इंदौर न्यूज़ (Indore News)

धारा 17 के इस्तेमाल पर हाईकोर्ट फैसले के खिलाफ प्राधिकरण को मिला सुप्रीम कोर्ट से स्टे

इंदौर। प्राधिकरण की योजना 135 और 114 पार्ट-2 की बेशकीमती करोड़ों की जमीनों को लेकर पिछले दिनों इंदौर हाईकोर्ट की डबल बेंच ने प्राधिकरण के खिलाफ फैसला दिया था, जिसमें धारा 17 को लागू करना जमीन अधिग्रहण के लिए अवैध बताया और इन जमीनों को योजना से मुक्त कर दिया। इसमें तेजपुर गड़बड़ी से लेकर निरंजनपुर की जैन नर्सरी सहित अन्य जमीनें शामिल हैं। अभी प्राधिकरण को हाईकोर्ट फैसले के खिालफ सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिल गया। हालांकि यह स्टे अभी योजना 135 की जमीन पर मिला है। मगर चूंकि इसी से जुड़ी 114 पार्ट-2 की जमीनों की भी एसएलपी सुप्रीम कोर्ट में लगाई थी। लिहाजा उस पर भी इसी तरह का स्टे संभावित है।

प्राधिकरण ने लगभग 35 साल पहले निरंजनपुर और पिपल्याकुमार में 84.237 हेक्टेयर यानी 210 एकड़ का अधिग्रहण करते हुए योजना 114 पार्ट-1 और पार्ट-2 घोषित की थी, जिस पर विधिवत अमल भी हो गया और अधिकांश जमीन को विकसित कर भूखंड बेच दिए। मगर जैन नर्सरी सहित कुछ जमीनों को लेकर कोर्ट-कचहरी चलती रही और कुछ जमीनें गृह निर्माण संस्थाओं के अनुबंध के आधार पर भूखंड के रूप में भी प्राधिकरण द्वारा दी गई।  वहीं प्राधिकरण ने जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया के लिए धारा 17 का इस्तेमाल किया था, जिसे कुछ जमीन मालिकों द्वारा चुनौती दी गई और अभी पिछले दिनों हाईकोर्ट ने धारा 17 के इस्तेमाल को गलत बताया और न्यायसंगज न मानते हुए योजना से जमीनों को मुक्त करने का फैसला दिया।


114 पार्ट-2 की तरह ही योजना 135 में भी कुछ जमीनों के मालिकों ने धारा 17 को चुनौती दी थी। लगभग 35 जमीन मालिक इन योजनाओं में ऐसे हैं जिन्हें हाईकोर्ट आदेश का लाभ मिलना था और इन जमीनों की वर्तमान कीमत करोड़ों रुपए हो गई है। हाईकोर्ट की डबल बेंच के 46 पेज के विस्तृत आदेश के खिलाफ प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की और अभी उसे योजना 135 के मामले में स्टे भी मिल गया। प्राधिकरण की विधि शाखा का कहना है कि चूंकि 114 पार्ट-2 के मामले में भी इसी तरह की एसएलपी दायर की है और कुल 5 प्रकरण सुप्रीम कोर्ट में लगाए गए, जिनमें से 135 के दो प्रकरणों पर स्टे मिल गया है और अब संभावना है कि इसी तरह तीनों अन्य प्रकरणों में भी स्टे हासिल हो जाएगा। अभी सुप्रीम कोर्ट ने 11 मार्च 2024 को हाईकोर्ट द्वारा याचिका 25/2008 और 323/2008 के खिलाफ यह स्टे जस्टिस सूर्यकांत और केवी विश्वनाथन की बेंच ने दिया है।

ढाई हजार से अधिक प्रकरण लम्बित… संभागायुक्त ने की समीक्षा
विभिन्न अदालतों में प्राधिकरण के ढाई हजार से ज्यादा लम्बित प्रकरण हैं। कल संभागायुक्त और प्राधिकरण अध्यक्ष दीपक सिंह ने इन न्यायालयीन प्रकरणों की समीक्षा की, जिसमें सीईओ रामप्रकाश अहिरवार प्राधिकरण के भू-अर्जन अधिकारी सुदीप मीणा और विधि अधिकारी व अधिवक्ता अम्बर पारे सहित अन्य मौजूद रहे। संभागायुक्त सिंह ने अवमानना प्रकरणों की भी जानकारी ली और निर्देश दिए कि प्राधिकरण अपना पक्ष विधिसम्मत तरीके से प्रस्तुत करे। संभागायुक्त ने सभी जिलों के सहायक आयुक्त और अन्य अधिकारियों से भी न्यायालयीन प्रकरणों की जानकारी ली

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