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रूस के खिलाफ यूरोपीय संसद प्रस्‍ताव पेश, कहा-रूस के लोग सरकार बदलें, तभी बनेगा बेहतर रिश्ता

ब्रसेल्स। यूरोपीय संसद (European Parliament) में पेश करने के लिए तैयार एक ताजा दस्तावेज को यूरोप(Europe) में रूस(Russia) के खिलाफ और बढ़ रही नाराजगी का संकेत समझा गया है। विश्लेषकों का कहना है कि अगर यूरोपीय संसद(European Parliament) ने इस दस्तावेज को मंजूरी दे दी, तो उसका परिणाम रूस(Russia) के साथ सैनिक टकराव के रूप में सामने आ सकता है। दस्तावेज के मसविदे को इसी हफ्ते यूरोपीय संसद(European Parliament) की विदेश मामलों से संबंधित समिति की वेबसाइट पर डाला गया। इसमें कहा गया है- ‘दुनिया में लोकतंत्र की रक्षा और पूर्वी यूरोप में रूस के हमले को रोकने के लिए यूरोप को अमेरिका के साथ गठजोड़ कायम करना चाहिए।’
दस्तावेज रूस के साथ यूरोप के भावी संबंधों के बारे में एक दृष्टिकोण पत्र के रूप में तैयार किया गया है। इसमें कहा गया है कि यूरोपियन यूनियन European Union (EU) को ऐसे कदम उठाने चाहिए, जिससे रूस के लोगों को पश्चिमी की तरफ झुकना फायदेमंद लगे। इसके लिए उदारता से वीजा देने और मुक्त व्यापार निवेश जैसे प्रस्ताव उनके सामने रखे जाने चाहिए। ईयू को यह कहना चाहिए कि अगर रूस ‘लोकतांत्रिक रूपांतरण’ के लिए तैयार हो, तो उसे ये फायदे मिल सकते हैं।
विश्लेषकों ने कहा है कि ये प्रस्ताव असल में रूस में मौजूदा राज्य-व्यवस्था बदलने के इरादे को जाहिर करता है। इसका साफ मतलब है कि रूस को उपरोक्त फायदे तभी मिलेंगे, अगर वहां के लोग अपना शासन बदलें। यानी ईयू रूस के मौजूदा शासन के साथ कोई संबंध बनाने को तैयार नहीं है।



दस्तावेज में दावा किया गया है कि रूस में स्थिति तेजी से बिगड़ रही है। इसका कारण राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन(President Vladimir Putin) की सरकार का “लोकतांत्रिक शक्तियों” का दमन है। दस्तावेज में जिक्र किया गया है कि इस साल जनवरी में रूस में बड़े पैमाने पर लोगों की गिरफ्तारियां हुईं। आरोप लगाया है कि इस साल रूस में होने वाले संसदीय चुनाव से पहले पुतिन ने ‘अपनी जनता के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है’। इसलिए चुनाव नतीजे आने के बाद देश में हालत और बिगड़ सकती है।
रूसी विश्लेषकों ने इस दस्तावेज को ईयू की आक्रामक मानसिकता का संकेत बताया है। उन्होंने ध्यान दिलाया है कि इसी हफ्ते जारी एक जनमत सर्वेक्षण में व्लादिमीर पुतिन की पार्टी को 56 फीसदी लोगों का समर्थन मिलता बताया गया। दूसरे विपक्षी उम्मीदवारों के लिए समर्थन दस फीसदी से भी कम है। रूस की वेबसाइट रशियाटुडे.कॉम की एक टिप्पणी में कहा गया है कि ईयू रूस को लेकर चिंता जता रहा है, जबकि उसके दो सदस्य देशों- हंगरी और पोलैंड में नागरिक अधिकारों का खुल कर दमन किया जा रहा है।
यूरोपीय संसद के लिए तैयार दस्तावेज में रूस की जनता को संबोधित करने के लिए एक चौबीस घंटे चलने वाले टीवी चैनल को स्थापित करने का सुझाव दिया गया है। जानकारों के मुताबिक इसका मतलब है कि रूस की मौजूदा सरकार के खिलाफ सूचना युद्ध छेड़ने की जरूरत ईयू में अब अधिक महसूस की जा रही है। लेकिन ऐसा टीवी चैनल प्रभावी होगा, इस पर जानकारों को संदेह है। उनके मुताबिक अभी भी रूस की विपक्षी पार्टियों की समर्थक कई वेबसाइटें और यू-ट्यूब चैनल चल रहे हैं। उनमें लगातार रूस सरकार के खिलाफ खबरें दी जाती हैं। लेकिन वे रूसी जनमानस पर व्लादिमीर पुतिन की पकड़ को कमजोर करने में नाकाम रही हैं।
विश्लेषकों ने कहा है कि ताजा दस्तावेज ये साफ संकेत देता है कि निकट भविष्य में रूस और ईयू के संबंधों में सुधार की गुंजाइश नहीं है।

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