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केन्‍द्र ने बढ़ाई विपक्ष की चिंता, वन नेशन-वन इलेक्शन की चर्चा तेज, बुलाया संसद का पांच दिवसीय विशेष सत्र

नई दिल्‍ली (New Delhi) । विपक्षी दलों (opposition parties) का गठबंधन INDIA की तीसरी बड़ी बैठक (meeting) मुंबई में शुरू होने से पहले 18 सितंबर से 22 सितंबर तक संसद (Parliament) का पांच दिवसीय विशेष सत्र (special session) बुलाने के सरकार के आश्चर्यजनक फैसले ने विपक्षी गुट को हैरान कर दिया है। सरकार के इस कदम से ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की अटकलें शुरू हो गईं हैं। विपक्षी धड़ों के कुछ नेताओं को लग रहा है कि केंद्र की सत्ताधारी बीजेपी अगले साल अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनावों को आगे बढ़ा सकती है और अपने पुराने एजेंडे वन नेशन, वन इलेक्शन का ऐलान कर सबको चकित कर सकती है।

इसी कड़ी में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि केंद्र सरकार का यह कदम ‘थोड़ी घबराहट’ दर्शाता है। राहुल गांधी पहले से कहते रहे हैं कि सरकार डरी हुई है। ऐसे में वह हार के डर से कोई भी कदम उठा सकती है। दूसरी तरफ, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश समेत कुछ अन्य कांग्रेस नेताओं ने विपक्षी गठबंधन INDIA की बैठक और अडानी समूह पर ताजा खुलासों से ध्यान हटाने के लिए इसे “मोदी स्टाइल में समाचार चक्र का प्रबंधन” करार दिया है।


मोदी सरकार की रणनीति चाहे जो भी रही हो लेकिन विपक्षी गठबंधन की बैठक से ठीक पहले संसद के विशेष सत्र की घोषणा पर मुंबई में विपक्षी नेताओं ने माथापच्ची तेज कर दी है। INDIA गठबंधन के अधिकांश नेताओं ने विपक्षी दलों की एकता और कुनबा बढ़ाने पर जोर दिया है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जिन्होंने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा था कि बीजेपी लोकसभा चुनाव पहले करा सकती है, ने कहा कि विपक्षी दलों को अपने प्रयास और तेज करने चाहिए।

सूत्रों ने कहा कि शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे ने कहा कि मोदी सरकार का यह ऐलान आश्चर्य करने वाला है क्योंकि संसद के विशेष सत्र के दौरान ही महाराष्ट्र में गणेश उत्सव होना है। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार के पास कुछ न कुछ बड़ी प्लानिंग है। दूसरी तरफ आप के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि विपक्षी दलों को सीट बंटवारे पर बातचीत तेज करनी चाहिए और 30 सितंबर तक संयुक्त उम्मीदवार व्यवस्था की घोषणा करने का प्रयास करना चाहिए।

इस बीच, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि गठबंधन में शामिल पार्टियों को उन प्रमुख बिंदुओं की पहचान करनी चाहिए जिन्हें संयुक्त घोषणापत्र का हिस्सा बनाया जाना है और महात्मा गांधी की जयंती (2 अक्टूबर) पर इसकी घोषणा कर देनी चाहिए।

संसद का विशेष सत्र बुलाने पर विपक्षी खेमे में समान नागरिक संहिता और संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण देने पर विवादास्पद विधेयक लाने की भी चर्चा हो रही है। एक अन्य नेता ने कहा कि सरकार वास्तव में समय से पहले चुनाव कराने पर विचार कर रही है, जबकि कई लोगों ने कयास लगाए हैं कि सरकार “कुछ उच्च प्रभाव वाले कानून लाने” की योजना बना रही है। बहरहाल, मोदी सरकार की नई घोषणा ने विपक्षी दलों के बीच तुरंत सीट बंटवारे से लेकर चुनावी मुद्दे और संयुक्त घोषणा पत्र की तात्कालिकता की भावना जगा दी है।

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