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मोदी सरकार को घेरने के लिए बनाई कमेटी से चिट्ठी लिखने वाले सभी बाहर

नई दिल्ली। कांग्रेस ने चल रहे अध्यक्षता के विवाद चलते पार्टी के अंदर दरार आगयी है। ऐसे में केंद्र सरकार की ओर से जारी किए गए प्रमुख अध्यादेशों पर चर्चा और पार्टी का रुख तय करने के लिए बुधवार को पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है। तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा गठित इस समिति के संयोजक जयराम रमेश होंगे। यह बात गौर करने कि है कि इस समिति में ऐसे किसी भी नेता का नाम नहीं है, जो बीते दिनों चिट्ठी लिखने के कारण चर्चा में आए थे। इस समिति के सदस्ययो में वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम, डॉक्टर अमर सिंह, लोकसभा सदस्य गौरव गोगोई और दिग्विजय सिंह भी है। एक ओर जहां चिदंबरम आर्थिक मामलों के जानकार हैं तो वहीं उनके पास कानून कि डिग्री भी हैं। चिदंबरम के चयन को वकील कपिल सिब्बल की जगह माना जा रहा है। सिब्बल उन 23 लोगों में थे, जिन्होंने चिट्ठी लिखी थी।

दिग्विजय सिंह की नियुक्ति गुलाम नबी आज़ाद और आनंद शर्मा के लिए एक संदेश माना जा रहा है। वहीं बात जयराम रमेश की करें तो उन्हें समिति का संयोजक बनाया गया है। इसे आनंद शर्मा के लिए झटका माना जा रहा है। इसके साथ ही यह संदेश भी गया है कि गांधी परिवार अब भी रमेश पर यकीन करता हैं।

मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम रहे दिग्विजय सिंह के प्रिंसिपल सेक्रेटरी थे. डॉ. सिंह ने शून्यकाल के दौरान लोकसभा में अध्यादेशों का मुद्दा उठाया था। माना जा रहा है कि उनकी नियुक्ति पंजाब के ही एक अन्य सांसद मनीष तिवारी की जगह हुई है।
राहुल के करीबी माने जाने वाले गोगोई हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओ में कुशल माने जाते हैं। हालांकि उनकी नियुक्ति को शशि थरूर की जगह माना जा रहा है।

चिट्ठी पर हस्ताक्षर करने वाले 23 नेताओ में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल, शशि थरूर, मनीष तिवारी, आनंद शर्मा, पीजे कुरियन, रेणुका चौधरी, मिलिंद देवड़ा, अजय सिंह, सांसद विवेक तन्खा, सीडब्ल्यूसी सदस्य मुकुल वासनिक और जितिन प्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, राजेंद्र कौर भट्ठल, एम वीरप्पा मोइली और पृथ्वीराज चव्हाण शामिल हैं।

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