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दंगाइयों पर आंसू गैस के गोले गिराने के लिए ड्रोन सिस्टम को किया विकसित

नई दिल्ली: देश में होने वाले दंगों और विरोध प्रदर्शन (Protest) के दौरान हिंसक भीड़ को काबू करने के लिए सुरक्षाकर्मी (security guard) आमतौर पर आंसू गैस के गोले छोड़ते हैं. गोलों को दागने के लिए टियर गैस गन होती है. लेकिन उसे दागते समय कई बार हिंसक भीड़ की तरफ से फेंके गए पत्थरों या पेट्रोल बमों (stones or petrol bombs) से जवानों को चोट लग जाती है. कई बार तो मौत भी हो जाती है. ऐसे हादसों से बचने के लिए बीएसएफ (BSF) ने ड्रोन से आंसू गैस के गोले छोड़ने की तकनीक विकसित की है.

इस आंसू गैस के गोले गिराने वाली यह ड्रोन सिस्टम (Tear Gas Shell Dropping Drone System) को विकसित किया है सागर डिफेंस ने. बीएसएफ का मानना है कि इस सिस्टम की वजह से हिंसक भीड़ और प्रदर्शनकारियों को संभालना आसान हो जाएगा. बीएसएफ के प्रवक्ता ने कहा कि हाल ही में इसकी टेस्टिंग मध्यप्रदेश के टेकनपुर स्थित टीयर स्मोक यूनिट (TSU) में की गई. बीएसएफ में इस यूनिट की स्थापना 1976 में की गई थी. इसी यूनिट ने दंगा-रोधी आंसू गैस हथियार विकसित किए थे.


बीएसएफ ही सभी राज्यों और केंद्रीय फोर्सेस को आंसू गैस के गोले मुहैया कराती है. बीएसएफ सिर्फ पाकिस्तान और बांग्लादेश की सीमा पर ही तैनात नहीं है. बल्कि वह देश की आंतरिक सुरक्षा में भी कई महत्वपूर्ण काम करती है. एक वीडियो क्लिप शेयर किया गया है, जिसमें दिखाई दे रहा है कि कैसे एक बीएसएफ जवान एक हेक्साकॉप्टर ड्रोन में आंसू गैस के छह गोले लगाकर ड्रोन को उड़ाता है. थोड़ी दूर जाकर ड्रोन से गोले जमीन पर गिर जाते हैं. आंसू गैस हर जगह फैल जाती है.

TSU कई तरह के हथियार बनाती है. ऐसे हथियार जो मारक तो नहीं लेकिन नुकसान पहुंचा सकते हैं जैसे फ्लैश बैंग शेल्स, इम्पैक्ट म्यूनिशन, स्पेशल ऑपरेशंस और फोर्सेस के लिए खास तरह के हथियार भी बनाती है. यानी जैसी फोर्स को जरूरत है वैसे हथियार या यंत्रों की जरुरत पूरी की जाती है.

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