इंदौर न्यूज़ (Indore News)

तीन माह पहले दूल्हा बनाए उम्मीदवारों को सहना होंगे बारातियों के नखरे और खर्चे

धरे रह गए सारे मापदण्ड भी, बागी-हरल्लों के साथ उम्रदराज भी पा गए भाजपाई टिकट… अब कांग्रेस को मुकाबले में दमदार चेहरे उतारने की सहूलियत भी
इंदौर, राजेश ज्वेल
यह पहला मौका है जब भाजपा जैसी सबसे बड़ी और सत्तारुढ़ पार्टी ने विधानसभा चुनाव से तीन महीने पहले ही 39 उम्मीदवारों की पहली चौंकाने वाली सूची जारी कर दी। सोशल मीडिया पर जैसे ही यह सूची आई कुछ समय तक तो किसी को भरोसा नहीं हुआ। सबको लगा कि सूर्ची फर्जी है। मगर थोड़ी देर बाद स्थिति स्पष्ट हो गई कि दिल्ली दरबार ने ये सूची जारी की है। अभी लगातार पार्टी सूत्रों से ये खबरें आ रही थी कि इस बार के चुनाव में कढ़ाई से टिकट बांटे जाएंगे। परिवारवाद, हारे हुए यानी हरल्लों के साथ-साथ बागी या उम्रदराज नेताओं को टिकट नहीं मिलेगा। मगर इस पहली ही सूची में सारे मापदण्ड धरे रह गए। बागी-हरल्लों के साथ उम्रदराज भी टिकट पा गए और अब तीन महीने पहले जिन उम्मीदवारों को दूल्हा बना दिया है अब उन्हें बारातियों यानी पार्टी नेताओं, कार्यकर्ताओं से लेकर अन्य के नखरे और खर्चे सहन करना पड़ेंगे।


अभी तक कांग्रेस की ओर से यह हल्ला मचाया जा रहा था कि सर्वे के आधार पर कमलनाथ उम्मीदवारों की पहली सूची जल्द ही जारी कर देंगे। मगर जिस तरह भाजपा के दिल्ली दरबार ने प्रदेश चुनाव की पूरी बागडोर अपने हाथ में ली, खासकर गृहमंत्री अमित शाह ने दौरे भी किए और दिल्ली में भी बैठक बुलाई और कल अचानक 39 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी भी कर दी, जिसमें कई नाम चौंकाने वाले तो हैं ही, वहीं उतने दमदार भी नहीं माने जा रहे हैं। हालांकि भाजपा ने ये सभी उम्मीदवार उन सीटों पर घोषित किए हैं जहां पिछले चुनाव में उसे हार का मुंह देखना पड़ा था। यानी इन सभी हरल्ली सीटों पर 100 दिन पहले उम्मीदवारों की घोषणा इसलिए की गई ताकि वे एक-एक मतदाता तक आसानी से पहुंच सकें। इसमें राऊ से मधु वर्मा को भी टिकट दिया गया है, जो कि पिछला चुनाव 5703 वोट से हार गए थे। हालांकि वर्मा ना सिर्फ मैदानी नेता हैं, बल्कि प्राधिकरण अध्यक्ष के रूप में भी उनके खाते में कई उपलब्धियां दर्ज हैं। सुपर कॉरिडोर, एमआर-10 के साथ-साथ कई सौगातें उनके कार्यकाल में मिली। मगर एक परेशानी इन उम्मीदवारों के सामने यह अवश्य है कि अब उन्हें तीन महीने तक मतदाताओं के साथ-साथ पार्टी के कार्यकर्ताओं, नेताओं सहित मीडिया को भी साधकर रखना पड़ेगा। दूल्हा बने इन उम्मीदवारों को बारातियों का खर्चा-नखरे अत्यंत महंगे भी पड़ेंगे, क्योंकि अभी तक 15 से 20 दिन चुनाव प्रचार का समय रहता था, मगर इन उम्मीदवारों को 100 दिन से अधिक मिलेंगे।


गारंटी नहीं… बदले भी जा सकते हैं ऐन वक्त पर कुछ टिकट
इस बात की भी कोई गारंटी नहीं है कि तीन महीने पहले जो 39 उम्मीदवारों की सूची जारी की गई है इनमें से कुछ नाम ऐन वक्त पर बदले नहीं जाएंगे। संभव है अगर कुछ नए राजनीतिक समीकरण बदले या कांग्रेस ने मुकाबले में दमदार चेहरे उतार दिए तो संभव है कुछ उम्मीदवारों को दिल्ली दरबार बदल भी दे। वहीं एक-दो उम्मीदवार ऐसे हैं जो खुद अपनी सीट बदलना चाहते हैं, जिसमें शहपुरा सीट से उम्मीदवार बनाए गए पूर्व मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे का नाम भी सामने आया है कि वे अपनी सीट बदलने के इच्छुक हैं। वहीं कांग्रेस के लिए थोड़ी आसानी यह अवश्य है कि वह इन 39 सीटों पर पहले से तय चेहरों में संशोधन कर दमदार उम्मीदवारों को उतार सकती है। बहरहाल भाजपा ने चुनावी बिगुल बजाने में बाजी अवश्य मार ली।


दिल्ली दरबार से ही तय होंगे सभी टिकट – सर्वे की भी शुरुआत
मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव की पूरी बागडोर दिल्ली दरबार ने संभाल रखी है और अमित शाह के सर्वे के मुताबिक ही 39 सीटों पर उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की गई। उसी तरह सभी 230 सीटों पर ही दिल्ली दरबार की सहमति और सर्वे के आधार पर ही उम्मीदवारी का चयन होगा। प्रदेश के तमाम दिग्गजों की अधिक नहीं चलेगी और किसी का टिकट कट भी गया तो वह सवाल भी नहीं पूछ सकेगा, क्योंकि अमित शाह से बात करने की हिम्मत किसी में नहीं है।

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