इंदौर न्यूज़ (Indore News)

डिस्पेंसरी के रियायती भूखंड पर CHL ने ताना अवैध हॉस्पिटल

इंदौर विकास प्राधिकरण को पहनाई करोड़ों की टोपी, ट्रस्ट के नाम पर मामूली दरों पर हासिल 30 हजार स्क्वेयर फीट जमीन पर खोला केंसर व गेस्ट्रो हॉस्पिटल
इंदौर, राजेश ज्वेल।
अभी कोरोना काल (Corona Call) में अधिकांश निजी अस्पतालों (Private Hospitals) की तरह सीएचएल (CHL) भी जहां मरीजों (Patients) के साथ लूटपट्टी में पीछे नहीं रहा, वहीं अवैध निर्माण की हरकतों से भी बाज नहीं आया। एबी रोड पर एलआईजी चौराहा के पास स्थित पुराने हॉस्पिटल के बगल में अवैध कैंसर हॉस्पिटल (Illegal Cancer Hospital) का निर्माण तो किया ही, वहीं अब एक और बड़ा घोटाला प्राधिकरण के भूखंड पर भी कर डाला। रियायती दर पर ट्रस्ट के नाम पर हासिल लगभग 30 हजार स्क्वेयर फीट जमीन जो कि डिस्पेंसरी (Dispensary) उपयोग के लिए निर्धारित थी, पर विशाल केंसर  (Cancer) और गेस्ट्रो हॉस्पिटल  (Gastro Hospital) तान लिया। मात्र 46 लाख रुपए में आबंटित करवाए इस भूखंड (Plot) की वर्तमान कीमत आज 40-50 करोड़ रुपए से कम नहीं होगी। यानी प्राधिकरण को भी करोड़ों रुपए की तगड़ी टोपी पहना दी।


