अंडा प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत है जो हमारी सेहत के लिए बड़ा फायदेमंद माना जाता है। अक्सर आपने कुछ लोगों को कच्चा अंडा भी खाते देखा होगा। कच्चे और उबले अंडे (boiled eggs) की न्यूट्रिशनल वेल्यू भी अलग-अलग होती है। उबला अंडा हमारी मांसपेशियों (Muscles) को मजबूत करता है, जबकि कच्चे अंडे में आंखों को प्रोटेक्ट करने वाले एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। इसके बावजूद कुछ एक्सपर्ट मानते हैं कि कच्चा अंडा खाने से शरीर को कई गंभीर नुकसान भी हो सकते हैं।
एलेर्जिक रिएक्शन-
कुछ लोगों को कच्चे अंडे के सफेद भाग से एलर्जी होती है। लेकिन इसका पता लगाना मुश्किल काम है। बॉडी रेशेज, सूजन, त्वचा में लालपन, ऐंठन, डायरिया, खुजली या आंख से पानी बहने जैसे लक्षणों को देखकर इसे पहचाना जा सकता है। जिन लोगों को इससे एलेर्जी होती है उन्हें सांस में तकलीफ, लो ब्लड प्रेशर या बेहोशी जैसी दिक्कतें भी हो सकती हैं।
मांसपेशियों में दर्द-
कच्चे अंडे का सफेद भाग खाने से शरीर में बायोटिन (biotin) की कमी भी हो सकती है। बायोटिन को विटामिन-बी7 के रूप में भी जाना जाता है। दरअसल कच्चे अंडे के सफेद हिस्से में मौजूद एल्बुमिन को खाने से शरीर बायोटिन को सोख लेता है। इससे कई बार बच्चों की स्किन पर रैशेज और वयस्कों में डर्माटाइटिस (dermatitis) की दिक्कत उभरने लगती है। कई मामलों में लोगों को मांसपेशियों में दर्द, हेयर लॉस (hair loss) की परेशानी भी हो सकती है।
किडनी को नुकसान-
कच्चे अंडे के सफेद भाग में मौजूद प्रोटीन का अत्यधिक सेवन किडनी से जुड़ी समस्याओं को भी ट्रिगर कर सकता है। दरअसल किडनी से जुड़ी दिक्कतें झेल रहे लोगें में ग्लोमेरुलर फिल्टरेशन रेट (GFR) का अमाउंट कम होता है। GFR एक फ्लूड फ्लो रेट है जो किडनी को फिल्टर करने का काम करता है। लेकिन सफेद भाग में मौजूद प्रोटीन GFR के अमाउंट को कम कर देता है।
बैक्टीरिया-
कच्चा या अधपका अंडा खाने से आप शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले साल्मोनेला बैक्टीरिया की चपेट में आ सकते हैं। इस बैक्टीरिया की वजह से आपको फूड प्वॉइजनिंग (food poisoning) हो सकती है। इसके अलावा पेट में ऐंठन, डायरियी, उल्टी और बुखार की समस्या घेर सकती है। ये सभी लक्षण 6 घंटे से लेकर 6 दिन के बीच कभी भी शरीर में नजर आ सकते हैं। इसका असर शरीर में 4 से 7 दिन तक रह सकता है।
किन लोगों के लिए घातक साल्मोनेला-
साल्मोनेला बैक्टीरिया एक हेल्दी इंसान को भी बीमार कर सकता है। लेकिन कुछ लोगों में इसका खतरा ज्यादा होता है। बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को इससे ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है।