खरी-खरी

मोदीजी के आठ साल… इस बुलंदगी को कहीं नफरत की नजर न लग जाए…

मोदीजी के आठ साल… बरसों बाद देश ने ऐसा नेतृत्व पाया, जिस पर देश ने नाज जताया…कई व्यक्तित्व की खूबियां लिए मोदीजी में इंदिराजी जैसी अकड़… शास्त्रीजी जैसी सादगी…गांधी जैसा जुझारूपन…सुभाषचंद्र बोस जैसा नेतृत्व और आजाद भगतसिंह जैसा देशप्रेम नजर आता है… इंदिराजी के बाद देश ने राजीव की अनुभवहीनता… विश्वनाथ प्रतापसिंह की साजिशें…गुजराल, देवगौड़ा जैसे थोपे गए बोझ को जहां झेला, वहीं मनमोहनसिंह जैसी प्रतिभा का गठबंधन सरकार द्वारा किया गया दोहन भी देखा…देश बस चल रहा था…और चल क्या रहा था, जिसकी जैसी मर्जी आए वैसे चला रहा था…शातिर नेताओं का कुनबा सरकार के शोषण और खुद के पोषण में इस कदर जुटा हुआ था कि घोटालों की फेहरिस्त लग गई…स्कैंडलों की कतार लग गई और अदालतों की चौखट नेताओं से भर गई…लालू जेल चले गए…करुणानिधि फंस गए…चिदंबरम के घोटाले खुल गए…ए. राजा का राजपाट छिन गया…घोटालों का आंकड़ा लाखों-करोड़ तक पहुंच गया…गरीब कंगाल हो गया…हर नेता मालामाल हो गया…इस गोलमाल से बिफरी देश की जनता ने हर दल के नेता को कपड़े की तरह धोया और मोदीजी को देश थमाया…संघ की तपन, राजनीतिक चुभन, सत्ता के अनुभव और साजिशों, रंजिशों से जूझते मोदी इतने परिपक्व हो गए कि सत्ता पाते ही सदन की सीढ़ियों को साष्टांग करते ही सदाशयता, शासन चलाने की कठोरता…निर्णयों की क्षमता… योजनाओं की महत्ता कुछ इस तरह परोसी कि पूरा देश मोहित होता चला गया…सत्ता के चतुर खिलाड़ी के रूप में मोदीजी ने कांग्रेस से गांधीजी को छीनकर स्वच्छता का अलख गुंजाया… देश को शौचमुक्त कराया…गरीबों के लिए आवास का बीड़ा उठाया…बैंकों के घाटे और कंपनियों के घोटाले पर अंकुश लगाया…देश को लूटने वालों पर शिकंजा कसवाया और पाकिस्तान की नापाक हरकतों को उनके देश में घुसकर ठिकाने लगाया… कश्मीर को धारा 370 से आजाद करवाया…बरसों से चल रहे मंदिर मसले को निपटाकर अयोध्या में बिना किसी राग-द्वेष के मंदिर निर्माण शुरू करवाया… दुनियाभर में मोदीजी ने देश का मान बढ़ाया…अपने देश की ताकत का भान करवाया… आज अमेरिका जैसा देश हाथ बढ़ा रहा है…रूस की मुसीबत में भारत मसीहा नजर आ रहा है और चीन सिर झुका रहा है…सफलताओं और सम्मान का शिखर चूमती मोदी सरकार के निर्णयों में से नोटबंदी जैसे फैसले को छोड़ दें तो जनता की संतुष्टि चरम पर रही…आठ सालों की सरकार अब तक की कामयाबी का सेहरा तो बांध सकती है, लेकिन अब देश और मोदीजी के लिए जो सबसे बड़ी चुनौती है वह यह है कि देश में नफरत बढ़ती जा रही है…एकता और विश्वास की बलि चढ़ाई जा रही है… वर्गभेद की खाई बढ़ती जा रही है…वैचारिकता का मतभेद अब वैमनस्यता तक पहुंच गया है…आदमी आदमी से दूर हो रहा है…एक वर्ग बेवजह चिल्लाए जा रहा है…दूसरा वर्ग सीने में आग को पाल रहा है… जिस दिन यह आग भड़क गई उस दिन देश की शांति चीखों में बदल जाएगी…हमारी बुलंदियां जमीन पर आ जाएंगी…दुनिया उंगली उठाएगी और एकता बलि चढ़ जाएगी…देश मोदीजी को मानता है…एक आवाज पर ताली-थाली बजाने लग जाता है… उनकी मन की बात में नफरत को मिटाने का पैगाम आना चाहिए…देश से द्वेष मिटना चाहिए, तभी आठ साल बीते साठ साल पर भारी नजर आएंगे और देश के लोग भविष्य के विनाश के संशय से बच पाएंगे…

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