इंदौर न्यूज़ (Indore News)

शहर में कोरोना के मरीज 250 रुपए की दवाइयों से स्वस्थ हो गए

  • सर्दी-खांसी, बुखार में एंटीबॉयोटिक और विटामिन की दवा दे रहे डॉक्टर
  • होम आइसोलेशन वाले यानी घर पर इलाज करा रहे

इंदौर। शहर में अभी तक कोरोना के 11 मरीज सामने आ चुके हैं, जिनमें से 7 मरीजों का होम आइसोलेशन में इलाज अभी जारी है। बाकी 4 कोरोना पॉजिटिव मरीज सात दिन में पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके हैं। इलाज के दौरान इन मरीजों के दवाओं पर 250 रुपए से लेकर 500 रुपए ही खर्च हुए, जबकि शहर के प्राइवेट डाक्टरों की फीस ही हजार से पंद्रह सौ रुपए है।

मनोरमाराजे टीबी सेंटर में बने कोविड केयर हॉस्पिटल के डॉक्टर सजंय आवासिया के अनुसार कोरोना के जो साधारण मरीज होते हैं, उन्हें होम आइसोलेशन में इसलिए रखा जाता है कि उनसे बीमारी दूसरों में न फैल पाए। इसलिए इनका सम्बन्धित डॉक्टर की देखरेख में घर पर ही इलाज किया जाता है। यह इनके लिए सुविधाजनक होता है। जो मरीज सामान्य मतलब साधारण नहीं होते, उन्हें कोविड केयर सेंटर में रखकर इलाज किया जाता है। ऐसे कोरोना मरीजों के लिए 6 मेडिकल बेड का आईसीयू, 10 अन्य एचडीयू, मेडिकल बेड सहित वेंटिलेटर, ऑक्सीजन की व्यवस्था की गई है।

सिर्फ यह विशेष सावधानी रखें
डॉक्टर के अनुसार कोरोना के मरीज चाहे हॉस्पिटल में इलाज कराएं या घर पर, वे इस मौसम में कुनकुना गर्म पानी ज्यादा से ज्यादा पिएं। नाश्ते में मौसमी फलों और भोजन में सलाद का ज्यादा इस्तेमाल करें। इसके अलावा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि नींद भरपूर लें। अकसर देखने में आता है कि बेड रेस्ट पर मरीज मोबाइल अथवा टीवी का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। इसके कारण उनकी नींद पूरी नहीं होती, जिससे मरीज को ठीक होने में ज्यादा समय लगता है या स्वास्थ्य सम्बन्धित दूसरी परेशानियां होने लगती हैं।

साधारण मरीज 250 रुपए में ठीक
कोकिलाबेन धीरूभाई अम्बानी के चेस्ट फिजिशियन डॉक्टर रवि डोसी ने बताया कि कोरोना के ऐसे मरीज, जिन्हें पहले से कोई गम्भीर बीमारी नहीं है, उन्हें होम आइसोलेशन में इलाज के दौरान मल्टीविटामिन सहित सर्दी-खांसी, बुखार से सम्बंधित दवाए दी जाती हैं। इनमें पैरासिटामाल, एंटी एलर्जी बेसिक एंटीबॉयोटिक शामिल होती हैं। इसलिए कोरोना का साधारण मरीज 250 रुपए की दवाओं से ठीक हो जाता है।

मुफ्त में होता है इलाज
डॉक्टर अमित मालाकार ने बताया कि जो मरीज होम आइसोलेशन में होते हैं, उन्हें इलाज के लिए स्वास्थ्य विभाग की तरफ से दवाओं की किट मुफ्त दी जाती है, मगर अकसर मरीज और उनके परिजन मुफ्त की जगह निजी मेडिकल स्टोर्स की दवाओं का इस्तेमाल करते हैं। यदि मरीज सरकारी इलाज कराए तो 250 रुपए भी खर्च नहीं होंगे।

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