डेस्क: दुनिया में अलग-अलग तरह के लोग रहते हैं और हर हिस्से से जुड़ी हुई अपनी परंपराएं भी मौजूद हैं. इनमें से कुछ रीति-रिवाज़ तो भी फिर भी ठीक हैं, लेकिन कई जगहों पर कुछ ऐसा होता है, जिसे सुनकर ही हम खौफ में आ जाएं. अंतिम संस्कार से जुड़ी हुई एक ऐसी ही परंपरा दक्षिण अमेरिकी जनजाति यानोमानी में निभाई जाती है, जो इतनी अजीब है कि लोगों को सदमे में डाल देगी. हालांकि इन लोगों के लिए ये बिल्कुल सामान्य है.
जन्म और मृत्यु से जुड़े हुए रिवाज़ हर समाज और समुदाय में अलग-अलग होते हैं. हालांकि कुछ चीज़ें हर जगह एक जैसी ही हैं, मसलन शव को सम्मान पूर्वक आखिरी यात्रा पर भेजना. वहीं, दक्षिण अमेरिका में पाई जाने वाली यानोमानी जनजाति की बात करें ये अंतिम संस्कार से जुड़ी हुई अजीबोगरीब परंपरा का पालन करते हैं, जिसमें मृतक को जलाने के बाद बची राख तक को सूप बनाकर पी जाते हैं.
मृत शरीर को खाते हैं, राख का सूप बनाते हैं
आपने अंतिम संस्कार से जुड़ी हुई कुछ अजीबोगरीब परंपराएं सुनी होंगी, जिसमें शव को कब्र से निकालकर पार्टी के लिए ले जाते हैं या फिर जगह की कमी की वजह से ताबूतों की अदला-बदली कर दी जाती है. हालांकि यानोमानी जनजाति का रिवाज़ इससे अलग है. यानम या सेनेमा के नाम से मशहूर इस ट्राइब में अंतिम संस्कार के लिए मृत शरीर को पत्तों और दूसरी चीज़ों से ढक दिया जाता है. 30-40 दिन बाद वे उसे वापस लाते हैं बच गए शरीर को जलाते हैं. शरीर को जलाने के बाद जो राख बचती है, ये लोग उसका सूप बनाकर पी जाते हैं. इस रिवाज़ का पालन यहां पारंपरिक तौर पर किया जाता आया है.
आखिर क्यों किया जाता है ऐसा?
इस परंपरा कोएंडोकैनिबेलिज़्म कहा जाता है. इस समुदाय का मानना है कि मृत व्यक्ति की आत्माको शांति तभी मिलती है, जब उसकी डेड बॉडी को रिश्तेदारों ने खाया हो. यही वजह है कि किसी न किसी तरीके से वे राख को खाते हैं. उनके मुताबिक वे इस तरह से आत्मा की रक्षा करते हैं. अगर किसी व्यक्ति की हत्या हुई है, तो उसके शरीर की राख सिर्फ महिलाएं ही खाती हैं और उनका अंतिम संस्कार भी अलग तरह से किया जाता है. यानोमानी ट्राइब अमेज़न के जंगलों में रहते हैं और इनके करीब 200-250 गांव हैं.