भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

जि़न्दगी भर संघर्ष करने वाले कार्टूनिस्ट कौशल मालवीय का ब्रेन ट्यूमर से निधन

मैं जि़न्दगी का साथ निभाता चला गया
हर फि़क्र को धुएं में उड़ाता चला गया।

गुजऱे शनीचर को कार्टूनिस्ट कौशल मालवीय चल बसे। 60 बरस के कौशल कुछ अरसे से बीमार चल रहे थे। उन्हें ब्रेन ट्यूमर था। डॉक्टरों के मुताबिक उस कैंसरस ट्यूमर की सर्जरी नहीं हो सकती थी। जब से अखबारों में कार्टूनिस्ट की ज़रूरत कम हुई तब से कौशल इस फन से अलग हो गए थे। कौशल को सीनियर जर्नलिस्ट अवधेश बजाज ने मीडिया में इंट्रोड्यूज किया था। इन्होंने बिच्छु डॉट कॉम, दैनिक जागरण, दैनिक नईदुनिया, सांध्य प्रकाश, राज एक्सप्रेस में काम किया। 1992 में सागर में दैनिक आचरण में इन्होंने कार्टून बनाने की शुरुआत की थी। जब कौशल को अखबारों में काम मिलना बंद हुआ तो ये अपने आबाई शहर बैतूल चले गए। वहां बच्चों को क्ले आर्ट, लकड़ी के खिलौने और सिरेमिक का काम सिखाने लगे। जब ये काम भी नहीं चला तो कौशल फिर भोपाल लौटे और अखबारों में फ्रीलांसिंग करने लगे। पता चला कि वो विदिशा के किसी स्कूल में फाइन आर्ट्स के टीचर हो गए थे।



बाकी बीमारी के चलते एक साल से बेरोजगार थे। मझोले और साप्ताहिक अखबारों और पत्रिकाओं के पेज बनाने का काम भी इन्होंने शुरू किया था। लेकिन मूडी मिजाज़ और किसी की नहीं सुनने की खसलत के चलते ये काम भी ज़्यादा नहीं चल सका। उन्हें जानने वाले बताते हैं कि कौशल की जि़न्दगी उतार चढ़ाव और तंगदस्ती के हमराह गुजऱी। वो जि़न्दगी भर संघर्ष करते रहे। उन्होंने अभावों में जि़न्दगी गुज़ारी लेकिन कभी किसी के सामने हाथ नहीं फैलाये। कौशल अपना दर्द किसी से नहीं कहते थे। कोई पूछता तो कहते- सब बढिय़ा। आपसी बातचीत में ठहाके लगाकर वो अपना गम गलत करते रहने वाले इंसान थे। वो मल्टी टेलेंटेड आदमी थे लेकिन जि़न्दगी ने उनसे वफ़ा नहीं की। इनके भाई नंदू मालवीय फिलहाल परिवार का ध्यान रख रहे हैं। ये अशोक विहार के पास एपीजे कालोनी के छोटे से किराए के घर मे रहते थे। कौशल मालवीय अपने पीछे बीवी और एक बेटी को छोड़ गए हैं। बेटी किसी कंपनी के लिए वर्क फ्रॉम होम करती है। उन्हें खिराजे अक़ीदत।

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