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राजस्थान में बसपा की एंट्री से कांग्रेस का बिगड़ेगा सियासी समीकरण, बीजेपी को सीधा फायदा

जयपुर (Jaipur) । राजस्थान (Rajasthan) में विधानसभा चुनाव (Assembly elections) में बसपा (BSP) की एंट्री से कांग्रेस (Congress) के सियासी समीकरण बिगड़ सकते हैं। पिछली बार 2018 में बसपा के 6 विधायक चुनाव जीते थे, जबकि एक दर्जन सीटों पर दूसरे स्थान पर रहे। राजस्थान लगभग 39 सीटें अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए सुरक्षित हैं। उन सभी सीटों पर बसपा का पूरा फोकस है। जिन सीटों पर कांग्रेस के नेताओं को टिकट नहीं मिल रहे हैं, वहां पर बसपा में शामिल में हो रहे हैं।

पूर्वी राजस्थान के अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली और सवाई माधोपुर में इस बार बसपा मजबूत स्थिति में है। कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगा सकती है। सियासी जानकारों का कहना है कि मायावाती और अशोक गहलोत की अदावत जगजाहिर है। मायावती सीएम गहलोत से नाराज है। क्योंकि लगातार दो बार बसपा के विधायरों को तोड़ने में गहलोत सफल रहे है। गत चुनाव में 6 विधायक बसपा के जीते थे, लेकिन बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए है। इससे पहले भी गहलोत ने बसपा विधायकों को कांग्रेस में शामिल करा लिया था। सियासी जानकारों का कहना है कि इस बार मायावती खुद मैदान में है। मायावती राजस्थान में बड़े स्तर पर प्रचार करेगी।


पूर्वी राजस्थान पर सबसे ज्यादा असर
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि र्वी राजस्थान के दौसा, अलवर, भरतपुर, धौलपुर, सवाई माधोपुर, करौली और जयपुर में बसपा के असर सबसे ज्यादा है। विधानसभा चुनाव 2018 में बीएसपी को इन्ही जिलों में सबसे ज्यादा सफलता मिली थी। इस बार मायावती का फोकस भी इन्हीं जिलों में सबसे ज्यादा है। मायावाती ने धुआधार प्रचार की योजना बनाई है। ऐसे में बसपा कांग्रेस के वोट बैंक में सबसे ज्यादा सेंध लगाएगी। इन जिलों की 40 सीटों पर बसपा प्रत्याशी तो पार्टी के नाम पर आसानी से 10 से 15 हजार वोट मिले जाते हैं। यह वोट कांग्रेस का ही माना जाता है। इस बार ऐसा होता है तो सीधे तौरपर बीजेपी को फायदा मिलेगा। क्योंकि कांग्रेस को इस बार सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है।

मायावती गहलोत से नाराज
सियासी जानकारों का कहना है कि मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच होगा। लेकिन बसपा तीसर ताकत है। जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। बसपा का वोटर्स कांग्रेस का माना जाता है। ऐसे में कांग्रेस को नुकसान पहुंचना तय है। मायावती के निशाने पर इस बार गहलोत है। क्योंकि सीएम गहलोत ने लगातार दो बार बसपा के विधायकों को तोड़कर कांग्रेस में शामिल कराए है। इससे नाराज है। चुनाव से पहले ही बसपा को इस बार बड़ी सफलता मिल रही है। कांग्रेस के बड़े नेता बसपा में शामिल हो गए है। बीएसी ने भी तुरंत ही टिकट देने की घोषण कर दी है। सियासी जानकारों का कहना है कि बसपा कई सीटों पर जीतने की स्थिति में नहीं है। लेकिन कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाने की स्थिति में है। बसपा ने इस बार किसी के साथ गठबंधन नहीं करने की घोषणा की है। सभी 200 विधानसभा सीटों पर अकेले ही चुनाव लड़ेगी।

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