नई दिल्ली। बीते शुक्रवार को राजधानी दिल्ली में धमाका हुआ था। यह ब्लास्ट इजरायल दूतावास (Israel Embassy) के पास हुआ था। फिलहाल मामले की जांच जारी है। जांचकर्ताओं को ब्लास्ट (Blast) के समय पर घटनास्थल के आसपास के मोबाइल टॉवर (Mobile Tower) का डंप डेटा (Dump Data) मिला है। जानकारी मिली है कि धमाके के वक्त क्षेत्र में 45 हजार मोबाइल फोन काम कर रहे थे। हालांकि, इतने बड़े डेटा में से संदिग्धों की जानकारी निकालना बड़ी चुनौती है।
शनिवार को मिले डेटा के अनुसार, इस डाटा के मुताबिक जिस वक्त धमाका हुआ उस वक्त 45 हजार मोबाइल फोन काम कर रहे थे। यह एक बड़ी चुनौती है, 45 हजार फोन कॉल्स में उन संदिग्ध नंबरों को तलाशना जो धमाका के पहले और धमाके के वक्त एक्टिव थे। सवाल यह भी है- क्या जरूरी है कि धमाके को अंजाम देने वाले संदिग्ध अपने साथ मोबाइल फोन लिए हों।
राजधानी दिल्ली में हुए धमाके को 12 घंटों से ज्यादा का समय हो चुका है। हालांकि, अब तक जांच एजेंसियों और पुलिस के हाथ कोई बड़ी सफलता नहीं लगी है। इस दौरान जैश-उल-हिंद नाम के एक आतंकवादी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। वहीं, एजेंसियां इस दावे की पुष्टि नहीं कर रही हैं। हमलावरों ने इजरायल दूतावास के बाहर आईईडी के जरिए धमाका किया था।
भारत और इजरायल के बीच राजनयिक संबंधों की 29वीं सालगिरह पर हुए इस धमाके में कोई भी घायल नहीं हुआ है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इजरायल में अपने समकक्ष गाबी अश्केनाजी से बातचीत कर भारत में मौजूद राजनयिकों की सुरक्षा का आश्वासन दिया था। दिल्ली पुलिस के अतिरिक्त जनसंपर्क अधिकारी अनिल मित्तल ने कहा कि अति-सुरक्षित इलाके में हुए धमाके में कुछ कारें क्षतिग्रस्त हुई हैं और प्रारंभिक जांच में प्रतीत होता है कि किसी ने सनसनी पैदा करने के लिए यह शरारत की।
26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दौरान हुई किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा से पहले ही दिल्ली में हालात खराब हैं। इसी बीच इजरायली दूतावास के बाहर हुए धमाके ने चिंताएं बढ़ा दी हैं। खास बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी घटना स्थल से कुछ ही दूरी पर मौजूद थे। पीएम बीटिंग रीट्रीट कार्यक्रम में शामिल हुए थे।
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