नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court ) ने केंद्र सरकार (Central Government) को निर्देश दिया है कि वह दुर्लभ बीमारियों से जूझ रहे बच्चों (children suffering from rare diseases) के इलाज के लिए क्राउड फंडिंग का प्लेटफार्म (crowd funding platform) तत्काल लांच करें। जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच ने कहा कि अगर अगली सुनवाई की तिथि 4 अगस्त तक क्राउड फंडिंग का प्लेटफार्म लांच नहीं किया जाता है तो कार्रवाई की जाएगी।
दरअसल सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि वो बड़ी लागत वाले दुर्लभ बीमारियों के इलाज का खर्च नहीं दे सकती है। केंद्र सरकार ने कहा कि वे दुर्लभ बीमारियों से ग्रस्त रोगियों के इलाज में मदद करना चाहता है। केंद्र ने कहा कि अगर लोगों या कारपोरेट से दान लिया जाए तो इलाज के खर्च की खाई को पाटा जा सकता है। इसके लिए क्राउडफंडिंग के जरिये धन एकत्र किया जा सकता है। तब कोर्ट ने कहा कि दुर्लभ बीमारियों के रोगियों को इस आधार पर इलाज से वंचित नहीं किया जा सकता है कि इनके खर्चे काफी ज्यादा हैं।
पिछले 19 अप्रैल को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया था कि दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए नेशनल हेल्थ पॉलिसी फॉर रेयर डिसीजेस को पिछले 30 मार्च को नोटिफाई कर दिया गया। हाईकोर्ट ने एम्स अस्पताल को निर्देश दिया था कि वो बताएं कि जितने याचिकाकर्ता हैं। उनकी बीमारियों के इलाज में कितना खर्च आएगा। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि अगर एम्स को और खर्च की जरूरत होगी तो वह उपबल्ध कराएगी। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने कहा कि डिसेबिलिटी एक्ट की धारा 86 के तहत फंड का प्रावधान है। उस फंड को भी रेयर डिसीज के बीमारों पर खर्च किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि अर्नेश शॉ नामक बच्चे ने याचिका दायर की थी। पिछले 23 मार्च को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वो नेशनल हेल्थ पॉलिसी फॉर रेयर डिसीजेस को 31 मार्च तक लागू करें। कोर्ट ने केंद्र सरकार को दुर्लभ बीमारियों के इलाज के रिसर्च करने के लिए एक कमेटी और एक फंड गठित करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने नेशनल कंसोर्टियम फॉर रिसर्च , डेवलपमेंट एंड थेराप्युटिक फॉर रेयर डिसीजेस नामक कमेटी का गठन करने और रेयर डिसीजेस फंड गठित करने का आदेश दिया था।
कोर्ट ने कहा था कि रेयर डिसीजेस कमेटी एम्स में गठित की जाए जहां रेयर डिसीज से पीड़ितों के आवेदनों के इलाज और खर्च पर विचार किया जाएगा। अगर एम्स में सीधे कोई आवेदन आता है तो कमेटी उस पर दो हफ्ते के अंदर विचार करेगी। अगर कोई आवेदन दूसरे संस्थान में दिया जाता है तो उस आवेदन पर ये कमेटी चार हफ्ते के अंदर विचार करेगी। कोर्ट ने कहा था कि पिछले तीन सालों के दौरान रेयर डिसीज के लिए आवंटित जो फंड खर्च नहीं किया जा सका है, उसे रेयर डिसीज फंड में ट्रांसफर किया जाएगा। इस फंड की देखरेख एम्स करेगा जो कि इस फंड की नोडल एजेंसी होगी। कोर्ट ने कहा था कि इसके लिए लोगों से दान लेने के लिए जो डिजिटल प्लेटफार्म बनाया जाएगा। उसे इस फंड से लिंक किया जाएगा। कोर्ट ने कहा था कि सरकार आगामी वित्तीय वर्ष में रेयर डिसीज पर बजट बढ़ाने पर विचार करे। (एजेंसी, हि.स.)
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