- निगम ने एप के जरिए शुरू की गणना, ताकि वास्तविक संख्या पता लग सके, पुनर्वास केन्द्र में जगह भी नहीं बची रखने की
इंदौर (Indore)। अस्थायी रूप से प्रवासी सम्मेलन (Overseas Conference) और ग्लोबल समिट (global summit) के दौरान शहर को भिखारियों से मुक्ति दिलाई थी, मगर अब फिर चौराहों-मंदिरों से लेकर अन्य स्थलों पर फिर इनकी आमद शुरू हो गई है। निगम ने अपने एप के माध्यम से इन भिखारियों की जियो टैगिंग शुरू की, ताकि वास्तविक गणना (actual calculation) पता लग सके। अभी तक 2900 भिखारियों की यह जियो टैगिंग हो चुकी है। दूसरी तरफ पुनर्वास केन्द्र में भिखारियों को रखने की जगह ही नहीं बची है।
भिक्षुक पुनर्वास केन्द्र पर पिछले दिनों बड़ी संख्या में भिखारियों को पकडक़र लाया गया। मगर इनमें से 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग और असहाय भिखारियों की संख्या भी अधिक है, जिसके चलते इन्हें पुनर्वास केन्द्र पर ही रखना पड़ रहा है। भिखारियों के पुनर्वास में जुटी समाजसेवी और आदिनाथ वेलफेयर एंड एज्युकेशनल सोसायटी प्रवेश की रुपाली जैन का कहना है कि पहली बार निगम एप की सहायता से भिखारियों की जियो टैगिंग भी की जा रही है, क्योंकि स्थानीय के साथ-साथ बड़ी संख्या में बाहर से भी ये भिखारी इंदौर में डेरा डाले रहते हैं। पिछले दिनों 300 से अधिक भिखारियों को उनके गंतव्य स्थान पर पहुंचाया गया था, मगर अब फिर नए भिखारी शहर में आने लगे हैं। लिहाजा उनकी वास्तविक संख्या और उन्हें चिन्हित करने के लिए यह जियो टैगिंग शुरू करवाई और अभी तक 2900 भिखारियों को चिन्हित किया जा चुका है। एप पर इन भिखारियों के फोटो सहित पूरा विवरण डाला जाता है। वहीं पुनर्वास केन्द्र पर अभी 114 भिखारियों को रखा गया है।
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