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आपको झांसा देकर गलत पॉलिसी या फंड नहीं बेच सकते बैंक, जबरदस्ती निवेश उत्पाद से ऐसे बचें

नई दिल्ली। म्यूचुअल फंड (mutual fund) में निवेश करने या बीमा पॉलिसी खरीदने की योजना बना रहे हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है। बैंक आपको झांसा देकर गलत फंड या पॉलिसी (Wrong fund or policy) नहीं बेच सकते। बाजार नियामक सेबी ने इसके लिए बैंकों पर सख्ती बढ़ा दी है। बाजार नियामक से बैंकों से उनके म्यूचुअल फंड और बीमा उत्पादों की बिक्री का आंकड़ा मांगा है।

शिकायतें मिलने के बाद उठाया यह कदम
बाजार नियामक ने कई तरह का शिकायतें मिलने के बाद यह कदम उठाया है। दरअसल कई सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों की अपनी म्यूचुअल फंड परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियां (एएमसी) हैं उनमें बहुमत हिस्सेदारी है। सेबी की जानकारी में यह बात आई है कि बैंक अपनी सहायक कंपनियों (subsidiary companies) की म्यूचुअल फंड योजनाओं को ग्राहकों को गलत जानकारी देकर बेचते हैं। इसके मद्देनजर सेबी ने बैंकों से कई तरह के आंकड़े मांगे हैं।



ग्राहकों को बेचते हैं जबरिया निवेश उत्पाद
वित्तीय सलाहकारों का कहना है कि सेबी की ओर से बैंकों से उनके अपने म्यूचु्अल फंड और बीमा उत्पाद से होने वाला बिक्री का आंकड़ा मांगा है। बैंक अपनी म्यूचुअल फंड कंपनी या साझेदार कंपनी के उत्पाद को बेहतर बताकर अपने ग्राहकों को बेचते हैं तो बिक्री के आंकड़े से उसकी पूरी पोल खुल जाएगा। यदि उस म्यूचुअल फंड के दूसरे ऑफिस की बजाय बैंकों की बिक्री ज्यादा रहती है तो इसका मतलब है कि बैंक ग्राहकों को झांसा देकर उसे बेचते हैं। यह सेबी के नियमों के खिलाफ है।

शुल्क और कमीशन का ब्योरा भी मांगा
म्यूचुअल फंड में अधिकतम 2.25 फीसदी शुल्क का प्रावधान सेबी की ओर से किया गया है। इसमें एजेंट का कमीशन भी शामिल होता है। कई बार देखा गया है कि मोटे कमीशन के लालच में बैंक के संबंधित कर्मचारी अपने ग्राहकों को बैंक से जुड़ी म्यूचुअल फंड कंपनी या बीमा कंपनी के उत्पाद बेचते हैं। जबकि वह ग्राहकों को लिए नुकसान वाली होती हैं।

क्या है झांसा देकर उत्पादन बेचना
ग्राहक या निवेशक के लिए नुकसान वाले उत्पाद को फायदेमंद बताकर बेचने की प्रक्रिया को वित्तीय भाषा झांसा देकर उत्पादन बेचना (मिस सेलिंग) कहा जाता है। शेयर लंबी अवधि के निवेश माने जाते हैं और इसमें जोखिम अधिक होता है, लेकिन इसे एजेंट या बैंक कर्मचारी छोटी अवधि में ऊंचा रिटर्न के नाम पर बेचते हैं तो यह मिस सेलिंग कही जाती है।

इसी तरह एफडी की बजाय शेयर या म्यूचुअल फंड में ऊंचे रिटर्न का लालच देकर ग्राहकों को उसमें पैसा लगाने के लिए कहा जाता है तो यह भी मिस सेलिंग होती है क्योंकि एफडी सुरक्षित श्रेणी निवेश उत्पाद है और शेयर बहुत अधिक जोखिम वाला। इन दोनों में तुलना नहीं हो सकती है।

गलत उत्पाद के चुनाव से ऐसे बचें
बैंक अपने केवल उससे जुड़े म्यूचुअल फंड स्कीम या बीमा उत्पाद खरीदने के लिए कहता है तो इसे खतरे का संकेत समझें।

कमीशन छोड़ने (leave commission) या किसी भी तरह का शुल्क नहीं लेने का दावा किया जाता है तो सतर्क हो जाएं क्योंकि ऐसे में शुल्क आपके निवेश में छुपा होता है।

एफडी में तय ब्याज मिलता है और उसके अलावा किसी भी अन्य निवेश में ऊंचे रिटर्न की पेशकश आपके निवेश पर जोखिम अधिक जोखिम का संकेत होता है।

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