना ली। वहीं नगर तथा ग्राम निवेश से मिले रिकार्ड के मुताबिक कोर्ट (Court) आदेश और योजना लागू करने से पहले इन जमीनों पर लगभग 80 अभिन्यास मंजूर हैं। वहीं संस्थाओं की जांच कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish singh) करवा रहे हैं। आज वे सहकारिता विभाग की टीम (Team) को भी प्राधिकरण भेज रहे हैं। वहीं संभागायुक्त व अध्यक्ष ने भी इस मामले की जांच फिर से करवाने की बात कही है।

8 माह तक शासन ने टीपीएस-6 (TPS) और 7 की अनुमति रोककर उन्हें लेप्स करवा दिया और अभी पिछले दिनों हुई बोर्ड बैठक में टीपीएस-7 के साथ टीपीएस-6 को नए सिरे से लागू करने का बोर्ड निर्णय हुआ। मगर टीपीएस-6 पर शासन निर्देश पर पश्चिमी बायपास यानी भिचोली हब्सी वाले हिस्से की 150 एकड़ से अधिक जमीन छोडऩे का निर्णय लिया, जो कि एक हजार करोड़ से अधिक मूल्य की होती है। अग्निबाण (Agniban) ने जब इन जमीनों की असलियत का खुलासा किया और यह भी बताया कि इसमें कई भूमाफियाओं द्वारा कब्जे में ली गई गृह निर्माण संस्थाओं की भी जमीनें हैं, तो प्राधिकरण बोर्ड में शामिल अफसरों के कान खड़े हुए और अब नए सिरे से जांच संकल्प मंजूर करने से पहले करवाई जा रही है। संभागायुक्त और प्राधिकरण अध्यक्ष डॉ. पवन कुमार शर्मा का कहना है कि छोड़ी जा रही जमीनों की नए सिरे से जांच की जाएगी। खासकर गृह निर्माण संस्थाओं के मामले में। वहीं प्राधिकरण सीईओ विवेक श्रोत्रिय का कहना है कि नगर तथा ग्राम निवेश से मंजूर अभिन्यासों की सूची मिली है। वहीं गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनों को भी नए सिरे से देखा जा रहा है। इधर संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश ने प्राधिकरण को टीपीएस-6 योजना में जो अभिन्यास मंजूर किए हैं उनकी भी सूची सौंपी है। लगभग 80 अभिन्यास भिचोली हब्सी पर छोड़ी जा रही जमीन में मंजूर हुए हैं। इनमें हालांकि अधिकांश नक्शे पूर्व की योजनाओं को लागू करने से पहले और कुछ अभिन्यास कोर्ट आदेशों पर मंजूर किए गए हैं।


योजना में शामिल हैं इन संस्थाओं की जमीनें
टीपीएस-6 योजना में करतार गृह निर्माण, पृथ्वी गृह निर्माण, मंगल, संवाद नगर, पाश्र्वनाथ, प्रशांत गृह निर्माण, जनसेवा गृह निर्माण, द टेक्सटाइल को-ऑपरेटिव, अमित प्रिया, दीप ज्योति, हिमालय गृह निर्माण, सुमंगला गृह निर्माण, श्याम बिहारी गृह निर्माण, सोनाली, गौरव गृह निर्माण, सपना गृह निर्माण व अन्य की जमीनें शामिल हैं, जिसमें करतार गृह निर्माण से दीपक मद्दे की फर्म समता कंस्ट्रक्शन को 4 एकड़ जमीन बेची गई है जिसकी जांच विभाग द्वारा की जा रही है।
171 की जमीनें बचीं इसीलिए पीडि़तों को मिल सके भूखंड
अग्निबाण ने वर्षों पहले 171 की जमीन भी छोडऩे से बचाई थी, जिसके कारण अभी शासन-प्रशासन पीडि़तों को भूखंडे उपलब्ध करवा सका। यही कारण है कि लैंड पुलिंग एक्ट में योजना 171 को शामिल नहीं किया गया, क्योंकि गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनें भूमाफियाओं ने हड़प रखी थी। इन जमीनों को सरेंडर करवाकर पीडि़तों को भूखंड उपलब्ध करवाने की प्रक्रिया लगातार जारी है। अगर योजना छूट जाती तो आज किसी पीडि़त को मौके पर भूखंडों का कब्जा ही नहीं मिल पाता।

कलेक्टर ने भी ली आपत्ति… आज भिजवाएंगे टीम
अग्निबाण खुलासे के बाद कलेक्टर मनीष सिंह  (Collector Manish Singh) ने भी छोड़ी जा रही जमीनों (Property) को लेकर अब नए सिरे से जांच शुरू करवाई है। कलेक्टर श्री सिंह के मुताबिक वे आज ही सहकारिता विभाग के उपायुक्त मदन गजभिये को प्राधिकरण दफ्तर भिजवाएंगे, ताकि योजना में शामिल गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनों के रिकॉर्ड हासिल किए जा सकें और इन जमीनों की वर्तमान में क्या स्थिति है, कितने सदस्यों को भूखंड दिए गए, ऑडिट संस्थाओं का हुआ अथवा नहीं और इन जमीनों पर किन लोगों का कब्जा है, इस बात की पूरी जांच करवाई जाएगी। प्राधिकरण बोर्ड से मंजूर होने वाले संकल्प में भी इन गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनों को लेकर विशेष दिशा-निर्देश दर्ज किए जाएंगे।


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