- शासन मंजूरी के बाद टीपीएस में घोषित योजनाओं का होगा प्रारुप प्रकाशन… 6 माह के भीतर योजनाओं पर लेना पड़ेगा अंतिम निर्णय भी
इंदौर। प्राधिकरण अब लैंड पुलिंग एक्ट के तहत योजनाओं को घोषित कर सकता है। शासन अनुमति के पश्चात प्राधिकरण ने 5 पुरानी योजनाओं को नए सिरे से टीपीएस के तहत घोषित किया है। हालांकि 1 से लेकर 8 तक घोषित इन योजनाओं में से टीपीएस-2 राऊ की योजना अधर में लटकी है और टीपीएस-6 और 7 की अनुमति शासन ने पहले रोकी और अब प्राधिकरण ने नए सिरे से बनाकर भेजी है। वहीं 5 योजनाओं को अनुमति मिली, जिसके चलते प्रारुप प्रकाशन की तैयारी प्राधिकरण कर रहा है, ताकि जमीन मालिकों के दावे-आपत्तियों को लेकर उनका निराकरण किया जा सके। 6 महीने में प्राधिकरण को यह पूरी प्रक्रिया अंतिम रूप से करना होगी। वहीं टीपीएस 9 औैर 10 को मंजूरी के लिए शासन को भेज दिया है। अभी टीपीएस-1, 3, 4, 5 और 8 का प्रारुप प्रकाशन किया जाएगा और 30 दिन का समय उसके बाद दावे-आपत्तियों के लिए रहेगा। 3200 एकड़ से अधिक जमीनें इन 5 योजनाओं में शामिल है। नई नीति के तहत योजना में शामिल 50 प्रतिशत निजी जमीन उनके मालिकों को सौंप दी जाएगी और शेष 50 प्रतिशत जमीन प्राधिकरण के पास रहेगी।
पिछले दिनों शासन ने भोपाल भेजी गई 8 टाउन प्लानिंग स्कीम यानी टीपीएस में से 5 को तो मंजूरी दे दी, लेकिन 6 और 7 को कुछ संशोधन के साथ प्राधिकरण को भेज दिया। टीपीएस 6 में बायपास की दोनों ओर की जमीनें शामिल थी, जिसको लेकर हुए खेल का भंडाफोड़ अग्निबाण ने किया, जिसके चलते कलेक्टर मनीष सिंह ने योजना में शामिल गृह निर्माण संस्थाओं की जांच भी शुरू करवा दी, जिसमें पाश्र्वनाथ गृह निर्माण, करतार गृह निर्माण सहित अन्य संस्थाएं शामिल हैं। प्राधिकरण ने टीपीएस 6 की जगह टीपीएस 9 को घोषित किया है, तो टीपीएस 7 की जगह सुपर कॉरिडोर की जमीनों पर टीपीएस 10 घोषित की गई है। अब इन दोनों योजनाओं को मंजूरी के लिए शासन के पास हालांकि 6 माह का समय है और देखना यह है कि क्या शासन इसमें भी और संशोधन करवाएगा..? वहीें पूर्व में भेजी गई इन योजनाओं में से जिन 5 को शासन ने मंजूरी दी, अब उनके प्रारुप का प्रकाशन करने की तैयारी प्राधिकरण कर रहा है। 30 दिन का समय दावे-आपत्तियों के लिए रहेगा और फिर सुनवाई के बाद बोर्ड इन योजनाओं का अंतिम प्रकाशन करवाएगा। प्रारुप प्रकाशन के 6 माह के भीतर प्राधिकरण को योजनाएं अंतिम रूप से तैयार करना पड़ेगी। टीपीएस 1 में खजराना क्षेत्र की जमीनें शामिल हैं, तो टीपीएस 2 में राऊ और टीपीएस 3 में अरण्ड्या, तलावलीचांदा, मायाखेड़ी, टीपीएस 4 में निपानिया, कनाडिय़ा और टीपीएस 5 में भी कनाडिय़ा की कुछ जमीनें शामिल हैं। जबकि टीपीएस 8 में भौंरासला, शकरखेड़ी, कुमेर्डी और भांग्या सहित आसपास की जमीनें ली गई है। लगभग 3200 एकड़ से अधिक निजी और सरकारी जमीनें इन 5 योजनाओं में शामिल है। शासन ने जो नया लैंड पुलिंग एक्ट घोषित किया है उसमें प्राधिकरण को यह अधिकार दिए गए हैं कि वह 50 प्रतिशत जमीन किसान या उसके असल मालिक को लौटा दे और शेष 50 प्रतिशत जमीन पर सडक़ व अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ सार्वजनिक उपयोग की सुविधाएं लाएं। यानी इसमें से 20 प्रतिशत जमीन का इस्तेमाल प्राधिकरण सडक़ों के निर्माण पर करेगा और 20 प्रतिशत जमीन पर भूखंड काटकर प्राधिकरण बेचेगा, ताकि सडक़ सहित अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर की राशि हासिल की जा सकी। वहीं 10 प्रतिशत जमीन हरियाली के लिए सुरक्षित रहेगी। हालांकि इंदौरी जमीन मालिकों को पुरानी विकसित की पॉलिसी ज्यादा पसंद आ रही है।
नगर नियोजक के तबादले से भी प्रभावित होगी योजनाएं
शासन ने अचानक प्राधिकरण नगर नियोजक आरके सिंह का तबादला जबलपुर कर दिया। उनकी जगह एनवीडीए में पदस्थ खरे को भेजा गया है, जो विगत कई वर्षों से नियोजन से ही दूर रहे हैं। प्राधिकरण का स्पष्ट कहना है कि नगर नियोजक के तबादले से नई योजनाओं को अमल में लाने में परेशानी होगी, क्योंकि अभी 5 टीपीएस की योजनाओं के प्रारुप का प्रकाशन और दावे-आपत्ति की प्रक्रिया भी जल्द शुरू की जाना है और उसके पश्चात नई घोषित टीपीएस 9 और 10 पर भी काम करना है। नए आने वाले नगर नियोजक तो साल-छ: माह का समय इन योजनाओं को समझने में ही लग जाएगा। लिहाजा शासन स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं कि श्री सिंह का तबादला निरस्त करवा लिया जाए, जिसकी संभावना भी अधिक है।
योजना 171 को यथावत रखा… राऊ की योजना अधर में ही
प्राधिकरण बोर्ड ने योजना 171 को यथावत रखा है, क्योंकि इसमें भूमाफियाओं के चंगुल में फंसी गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनें शामिल है, जिन पर शासन-प्रशासन पीडि़तों को भूखंड उपलब्ध करवाने की प्रक्रिया जारी रखे है। वहीं शासन ने राऊ की योजना 165, जिसे टीपीएस-2 के रूप में घोषित किया था, उसे समाप्त तो कर दिया, मगर जमीन मालिकों को एनओसी नहीं दी जा रही है। इसमें अवॉर्ड पारित करने से लेकर अन्य कई तकनीकी परेशानी आ रही है, जिसके चलते कागजों पर समाप्त हो चुकी यह योजना अभी भी अधर में ही पड़ी है, क्योंकि लगभग 100 एकड़ जमीन पर भू-अर्जन अवॉर्ड भी पारित हो गया और प्राधिकरण ने कुछ राशि भी जमा करवा दी है।