सीएचएल समूह (CHL Group) ने एक और गोरखधंधा प्राधिकरण (Authority) की योजना 114 पार्ट-1 में डिस्पेंसरी उपयोग के लिए आरक्षित भूखंड को हासिल कर उस पर 100 बिस्तरों से अधिक के विशाल कैंसर एवं गेस्ट्रो हॉस्पिटल को निर्मित कर किया और पिछले ही दिनों यह हॉस्पिटल शुरू भी हो गया। इस मामले में वस्तु स्थिति यह है कि डिस्पेंसरी उपयोग के लिए आरक्षित भूखंड को सीएचएल चैरिटेबल ट्रस्ट (CHL Charitable Trust)  तर्फे नेमीचंद पिता माणकचंद मारू ट्रस्टी 153 बैकुंठधाम कालोनी इंदौर को 3 जून 2011 को आबंटित किया गया था। 2951.66 वर्ग मीटर यानी 30 हजार स्क्वेयर फीट से अधिक के इस भूखंड को 30 साल की लीज पर प्राधिकरण ने सीएचएल चैरिटेबल ट्रस्ट को सौंपकर लीज शर्तों के मुताबिक रजिस्ट्री भी करवा दी। इसके एवज में प्राधिकरण ने 85 लाख 72 हजार रुपए की राशि प्रीमियम के रूप में और फिर व्ययन नियम 1973 के नियम 47 में जो संशोधित प्रावधान किए गए थे उसके तहत भूखंड का अग्रिम लीज रेंट 78 हजार और आगामी वर्षों के लिए 28454 जमा करवाया। इसमें प्राधिकरण ने लीज आबंटन की शर्तों में यह स्पष्ट लिखा कि उक्त भूमि का उपयोग डिस्पेंसरी यानी औषधालय के संचालन संबंधी गतिविधियों हेतु ही किया जा सकेगा और इसका उपयोग परिवर्तन नहीं होगा तथा डिस्पेंसरी उपयोग के अलावा अन्य किसी प्रकार से आय अर्जित करने, जैसे औद्योगिक, वाणिज्यिक आदि का उपयोग नहीं किया जा सकेगा और यदि ऐसा किया गया तो प्राधिकरण को अधिकार रहेगा कि वह लीज निरस्त कर भूमि वापस अपने आधिपत्य में ले और ऐसी स्थिति में भूमि पर किए गए निर्माण कार्यों का भी कोई मुआवजा देय नहीं होगा और निगम से स्वीकृत नक्शे के मुताबिक ही निर्माण कार्य किया जाए और स्वीकृत नक्शे के विरूद्ध कार्य होने की दशा में भी लीज निरस्ती का अधिकार प्राधिकरण को रहेगा। अब लाख टके सवाल यह है कि प्राधिकरण ने रियायती दर पर डिस्पेंसरी का भूखंड सीएचएल चैरिटेबल ट्रस्ट (CHL Charitable Trust) को आबंटित किया और डिस्पेंसरी की मान्य परिभाषा के मुताबिक ऐसा स्थान, जहां से सिर्फ औषधि यानी दवाई प्रदाय की जा सकती है। हॉस्पिटल का निर्माण और संचालन तो संभव ही नहीं है। इतना ही नहीं पिछले दिनों प्राधिकरण में ट्रस्ट ने एक आवेदन प्रस्तुत किया, जिसमें यह मांग की गई कि डिस्पेंसरी उपयोग का जो भूखंड सीएचएल चैरिटेबल ट्रस्ट को क्रय किया गया उसे सीएचएल मेडिकल सेंटर (CHL Medical Center) एलएलपी के नाम पर अंतरित किया जाए और इस आशय का अनापत्ति प्रमाण-पत्र भी दें। जांच में पता चला कि लीज शर्तों में ही स्पष्ट लिखा है कि स्वीकृत नक्शे के मुताबिक भवन निर्माण के बाद प्राधिकारी की अंतरण शर्तों के अनुसार अंतरण समान उद्देश्य के लिए स्थापित पंजीकृत संस्था को ही किया जा सकेगा। यानी सीएचएल चैरिटेबल ट्रस्ट की तरह ही अन्य कोई ट्रस्ट जो सिर्फ डिस्पेंसरी उपयोग करना चाहे, वह ही इस भूखंड को खरीद सकेगा। जबकि प्राधिकरण को सौंपे आवेदन में सीएचएल चैरिटेबल ट्रस्ट ने डिस्पेंसरी की बजाय सीएचएल मेडिकल सेंटर एलएलपी के नाम पर अंतरण चाहा। यहां पर एक और मजेदार तथ्य यह भी उजागर हुआ कि ट्रस्ट ने जो एलएलपी बनाई वह भी घरेलू है। एलएलपी एग्रीमेंट 2 मार्च 2021 को तैयार किया गया, जिसमें श्रीमती रेणु भार्गव और श्रीमती ललिता नेमीचंद मारू पार्टनर के रूप में रहे और 50-50 फीसदी की हिस्सेदारी बताई गई। यानी ट्रस्ट और एलएलपी दोनों में सीएचएल समूह के कर्ताधर्ता ही शामिल हैं। प्राधिकरण के सीईओ विवेक श्रोत्रिय (CEO Vivek Shrotriya) के मुताबिक ट्रस्ट ने जो एनओसी मांगी उसे जारी करने का सवाल ही नहीं उठता है, बल्कि लीज शर्तों के उल्लंघन के मामले में ट्रस्ट के खिलाफ कार्रवाई भी शुरू की जा रही है। वहीं नगर निगम से भी स्वीकृत नक्शे की कॉपी मांगी गई है।


सम्पदा अधिकारी बोले – शिकायत मिलते ही करेंगे कार्रवाई
डिस्पेंसरी के भूखंड पर खोले गए विशाल हॉस्पिटल के संबंध में जब प्राधिकरण के सम्पदा अधिकारी अनिल अग्रवाल से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस संबंध में शिकायत मिलते ही कार्रवाई की जाएगी। हालांकि पिछले दिनों ट्रस्ट ने एलएलपी के नाम पर अंतरण की जो अनुमति मांगी थी वह नहीं दी। साथ ही निगम (Corporation) से मंजूर नक्शे की जानकारी भी मांगी गई और अब स्वास्थ्य विभाग से पूछा जाएगा कि बिना प्राधिकरण एनओसी के हॉस्पिटल संचालन की अनुमति कैसे दी? डिस्पेंसरी के रियायती भूखंड पर हॉस्पिटल (Hospital) का निर्माण नहीं किया जा सकता।

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