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बड़ी खबर : भारत में अभी भी इन 8 कोरोना वैक्सीन पर चल रहा है काम

नई दिल्ली। देश में कोरोना वैक्सीन को लेकर ड्रग्‍स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने रविवार को बड़ा ऐलान करते हुए सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के आपातकाल इस्तेमाल को अंतिम मंजूरी दे दी। DCGI से मंजूरी मिलने के बाद इन दोनों कोरोना वैक्सीन को अब आम लोगों को लगाया जा सकेगा।

दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ने कहा कि वे हर महीने ऑक्सफोर्ट-एस्ट्राजैनेका की वैक्सीन के 50-60 मिलियन डोज बना रहे हैं। कंपनी ने कहा है कि यह वैक्सीन फाइजर-बायोएनटेक के मुकाबले सस्ती है और ट्रांसपोर्टेशन भी आसान है। भारत ने 2021 के मध्य तक 130 करोड़ से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य रखा है। कंपनी के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा कि वैक्सीन के 40-50 मिलियन डोज लगाए जाने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि हम सरकार के साथ कॉन्ट्रैक्टर साइन करने का इंतजार कर रहे हैं।

Zycov D Vaccine : कोविशील्ड और कोवैक्सीन के अलावा अहमदाबाद की Zydus Cadila लैब में तैयार हो रही Zycov D वैक्सीन भारत की ऐसी तीसरी वैक्सीन है, जिसे तीसरे फेज के ट्रायल की अनुमति मिल गई है। Zydus Cadila ने अपने दो चरणों का ह्यूमन ट्रायल पूरा कर लिया है। अभी तक के नतीजों के मुताबिक वैक्सीन काफी प्रभावी दिखाई देती है। जायडस कैडिला के चेयरमैन पंकज पटेल के मुताबिक अभी लक्ष्य मार्च 2021 तक वैक्सीन का ट्रायल पूरा करने का है।

Sputnik V Vaccine : रूस की स्पुतनिक V का भी भारत में इस समय ट्रायल किया जा रहा है। Sputnik V वैक्सीन बनाने वाली कंपनी का दावा है कि ट्रायल के दौरान यह 91.4 फीसदी सही साबित हुई है। भारत में अगर वैक्सीन अपने सभी चरण पूरे करती है तो इस वैक्सीन का भारत में बड़े पैमाने पर उत्पादन होगा। इस वैक्सीन को 18 डिग्री के तापमान पर स्टोर किया जा सकता है। भारत ने इस वैक्सीन की 10 करोड़ डोज बुक की है। भारत में हैदराबाद स्थित Dr Reddy’s Laboratories इसका ट्रायल कर रही है।

BNT162b2 Vaccine : फाइजर ने भारत में कोरोना वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल के लिए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से अनुमति मांगी है। आरएनए बेस्ड इस वैक्सीन को ट्रायल में 95 फीसदी तक प्रभावी पाया गया है। इस वैक्सीन को स्टोर करने के लिए माइनस 70 डिग्री तक का तापमान चाहिए होगा जो कि भारत और अन्य देशों के लिए काफी मुश्किल साबित हो सकता है।

NVX-CoV2373 Vaccine : NVX-CoV2373 वैक्सीन प्रोटीन के सब यूनिट पर आधारित है और इसे नोवावैक्स के साथ मिलकर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया विकसित कर रहा है। भारत में इसके तीसरे चरण के ट्रायल की तैयारियां चल रही हैं।

HGCO 19 Vaccine : HGCO 19 वैक्सीन mRNA आधारित वैक्सीन है, जिसे पुणे की कंपनी Genova अमेरिकी कंपनी HDT के मिलकर विकसित कर रही है। जानवरों पर इस वैक्सीन का ट्रायल पूरा हो चुका है। ह्यूमन क्लिनिकल ट्रायल का पहला और दूसरा चरण अभी शुरू होने वाला है।

MRNA-1273 Vaccine : अमेरिकी कंपनी Moderna की वैक्सीन पर भारत की नजर टिकी हुई है। इस वैक्सीन को mRNA-1273 नामसे जाना जाता है। मॉडर्ना और NIAID का दावा है कि उनकी वैक्सीन ने 94।5 फीसदी तक सफलता साबित की है। इस वैक्सीन को स्टोर करने के लिए -20 डिग्री तक का तापमान चाहिए। हालांकि ये वैक्सीन महंगी हो सकती है।

Biological E Vaccine : हैदराबाद की कंपनी Biological E लिमिटेड ने जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी के साथ इस वैक्सीन को विकसित करने के लिए समझौता किया है। यह सिंगल डोज वैक्सीन है। इस वैक्सीन के फेज 1 और फेज 2 का ट्रायल चल रहा है। फेज 1 में डोज को लेकर और फेज 2 में इसके प्रभाव को लेकर क्लीनिकल ट्रायल जारी है।

NVX-CoV2373 Vaccine : NVX-CoV2373 वैक्सीन प्रोटीन के सब यूनिट पर आधारित है और इसे नोवावैक्स के साथ मिलकर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया विकसित कर रहा है। भारत में इसके तीसरे चरण के ट्रायल की तैयारियां चल रही हैं।

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