भिंड. कोरोना महामारी में भीख मांगकर गुजारा कर रहे पांचों भाई-बहनों को सहारा मिल गया है. खबर दिखाने के बाद इन्हें सरकार से सहायता मिल गई है. इससे पहले ये बच्चे ग्रामीणों की कृपा पर जी रहे थे. माता-पिता की भूमिका निभा रही 10 साल की बच्ची को भाई-बहनों को धूप और बारिश से बचाने के लिए छत की जरूरत थी, तो इस छोटे से परिवार ने श्मशान में अपना आशियाना बनाया था. दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए इन्हें दिनभर जद्दोजहद करनी पड़ती थी. मामला भिंड जिले के लहार के अमाह का है.
इन बच्चों की खबर देखने के बाद कलेक्टर सतीश कुमार एस., पुलिस अधीक्षक मनोज सिंह सहित कई अधिकारी मौके पर पहुंचे. इस दौरान पूरा इलाका छावनी बन गया. आंगनबाड़ी की महिलाएं भी पहुंच गईं. उन्होंने मासूम बच्चों को नाश्ता कराया और नए कपड़ों से सजाया. प्रशासनिक अधिकारियों ने उनकी कोरोना की जांच कराई और लहार शिशु गृह भेज दिया. कलेक्टर एसपी बच्चों से मिलने शिशु गृह भी पहुंचे. उन्होंने बच्चों से बात की और वहां के संचालक को बच्चों की देख-रेख के लिए निर्देशित किया.
दादा ने मोड़ लिया मुंह : बता दें बच्चों के पिता राघवेन्द्र वाल्मीकि की मौत फरवरी में हुई. उसके बाद इन बच्चों को मां का ही सहारा था. लेकिन पति की मौत के चार महीने बाद महिला भी कोरोना का शिकार हो गई. इसके बाद बच्चे पूरी तरह अनाथ हो गए. इन बच्चों के दादा उसी गांव में ही रहते हैं, लेकिन उन्होंने भी इनसे मुंह मोड़ लिया. तीन बहनों एवं दो भाइयों में सबसे बड़ी 10 वर्षीया निशा है, जबकि सबसे छोटा भाई सात माह का है. जब माता-पिता की मौत हुई तो निशा बच्चों को लेकर श्मशान मैदान के पास एक कुटिया में आ गई. जब बारिश होती है तो वे मैदान के अंदर टीन की छप्पर के नीचे छुप जाते थे.
शुरुआत में नहीं मिली सहायता : गौरतलब है कि राज्य सरकार ने कोरोना महामारी में अनाथ हुए बच्चों के लिए मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल सेवा योजना की शुरुआत भी मई में की है. लेकिन, इसके बावजूद बच्चों को पहचान पत्र और अन्य दस्तावेजों के अभाव में अभी तक सहायता नहीं मिल पायी थी.
ये थी बच्ची की गुजारिश : निशा कहती है- “कोरोना के कारण माता-पिता की मौत के बाद हमारे पास कुछ भी खाने के लिए नहीं है. इसलिए हमें गांववालों की ओर से दूध और अन्य खाद्य सामग्रियां दी जाती हैं. वे कपड़े भी देते हैं. हम सरकार से आग्रह करते हैं कि वह हमारे वास्ते सिर छुपाने के लिए घर, खाने-पीने की सामग्री एवं शिक्षा की व्यवस्था करे.”
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