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चीन के खिलाफ अहम होंगे ‘अग्निवीर’, LAC पर विषम हालात में होगी बड़ी भूमिका


नई दिल्ली। अग्निपथ स्कीम को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। विरोधी दलों का कहना है कि मोदी सरकार इस योजना के जरिए देश की सुरक्षा दांव पर लगा रही है। हालांकि एक फैक्ट यह भी है कि देश को अधिक युवा और फिट सैनिकों की जरूरत है।

खासतौर पर चीन के साथ बढ़ते हुए तनाव को देखते हुए यह और भी अहम हो जाता है। बीजिंग 3,488 किमी लंबी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर सेना को बढ़ाने वाला है। ऐसे में भारत के लिए यहां पर युवा फौज की तैनाती काफी अहम हो जाती है। आइए जानते हैं इस दिशा में अग्निवीर की नियुक्ति कैसे अहम हो सकती है।

औसत आयु में पीछे है भारतीय सेना
फिलहाल भारतीय सेना में ऑफिसर रैंक से नीचे केवल 19 फीसदी जवान 25 साल से कम उम्र के हैं। वहीं 27 फीसदी 26 से 30, 20 फीसदी 31 से 35, करीब 19 फीसदी 36 से 40, 10.2 फीसदी 41 से 45 और 4.4 फीसदी 46 से 50 आयुवर्ग के हैं। यह साफ तौर दिखाता है कि भारतीय सेना की औसत आयु चीन और अन्य देशों की तुलना में काफी ज्यादा है।

हजारों फीट ऊंची पोस्टों पर तैनाती में होगी आसानी
सेना में युवाओं की संख्या बढ़ने के बाद हजारों पोस्ट ऊंची और विषम पोस्टों पर तैनाती में भी काफी आसानी होगी। चीन के साथ लगने वाली एलएसी समेत ऐसी तमाम पोस्टों की ऊंचाई 15000 से 18,500 फीट है। यह लद्दाख में आल्प्स पर्वत की औसत ऊंचाई से भी ज्यादा है। एलएसी में भारतीय सेना की तैनाती 12000 से 16,500 फीट पर होती है। वहीं संवेदनशील सिक्किम सेक्टर में यह ऊंचाई 11 हजार फीट से लेकर 18,500 फीट की ऊंचाई तक है।


कमनेगा और शेष अरुणाचल प्रदेश क्षेत्र में तैनाती 10 हजार से 16 हजार फीट की ऊंचाई पर होती है। इन पोस्टों पर पड़ने वाली बहुत ज्यादा ठंड और विषम हालात के चलते अधिक उम्र वाले सैनिकों के लिए सर्वाइव करना काफी मुश्किल होता है। शून्य से भी नीचे का तापमान और पूरे साल चलने वाली तूफानी हवाओं के बीच युवा सैनिक ही हालात से मुकाबला करने में सक्षम होंगे।

अधिक उम्र वाले सैनिक पड़ते हैं ज्यादा बीमार
पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना का अतिक्रमण होने के बाद यहां पर बीमार पड़ने वाले भारतीय सैनिकों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। साल 2021 में लेह बेस हॉस्पिटल 5349 लोग भर्ती कराए गए। इनमें से 560 को हाई एल्टीट्यूड के चलते फेफड़ों में होने वाली समस्या से पीड़ित थे। वहीं 250 सैनिकों को बैटल जोन से मेडिकली अनफिट होने के चलते निकाला गया। ऐसे कठिन हालात में केवल युवा और फिट सैनिक व अधिकारी ही सर्वाइव कर पाएंगे।

टेक सेवी होना इस तरह होगा कारगर
बात सिर्फ फिटनेस और उम्र की ही नहीं है। युवा पीढ़ी का टेक सेवी होना भी बहुत कारगर साबित होगा। अब सेना में ऐसे युवाओं की जरूरत है जो टेक्नोलॉजी को समझते हों। ऐसे युवा जो सर्विलांस से युक्त ड्रोन उड़ाने में सक्षम हों और अत्याधुनिक हथियारों से दुश्मन की सटीक स्थिति का अंदाजा लगा सकें। सेना में ऐसे जवान चाहिए जो आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को समझते हों और सूचना को युद्ध में हथियार की तरह इस्तेमाल करना जानते हों।

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