इंदौर न्यूज़ (Indore News)

पार्षदों का तो हो गया फैसला…अब बारी महापौर की

– वार्ड आरक्षण के बाद शहर सरकार की भी हलचल… दावेदारों ने बांध लिए घुंघरू… अब आकाओं के दरबार में छमाछम
इंदौर। शहर सरकार की भी हलचल वार्ड आरक्षण के साथ शुरू हो गई। दावेदारों ने घुंघरू बांध लिए और अब आकाओं के दरबार में छमाछम सुनाई देगी। 85 में से 42 वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित हो गए हैं। उपचुनाव के बाद ही निगम चुनाव होंगे। अब महापौर का आरक्षण राज्य शासन द्वारा भोपाल में किया जाएगा।
फरवरी में चुनी हुई परिषद का कार्यकाल समाप्त हो गया और इंदौर निगम पर प्रशासक का कब्जा है। उपचुनावों के बाद ही साल के अंत तक निगम चुनाव संभव हैं। उसके पहले वार्ड आरक्षण की प्रक्रिया कल की गई। वहीं अब महापौर का आरक्षण भी भोपाल में होना है। इंदौर में अब तीन कैटेगरी ही महापौर आरक्षण के लिए बची हैं, जिनमें सामान्य महिला-पुरुष के अलावा पिछड़ा पुरुष भी घोषित हो सकता है। भाजपा सरकार ने आते ही पहले की तरह जनता द्वारा ही महापौर चुने जाने की व्यवस्था लागू कर दी है। वार्ड आरक्षण के बाद अब दावेदारों ने भी तैयारी शुरू कर दी है। कई ने तो सोशल मीडिया के जरिए प्रचार-प्रसार भी शुरू कर दिया और अपने-अपने आकाओं के आसपास चक्कर काटते नजर भी आएंगे।
कहीं पार्षद पति कहलाएंगे तो कहीं खुद उतरेंगे मैदान में
वार्ड आरक्षण के बाद कई वर्तमान पार्षदों को अब नए वार्ड में जाना पड़ेगा या पत्नियों को चुनाव लड़ाकर पार्षद पति कहलाएंगे। पिछली बार जिन वार्डों में महिलाओं को चुनाव लड़वाया गया वे अब पुरुष वार्ड हो गए, लिहाजा उन्हें खुद ही मैदान में उतरना पड़ेगा। पूर्व महापौर परिषद के भी सदस्यों के वार्ड बदल गए हैं। नेता प्रतिपक्ष रहीं फौजिया शेख का वार्ड भी पिछड़ा वर्ग में आ गया है।
सबसे ज्यादा सामान्य वार्ड विधानसभा 4 में
वार्ड आरक्षण में सबसे अधिक विधानसभा 4 को फायदा हुआ है, जहां लगभग 92 प्रतिशत सामान्य वार्ड घोषित हुए हैं। यहां के 13 में से 12 वार्ड सामान्य, जबकि विधानसभा 1 में 65 प्रतिशत ओबीसी वार्ड हैं। 17 में से 11 वार्ड इस श्रेणी को गए, जिसके चलते कई पूर्व पार्षदों के राजनीतिक समीकरण ही गड़बड़ा गए हैं।
50 दिन में चुनाव करवाने की कोई बाध्यता नहीं
वार्ड आरक्षण के बाद 50 दिनों में निगम चुनाव करवाने की खबर सही नहीं है। निगम के विधि विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह का कोई प्रावधान वार्ड आरक्षण के लिए संबंधित नियमों में नहीं है। शासन ने 6 माह के लिए चुनाव आगे बढ़ाए थे, उसके बाद कोरोना आ गया। अब पहले उपचुनाव होंगे, उसके बाद निगम चुनाव करवाए जा सकेंगे।

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