उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News)

निगम चुनाव नहीं होने से वाहन फ्री, उपयंत्रियों ने भी गाड़ी रख ली

  • 6 वाहनों से नगर निगम में चल सकता है काम लेकिन 26 वाहनों का हो रहा उपयोग

उज्जैन। नगर निगम के अपने निजी वाहनों के अलावा अन्य वाहन भी किराये पर ले रखे हैं। इनका उपयोग नगर निगम के अधिकारी और जनप्रतिनिधि बोर्ड भंग होने से पहले कर रहे थे लेकिन पिछले एक साल से महापौर और सभापति के लिए चलने वाले वाहन अब नगर निगम के सब इंजीनियर स्तर के अधिकारी चला रहे हैं। इन वाहनों का मेंटेनेंस भी नगर निगम ही करा रहा है। इस पर निगम का हर साल लगभग 40 लाख रुपया खर्च हो रहा है।
नगर निगम इन दिनों कोरोना महामारी के बाद से आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। आय के मुकाबले खर्च कई गुना अधिक होने के कारण तथा समय रहते शासन से समय पर क्षतिपूर्ति राशि नहीं मिलने के कारण नगर निगम की देनदारी भी पिछले दिनों बढ़ गई थी। कई ठेकेदार और ठेका कंपनियों के करोड़ों का भुगतान पिछले साल अटक गया था। इसके बावजूद अभी भी नगर निगम में अधिकारी 26 वाहनों का उपयोग कर रहे हैं। इनमें नगर निगम के 6 से 7 वाहन है बाकी के वाहन किराये के हैं। किराये से लेकर इनके ईंधन और यहाँ तक कि मेंटेनेंस का खर्च भी नगर निगम ही वहन कर रहा है। जबकि नगर निगम एक्ट के अनुसार निगमायुक्त, अपर आयुक्त और ईई स्तर के अधिकारियों को ही वाहन सुविधा का प्रावधान है। इनके अलावा महापौर, सभापति को भी वाहन की पात्रता है। उल्लेखनीय है कि पिछले साल 3 सितम्बर को नगर निगम का कार्यकाल पूरा हो गया था और इसी के साथ महापौर और निगम सभापति ने नगर निगम के वाहन वापस कर दिए थे। विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जिस सफारी वाहन में महापौर मीना जोनवाल घूमा करती थी अब उसी गाड़ी को निगम के सब इंजीनियर चला रहे हैं। इसके अलावा सहायक यंत्री स्तर के कई इंजीनियरों को प्रभारी कार्यपालन यंत्री बनाया गया है। वे भी सरकारी वाहनों का भरपूर उपयोग कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त नगर निगम के कुछ बाबू जिन्हें कार्यालय या अन्य विभागीय प्रभार सौंपे गए हैं ऐसे कर्मचारी भी किराये की महंगी गाडिय़ों में घूम रहे हैं। जानकारों के मुताबिक निगम एक्ट के अनुसार मौजूदा स्थिति में 6 वाहनों से भी काम चल सकता है। इसके बावजूद 26 वाहनों का उपयोग नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी कर रहे हैं।

पूर्व में भी वाहन घोटाले तथा अंधे खर्च का हो सकता है खुलासा
वर्ष 2019 में नगर निगम परिषद सम्मेलन में पार्षद संतोष व्यास ने प्रश्न लगाया था। इसमें उन्होंने सवाल पूछे थे कि नगर निगम के जनप्रतिनिधियों तथा अधिकारियों के लिए कितने वाहन नगर निगम के हैं तथा कितने को किराए पर ले रखा है। पिछले 3 साल में इन वाहनों के संधारण पर कितनी राशि खर्च हुई है। इसके अलावा इन वाहनों के संचालन में विगत 3 वर्षों में कितनी राशि का ईंधन खर्च हुआ है। इस पर नगर निगम की वर्कशॉप शाखा के प्रभारी कार्यपालन यंत्री ने सदन में जवाब दिया था कि तब नगर निगम के स्वयं के 12 वाहन हैं इनमें महापौर, सभापति को एक-एक वाहन तथा वीआईपी के लिए दो वाहन, हाईकोर्ट के लिए एक, पशु गैंग के लिए एक तथा सहायक आयुक्त व वर्कशॉप के अधिकारी के लिए एक-एक वाहन दे रखे हैं। इनके अलावा 15 अन्य वाहन भी नगर निगम ने किराए पर ले रखे हैं, जिन्हें अधीक्षण यंत्री से लेकर कार्यपालन यंत्री, सहायक यंत्री, सहायक आयुक्त, नगर निगम गैंग, स्वास्थ्य अधिकारी आदि को लाने ले जाने के काम में लगा रखा है। सदन में दी गई जानकारी के मुताबिक किराए तथा नगर निगम के इन कुल 27 वाहनों के संचालन पर साल 2015-16 तथा 17 में क्रमश: 39 लाख 91 हजार 570 रुपए, 49 लाख 78 हजार 293, 30 लाख 30 हजार 281 रुपए मेंटनेंस पर खर्च किए गए हैं। 3 साल में यह राशि करीब एक करोड़ 20 लाख से अधिक खर्च की जा चुकी थी। इसमें ईंधन का खर्च नहीं बताया गया था, वहीं अब साल 2018-19 तथा 2019-20 की जानकारी भी नहीं दी गई है।

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